Edited By Prachi Sharma,Updated: 15 Jul, 2025 07:00 AM
What is sin in Hinduism: हम सभी ने कहीं न कहीं या फिर माता पिता या घर के बड़ो से ये सुना होगा कि कभी किसी भी तरह का पाप न करना नहीं तो नरक में जाना होगा, सदा अच्छे कर्म करना। ऐसा ही हिंदू धर्म में कर्मों के बारे में बहुत ही गहराई में बताया गया है।...
शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
What is sin in Hinduism: हम सभी ने कहीं न कहीं या फिर माता पिता या घर के बड़ो से ये सुना होगा कि कभी किसी भी तरह का पाप न करना नहीं तो नरक में जाना होगा, सदा अच्छे कर्म करना। ऐसा ही हिंदू धर्म में कर्मों के बारे में बहुत ही गहराई में बताया गया है। अच्छे कर्म करने पर अच्छा फल मिलेगा और बुरा करने पर भी उसका फल भुगतना होगा। पौराणिक धार्मिक ग्रंथों के अनुसार मृत्यु के बाद जातक को अपने कर्मों के अनुसार ही स्वर्ग या नरक में स्थान मिलता है लेकिन आखिर ये पाप किसे कहा गया है और किन कार्यों को पाप माना गया है।
पाप यानी के ऐसा कार्य जो धर्म के विरुद्ध हो, जो धार्मिक या नैतिक सिद्धांतों के विरुद्ध हो पाप कहा जाता है और पाप करने वाले को पापी और अधर्मी कहा जाता है। बता दें कि हिंदू धर्म में पाप को तीन श्रेणियों में बांटा गया है। इसमें कायिक, मानसिक और वाचिक पाप आते हैं। हिंदू धर्म में दस तरह के अलग अलग पापों के बारे में बताया गया है जिन्हें अगर कोई व्यक्ति करता है उसे सजा दी जाती है।
सबसे पहले बात करते हैं कायिक की जिसको शारीरिक पाप भी कहा जाता है यानी की ऐसे पाप जो शरीर के द्वारा किए गए हो। ये ऐसे पाप है जब व्यक्ति किसी के ऊपर शारीरिक अत्याचार करें, या दर्द दें। इन पापों में जैसे चोरी करना, किसी की हत्या करना,शारीरिक हानि पहुंचाना और किसी पराई स्त्री के साथ शारीरिक संबंध बनाना आदि कायिक पाप माने जाते हैं।
अगले पाप की बात करें तो वाचिक पाप जिसे वाणी के द्वारा किए गए पाप माना जाता है। यदि कोई जातक किसी के प्रति गलत बोलता है, अपशब्द बोलता है, दूसरों की पीठ के पीछे बुराई करता है, जानबूझकर या बार बार झूठ बोलना है, किसी के साथ मिलकर किसी तीसरे की निंदा करना, आदि इसमें शामिल है। जो भी इन पापों को करता है उन्हें नरक की सजा भुगतनी पड़ती है।

आखिरी और तीसरी श्रेणी में मानसिक पाप आते हैं जो मन के द्वारा किए जाते हैं। इसमें किसी दूसरे के धन पर नज़र रखना, लालच करना, किसी से जलन करना, किसी के लिए बुरा सोचना या चाहना आदि शामिल है। ऐसे में अगर आप मन में भी किसी का बुरा सोचते हैं तो शास्त्रों के अनुसार इन्हें भी पाप माना जाएगा।
तो वहीं पुराणों में ऐसा कहा गया है कि श्री कृष्ण के अनुसार सबसे बड़ा पाप किसी स्त्री का अपमान, उसकी इज्जत से खेलना माना गया है। कहा जाता है कि ऐसे व्यक्ति को केवल एक जन्म में ही नहीं बल्कि आने वाले कई जन्मों तक इसका फल भोगना पड़ता है। इसके अलावा ब्राह्मण हत्या, गौ हत्या, बाल हत्या, कोख में ही शिशु को मार देना, चाहे फिर वो कोई और करें या स्त्री खुद करें इसे पाप ही माना जाएगा। उदरीनी हत्या यानी के गर्भवती स्त्री की हत्या करना भी महापापों में गिना जाता है।
