Edited By Niyati Bhandari,Updated: 29 Dec, 2022 09:55 AM
एक बार भगवान गौतम बुद्ध घूमते हुए एक नदी के किनारे पहुंचे। वहां उन्होंने देखा कि एक मछुआरा जाल बिछाता और उसमें मछलियां फंसने पर उन्हें किनारे रख दोबार जाल डाल देता।
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Gautam Buddha and Fisherman Story: एक बार भगवान गौतम बुद्ध घूमते हुए एक नदी के किनारे पहुंचे। वहां उन्होंने देखा कि एक मछुआरा जाल बिछाता और उसमें मछलियां फंसने पर उन्हें किनारे रख दोबार जाल डाल देता। मछलियां पानी के बिना तड़पती हुई मर जातीं। बुद्ध यह देखकर द्रवित हो गए और मछुआरे के पास जाकर बोले, ‘‘तुम इन निर्दोष मछलियों को क्यों पकड़ रहे हो?’’
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मछुआरा बोला, ‘‘महाराज, मैं इन्हें पकड़कर बाजार में बेचूंगा और धन कमाऊंगा।’’
बुद्ध बोले, ‘‘तुम मुझसे इनके दाम ले लो और इन मछलियों को मुझे दे दो।’’
मछुआरे ने बुद्ध से उन मछलियों का मूल्य लेकर मछलियां बुद्ध को सौंप दीं। बुद्ध ने मछलियों को वापस नदीं में डाल दीं। यह देखकर मछुआरा बोला, ‘‘महाराज, आपने तो मुझसे मछलियां खरीदी थीं। फिर आपने इन्हें वापस पानी में क्यों डाल दिया ?’’
यह सुनकर बुद्ध ने कहा, ‘‘ये मैंने तुमसे इसलिए खरीदी हैं ताकि इनको दोबारा जीवन दे सकूं। किसी की हत्या करना पाप है। यदि मैं तुम्हारा ही गला घोंटने लगूं तो तुम्हें कैसा लगेगा?’’
यह सुनकर मछुआरा हैरानी से बुद्ध की ओर देखने लगा। बुद्ध की बातें सुनकर मछुआरा लज्जित हो गया और बोला, ‘‘महाराज, आज आपने मेरी आंखें खोल दीं।
अभी तक मुझे यह काम उचित लगता था पर अब लगता है कि इससे भी अच्छे काम करके मैं अपनी आजीविका चला सकता हूं। मैं चित्र भी बनाता हूं। आज से मैं चित्रकला से ही अपनी आजीविका कमाऊंगा।’’ इसके बाद वह वहां से चला गया और कुछ ही समय में प्रसिद्ध चित्रकार बन गया।