Edited By Jyoti,Updated: 04 Mar, 2020 05:09 PM
जबलपुर: मानसरोवर और हिमालय की वादियों में आपने पल-पल भगवान भोलेनाथ के दर्शन किए होंगे लेकिन इस बार हम आपको भारत के उस पर्वतमाला में ले जा रहे हैं जो नर्मदा तट के किनारे हैं
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जबलपुर: मानसरोवर और हिमालय की वादियों में आपने पल-पल भगवान भोलेनाथ के दर्शन किए होंगे लेकिन इस बार हम आपको भारत के उस पर्वतमाला में ले जा रहे हैं। जो नर्मदा तट के किनारे हैं और यहां पर भगवान भोलेनाथ हज़ारों सालों तक धूनी रमाते रहे हैं। भगवान भोलेनाथ की तपोस्थली है संस्कारधानी जबलपुर की ये भूमि मां नर्मदा के लम्हेटाघाट के इसी नील पर्वत पर भगवान भोलेनाथ सैकड़ों सालों तक तपस्या किया करते थे। लोग कहते हैं कि आज भी भगवान भोलेनाथ यहां पर तप कर रहे हैं जबलपुर के इस घाट कि गहराई पाताल तक की है। अमरकंटक से निकली मां नर्मदा खंभात की खाड़ी तक जाती है। इसी बीच में ये घाट पड़ता है जिसकी खासियत यह है कि यहीं पर ऋषि जाबालि ने तपस्या की थी।
यहां पाताल की गहराईयों तक है नर्मदा-
सबसे ज्यादा गहराई आपको इसी लम्हेटाघाट पर मिलेगी। पंजाब केसरी कीेे विवेक तिवारी संवाददाता के रिपोर्ट के अनुसार ये मां नर्मदा का वह तट है जहां पर सब से ज्यादा मंदिर है, सबसे पहले आपको मां नर्मदा का वह मंदिर दिखाते हैं जो 2006 में यहां स्थापित हुआ। मां नर्मदा के भक्त दिलीप भारती ने यहां पर मां नर्मदा की प्रतिमा स्थापित की। उनके कहना है कि मां नर्मदा ने उनको स्वप्न दिया कि उसके बाद यहां पर मां नर्मदा की प्रतिमा स्थापित की गई। इसी के ठीक बाजू में है नील पर्वत जहां पर भगवान भोलेनाथ तपस्या किया करते थे। चारों तरफ आपको मां नर्मदा का विशाल तट नज़र आ जाएगा. लेकिन हमारा लक्ष्य तो आपको इस नील पर्वत पर उस स्थल का दर्शन कराना था। जहां पर भगवान भोलेनाथ तप किया करते थे हमारे संवाददाता वहां तक जाने के लिए तैयार थे।
चारों तरफ़ पर्वत बाजू में कल कल बहती मां नर्मदा-
कहते हैं यहां एक ऐसा स्थान है जहां भगवान शंकर श्र राम के नाम का जप किया करते थे।ऐसा कहा जाता है यहां पद चिन्ह भी दिखाई देते हैं जो भगवान भोलेनाथ की सवारी नंदी के थे। यहां पर स्थित पहाड़ के ऊपर साफ़ नजर आता है कि वह स्थान जहां पर भगवान भोलेनाथ बैठा करते थे उनके हाथों के निशान हैं।
आखिर यहां का धार्मिक महत्व क्या है और कैसे पता चला कि यहां भगवान भोलेनाथ तप किया करते थे आइए जानते हैं-
इस स्थल का वर्णन शिवपुराण के साथ नर्मदा पुराण में भी नजर आता है। कहा जाता है कि भगवान वामन ने भी यहां की भूमि को नापा था। यहां के स्थानीय आचार्य भी हमें इस स्थल के बारे में बताते हैं। यह वह पवित्र स्थल है जहां पर बाजू से मां नर्मदा प्रवाहित है, चारों तरफ़ यहां पर चंदन के वृक्ष भी नज़र आते हैं। यह बताने के लिए काफी है कि यह कितना पवित्र स्थल है हालांकि लोगों का यहां पर आना जाना कम ही है क्योंकि इस पर्वत तक कोई पहुंच भी नहीं पाता है और इस पर्वत के बारे में किसी को जानकारी नही है। कहते हैं कि यहां पर रात को और प्रातः काल अनेक ऋषि मुनि भ्रमण करते हैं और इस पर्वत की परिक्रमा भी करते हैं। करें भी क्यो न,जहां शिव का वास, वही तो सर्वस्व है।