Vidur Niti: महात्मा विदुर की वो बात जो स्वाद के दीवानों को सोचने पर मजबूर कर देगी

Edited By Updated: 27 May, 2025 03:00 PM

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नीति शास्त्र की बात की जाए तो महात्मा विदुर का नाम अत्यंत सम्मान और श्रद्धा से लिया जाता है। महाभारत काल के महान विचारक और धृतराष्ट्र के मंत्री विदुर को उनकी बुद्धिमत्ता, दूरदर्शिता

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Vidur Niti:  नीति शास्त्र की बात की जाए तो महात्मा विदुर का नाम अत्यंत सम्मान और श्रद्धा से लिया जाता है। महाभारत काल के महान विचारक और धृतराष्ट्र के मंत्री विदुर को उनकी बुद्धिमत्ता, दूरदर्शिता और नीतिपूर्ण विचारों के लिए जाना जाता है। उन्होंने जो विदुर नीति दी है, वह आज भी मानव जीवन के हर पहलू में मार्गदर्शन देती है चाहे वह राजनीति हो, पारिवारिक जीवन हो या व्यक्तिगत व्यवहार। विदुर नीति में भोजन और स्वाद के बारे में भी गहरी बातें की गई हैं, जिनसे आज का समाज काफी कुछ सीख सकता है। खासतौर पर जो लोग स्वादिष्ट भोजन के शौकीन हैं, उनके लिए विदुर की ये बातें सोचने पर मजबूर कर सकती हैं। चलिए जानते हैं कि स्वाद के पीछे भागने वाले लोगों के बारे में विदुर ने क्या चेतावनी दी है।

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स्वाद के मोह में फंसना आत्म-विनाश का मार्ग
विदुर नीति में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि जो व्यक्ति केवल स्वाद के लिए भोजन करता है और बार-बार तली-भुनी, अधिक मसालेदार चीजों के पीछे भागता है, वह स्वास्थ्य और संयम दोनों खो बैठता है। विदुर के अनुसार, ऐसा इंसान अपनी इंद्रियों का गुलाम बन जाता है और धीरे-धीरे उसका विवेक खत्म हो जाता है। जब इंद्रियां हावी हो जाती हैं, तो मनुष्य सही और गलत का फर्क भूल जाता है। स्वाद की लालसा धीरे-धीरे एक लत का रूप ले लेती है, जिससे न केवल शारीरिक रोग उत्पन्न होते हैं, बल्कि मानसिक अशांति भी जन्म लेती है।

अति सर्वत्र वर्जयेत् – स्वाद की अति से बचो
विदुर नीति के अनुसार किसी भी चीज़ की अति हानिकारक होती है, फिर चाहे वह भोजन ही क्यों न हो। जब कोई व्यक्ति जरूरत से ज्यादा स्वादिष्ट भोजन करता है, तो उसका शरीर बीमारियों का घर बन जाता है। डायबिटीज, मोटापा, हाई बीपी, पाचन संबंधी रोग आदि अधिकांशतः स्वाद के अत्यधिक सेवन का ही परिणाम होते हैं। विदुर ने ऐसे लोगों को असंयमी कहा है और बताया है कि जो व्यक्ति अपने पेट और जीभ को नियंत्रित नहीं कर सकता, वह जीवन में बड़ी उपलब्धियां हासिल नहीं कर सकता।

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सादगी में ही है असली तृप्ति
महात्मा विदुर यह मानते थे कि असली संतोष और सुख उसी व्यक्ति को मिलता है जो साधारण और सादा भोजन करता है। ऐसा भोजन न केवल शरीर को पोषण देता है बल्कि मन को भी शांति देता है। उन्होंने यह भी कहा कि जो लोग दिन-रात स्वादिष्ट भोजन की चिंता करते हैं, वे कभी संतोष का अनुभव नहीं कर पाते। वे हमेशा किसी न किसी स्वाद की तलाश में भटकते रहते हैं, जिससे उनका जीवन अस्थिर हो जाता है।

भोजन को न बनाएं भोग का माध्यम
विदुर नीति में यह भी स्पष्ट किया गया है कि भोजन का उद्देश्य केवल भोग नहीं होना चाहिए बल्कि स्वस्थ शरीर और संयमित मन की प्राप्ति होना चाहिए। जब भोजन को भोग का माध्यम बना लिया जाता है, तब वह व्यक्ति शरीर और आत्मा दोनों को हानि पहुंचाता है। स्वादिष्ट भोजन में डूबा व्यक्ति आलसी हो जाता है, उसका आत्म-नियंत्रण कमजोर हो जाता है और वह धीरे-धीरे हर प्रकार की इंद्रिय-लालसाओं का शिकार बन जाता है।

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