यहां जानें, शुक्र प्रदोष व्रत कथा

Edited By Updated: 31 May, 2019 11:00 AM

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हिंदू पंचांग के अनुसार प्रदोष व्रत हर माह में भगवान शिव की कृपा पाने के लिए रखा जाता है। दोष व्रत की पूजा शाम के समय प्रदोषकाल में की जाती है।

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हिंदू पंचांग के अनुसार प्रदोष व्रत हर माह में भगवान शिव की कृपा पाने के लिए रखा जाता है। दोष व्रत की पूजा शाम के समय प्रदोषकाल में की जाती है। यह प्रदोष सूर्यास्त से लगभग 1 घंटा पहले का समय होता है, जो प्रदोषकाल कहलाता है। कहते हैं कि प्रदोष व्रत का पालन करने से व्यक्ति की हर मनोकामना पूरी होती है। इतना ही नहीं उसकी समस्त आर्थिक समस्याओं का समाधान होता है। इसलिए हर व्यक्ति को प्रदोष व्रत का पालन जरूर करना चाहिए। इस बार यह व्रत आज दिन शुक्रवार यानि 31 मई 2019 को रखा जा रहा है। यह व्रत इस बार शुक्रवार को आया है इसलिए इसे शुक्र प्रदोष व्रत कहा जाता है। तो चलिए आगे जानते हैं इसकी कथा के बारे में-
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एक नगर में 3 मित्र रहते थे- राजकुमार, ब्राह्मण कुमार और तीसरा धनिक पुत्र। राजकुमार और ब्राह्मण कुमार विवाहित थे। धनिक पुत्र का भी विवाह हो गया था, लेकिन गौना शेष था। एक दिन तीनों मित्र स्त्रियों की चर्चा कर रहे थे।
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ब्राह्मण कुमार ने स्त्रियों की प्रशंसा करते हुए कहा- 'नारीहीन घर भूतों का डेरा होता है।' धनिक पुत्र ने यह सुना तो तुरंत ही उसने अपनी पत्‍नी को लाने का निश्‍चय कर लिया। तब धनिक पुत्र के माता-पिता ने समझाया कि अभी शुक्र देवता डूबे हुए हैं। ऐसे में बहू-बेटियों को उनके घर से विदा करवा लाना शुभ नहीं माना जाता लेकिन धनिक पुत्र ने एक नहीं सुनी और ससुराल पहुंच गया।
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ससुराल में भी उसे मनाने की कोशिश की गई लेकिन वो जिद पर अड़ा रहा और कन्या के माता-पिता को उनकी विदाई करनी पड़ी। विदाई के बाद पति-पत्‍नी शहर से निकले ही थे कि बैलगाड़ी का पहिया निकल गया और बैल की टांग टूट गई। दोनों को चोट लगी लेकिन फिर भी वो चलते रहे। कुछ दूर जाने पर उनका पाला डाकुओं से पड़ा। जो उनका धन लूटकर ले गए। दोनों घर पहूंचे। वहां धनिक पुत्र को सांप ने डंस लिया। उसके पिता ने वैद्य को बुलाया तो वैद्य ने बताया कि वो 3 दिन में मर जाएगा। जब ब्राह्मण कुमार को यह खबर मिली तो वो धनिक पुत्र के घर पहुंचा और उसके माता-पिता को शुक्र प्रदोष व्रत करने की सलाह दी और कहा कि इसे पत्‍नी सहित वापस ससुराल भेज दें। धनिक ने ब्राह्मण कुमार की बात मानी और ससुराल पहुंच गया, जहां उसकी हालत ठीक होती गई यानि शुक्र प्रदोष के माहात्म्य से सभी घोर कष्ट दूर हो गए। कहते हैं कि जो व्यक्ति भी इस दिन कथा सुनता या पढ़ता है, भगवान उसके सारे कष्ट दूर कर देते हैं। ऐसा कहा गया है कि व्रत पूर्ण होने के बाद हवन जरूर करना चाहिए। 

 

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