Edited By Prachi Sharma,Updated: 04 Jun, 2025 11:27 AM

Vat Savitri Purnima 2025: यह व्रत हर साल ज्येष्ठ महीने में रखा जाता है लेकिन इसे दो अलग-अलग तिथियों पर मनाया जाता है। इस दिन महिलाएं वट वृक्ष की पूजा करती हैं और अपने पति की लंबी उम्र की कामना करती हैं। इसे ही पारंपरिक रूप से वट सावित्री व्रत कहा...
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Vat Savitri Purnima 2025: यह व्रत हर साल ज्येष्ठ महीने में रखा जाता है लेकिन इसे दो अलग-अलग तिथियों पर मनाया जाता है। इस दिन महिलाएं वट वृक्ष की पूजा करती हैं और अपने पति की लंबी उम्र की कामना करती हैं। इसे ही पारंपरिक रूप से वट सावित्री व्रत कहा जाता है। कुछ स्थानों पर यह व्रत अमावस्या के बजाय पूर्णिमा के दिन रखा जाता है। इस दिन भी महिलाएं वट वृक्ष की पूजा करके सावित्री और सत्यवान की कथा सुनती हैं। इसे वट सावित्री पूर्णिमा कहा जाता है। व्रट सावित्री पूर्णिमा भारतीय संस्कृति का एक महत्वपूर्ण पर्व है, जिसे विशेष रूप से विवाहित महिलाएं अपने पतियों की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि के लिए मनाती हैं। आइए जानते हैं इस वर्ष व्रट सावित्री पूर्णिमा कब है इसके पूजा विधि, महत्व और शुभ मुहूर्त के बारे में।
Vrat Savitri Purnima date and auspicious time व्रट सावित्री पूर्णिमा की तिथि और शुभ मुहूर्त
हिंदू कैलेंडर के अनुसार, इस साल ज्येष्ठ महीने की पूर्णिमा तिथि की शुरुआत 10 जून को सुबह 11:35 बजे शुरू होगी और अगले दिन 11 जून को दोपहर 01:13 बजे इसका समापन होगा। इस बार वट सावित्री पूर्णिमा व्रत 10 जून को रखा जाएगा क्योंकि पूर्णिमा तिथि उसी दिन से शुरू हो रही है। हालांकि, स्नान और दान जैसे शुभ कार्यों का समय 11 जून को रहेगा, जब पूर्णिमा का अंतिम भाग होगा। इस दिन महिलाएं व्रत रखकर वट वृक्ष की पूजा करती हैं और सावित्री-सत्यवान की कथा सुनकर अपने पति की दीर्घायु की कामना करती हैं।

Worship method and rules पूजा विधि और नियम
प्रातः जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र पहनें। पूजा के लिए आवश्यक सामग्री एकत्रित करें।
व्रत का संकल्प लें और पूरे दिन उपवासी रहें। तामसिक आहार जैसे मांसाहार, लहसुन, प्याज आदि का सेवन न करें ।
वट वृक्ष के नीचे या मंदिर में सावित्री और सत्यवान की प्रतिमा स्थापित करें। उन्हें सिंदूर, अक्षत, पुष्प और फल अर्पित करें।
वट वृक्ष के चारों ओर सात बार सूत के धागे से परिक्रमा करें और धागा बांधें। यह पति की लंबी उम्र के प्रतीक के रूप में किया जाता है।
सावित्री और सत्यवान की कथा सुनें या पढ़ें, जो इस व्रत का मुख्य उद्देश्य और प्रेरणा है।
पूजा के बाद प्रसाद वितरित करें और स्वयं ग्रहण करें।

व्रत सावित्री पूर्णिमा के दिन विशेष उपाय
यदि विवाह में कोई बाधा आ रही हो, तो वट वृक्ष के नीचे पूजा करें, भगवान शिव की पूजा करें और माता पार्वती को सिंदूर अर्पित करें। इसके बाद भगवान भोलेनाथ को तीन जटा वाला नारियल अर्पित करें और ॐ सृष्टिकर्ता मम विवाह कुरु कुरु स्वाहा मंत्र का जाप करें। इससे शीघ्र विवाह के योग बनते हैं ।
वट वृक्ष के तीन पत्तों को लेकर उन पर सिंदूर लगाकर पूजा करें और 11 वट वृक्षों की परिक्रमा करें। इससे वैवाहिक जीवन में मिठास आती है और पति-पत्नी का रिश्ता मजबूत होता है ।