आप भी हैं अपनी कुलदेवी-कुलदेवता से अनजान, ये अदृश्य शक्तियां करती हैं परिवार की सुरक्षा

Edited By Niyati Bhandari,Updated: 16 Aug, 2023 11:09 AM

what is the meaning of kul kuldevi

कुलदेवता या देवी सम्बंधित व्यक्ति पारिवारिक संस्कारों के प्रति संवेदनशील होते हैं। उनकी पूजा पद्धति, विधर्मीय क्रियाओं अथवा

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How to know my Kuldevi Kuldevta: कुलदेवता या देवी सम्बंधित व्यक्ति पारिवारिक संस्कारों के प्रति संवेदनशील होते हैं। उनकी पूजा पद्धति, विधर्मीय क्रियाओं अथवा पूजाओं से रुष्ट हो सकते हैं। सामान्यतया इनकी पूजा वर्ष में एक बार अथवा दो बार निश्चित समय पर होती है। यह परिवार के अनुसार भिन्न समय होता है और विशिष्ट पद्धति भी होती है।

How to know who is your Kuldevta / Devi कैसे जानें कौन हैं आपके कुलदेवता /देवी
आज के समय में बहुतायत में पाया जा रहा है की लोगों को अपने कुलदेवता/देवी का पता ही नहीं है। वर्षों से कुलदेवता/देवी को पूजा नहीं मिल रही है। घर-परिवार का सुरक्षात्मक आवरण समाप्त हो जाने से अनेकानेक समस्याएं अनायास घेर रही हैं। नकारात्मक उर्जाओं की आवाजाही बगैर रोक-टोक हो रही है। वर्षों से स्थान परिवर्तन के कारण पता ही नहीं है की हमारे कुलदेवता/देवी कौन हैं ? कैसे उनकी पूजा होती है ? कब उनकी पूजा होती है? आदि। इस हेतु एक प्रभावी प्रयोग है, जिससे यह जाना जा सकता है की आपके कुलदेवता कौन हैं ?  

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यह एक साधारण किन्तु प्रभावी प्रयोग है, जिससे आप अपने कुलदेवता अथवा देवी को जान सकते हैं। प्रयोग को मंगलवार से शुरू करें और 11 मंगलवार तक करते रहें। मंगलवार को सुबह स्नान आदि से स्वच्छ पवित्र हो अपने देवी-देवता की पूजा करें। फिर एक साबुत सुपारी लेकर उसे अपना कुलदेवता/देवी मानकर स्नान आदि करवाकर, उस पर मौली लपेटकर किसी पात्र में स्थापित करें।इसके बाद आप अपनी भाषा में उनसे अनुरोध करें की "हे कुल देवता में आपको जानना चाहता हूं, मेरे परिवार से आपका विस्मरण हो गया है, हमारी गलतियों को क्षमा करते हुए हमें अपनी जानकारी दें, इस हेतु में आपका यहां आह्वान करता हूं, आप यहां स्थान ग्रहण करें और मेरी पूजा ग्रहण करते हुए अपने बारे में हमें बताएं।"

इसके बाद उस सुपारी का पंचोपचार पूजन करें। अब रोज रात को उस सुपारी से प्रार्थना करें की हे कुलदेवता/देवी में आपको जानना चाहता हूं, कृपा कर स्वप्न में मार्गदर्शन दीजिये। फिर सुपारी को तकिये के नीचे रखकर सो जाइए। सुबह उठाकर पुनः उसे पूजा स्थान पर स्थापित कर पंचोपचार पूजन करें। यह क्रम प्रथम मंगलवार से 11 मंगलवार तक जारी रखें। हर मंगलवार को व्रत रखें। इस अवधि के दौरान शुद्धता का विशेष ध्यान रखें, यहां तक की बिस्तर और सोने का स्थान तक शुद्ध और पवित्र रखें। ब्रह्मचर्य का पालन करें और मांस-मदिरा से पूर्ण परहेज रखें। इस प्रयोग की अवधि के अन्दर आपको स्वप्न में आपके कुलदेवता/देवी की जानकारी मिल जायेगी।

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अगर खुद न समझ सकें तो योग्य जानकार से स्वप्न विश्लेषण करवाकर जान सकते हैं। इस तरह वर्षों से भूली हुई कुलदेवता अथवा देवी की समस्या हल हो जाएगी। पूजा देने पर आपके परिवार की बहुत सारी समस्याएं समाप्त हो जायेंगी।

Significance of Kuldevta Kuldevi महत्व: प्रत्येक हिन्दू परिवार किसी न किसी ऋषि के वंशज हैं। जिनसे उनके गोत्र का पता चलता है, बाद में कर्मानुसार इनका विभाजन वर्णों में हो गया। विभिन्न कर्म करने के लिए जो बाद में उनकी विशिष्टता बन गया और जाति कहा जाने लगा। पूर्व के हमारे कुलों अर्थात पूर्वजों के खानदान के वरिष्ठों ने अपने लिए उपयुक्त कुल देवता अथवा कुलदेवी का चुनाव कर उन्हें पूजित करना शुरू किया था ताकि एक आध्यात्मिक और पारलौकिक शक्ति कुलों की रक्षा करती रहे। जिससे उनकी नकारात्मक शक्तियों/उर्जाओं और वायव्य बाधाओं से रक्षा होती रहे तथा वे निर्विघ्न अपने कर्म पथ पर अग्रसर रह उन्नति करते रहें। समय क्रम में परिवारों के एक-दूसरे स्थानों पर स्थानांतरित होने, धर्म परिवर्तन करने,आक्रान्ताओं के भय से विस्थापित होने, जानकार व्यक्ति के असमय मृत होने, संस्कारों के क्षय होने, विजातीयता पनपने, इनके पीछे के कारण को न समझ पाने आदि के कारण बहुत से परिवार अपने कुल देवता /देवी को भूल गए अथवा उन्हें मालूम ही नहीं रहा की उनके कुल देवता /देवी कौन हैं या किस प्रकार उनकी पूजा की जाती है।

इनमें पीढ़ियों से शहरों में रहने वाले परिवार अधिक हैं, कुछ स्वयंभू आधुनिक मानने वाले और हर बात में वैज्ञानिकता खोजने वालों ने भी अपने ज्ञान के गर्व में अथवा अपनी वर्त्तमान अच्छी स्थिति के गर्व में इन्हें छोड़ दिया या इन पर ध्यान नहीं दिया। कुल देवता /देवी की पूजा छोड़ने के बाद कुछ वर्षों तक तो कोई खास अंतर नहीं समझ में आता। किन्तु उसके बाद जब सुरक्षा चक्र हटता है तो परिवार में दुर्घटनाओं, नकारात्मक ऊर्जा, वायव्य बाधाओं का बेरोक-टोक प्रवेश शुरू हो जाता है। उन्नति रुकने लगती है ,पीढ़ियां अपेक्षित उन्नति नहीं कर पाती, संस्कारों का क्षय, नैतिक पतन, कलह, उपद्रव, अशांति शुरू हो जाती हैं। व्यक्ति कारण खोजने का प्रयास करता है, कारण जल्दी नहीं पता चलता क्योंकि व्यक्ति की ग्रह स्थितियों से इनका बहुत मतलब नहीं होता है।

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अतः ज्योतिष आदि से इन्हें पकड़ना मुश्किल होता है, भाग्य कुछ कहता है और व्यक्ति के साथ कुछ और घटता है, कुल देवता या देवी हमारे वह सुरक्षा आवरण हैं। जो किसी भी बाहरी बाधा, नकारात्मक ऊर्जा के परिवार में अथवा व्यक्ति पर प्रवेश से पहले सर्वप्रथम उससे संघर्ष करते हैं और उसे रोकते हैं। यह पारिवारिक संस्कारों और नैतिक आचरण के प्रति भी समय-समय पर सचेत करते रहते हैं। यही किसी भी ईष्ट को दी जाने वाली पूजा को इष्ट तक पंहुचाते हैं। यदि इन्हें पूजा नहीं मिल रही होती है तो यह नाराज भी हो सकते हैं और निर्लिप्त भी हो सकते हैं। ऐसे में आप किसी भी इष्ट की आराधना करें, वह उस इष्ट तक नहीं पहुंचती क्योंकि सेतु कार्य करना बंद कर देता है, बाहरी बाधाएं, अभिचार आदि नकारात्मक ऊर्जा बिना बाधा व्यक्ति तक पहुंचने लगती हैं। कभी-कभी व्यक्ति या परिवारों द्वारा दी जा रही इष्ट की पूजा कोई अन्य बाहरी वायव्य शक्ति लेने लगती है अर्थात पूजा न तो इष्ट तक जाती है न तो उसका लाभ मिलता है। ऐसा कुल देवता की निर्लिप्तता अथवा उनके कम शशक्त होने से होता है।

शादी-विवाह-संतानोत्पत्ति आदि होने पर इन्हें विशिष्ट पूजाएं भी दी जाती हैं। यदि यह सब बंद हो जाएं तो या तो यह नाराज होते हैं या कोई मतलब न रख मूकदर्शक हो जाते हैं। परिवार बिना किसी सुरक्षा आवरण के पारलौकिक शक्तियों के लिए खुल जाता है। परिवार में विभिन्न तरह की परेशानियां शुरू हो जाती हैं। अतः प्रत्येक व्यक्ति और परिवार को अपने कुल देवता या देवी को जानना चाहिए तथा यथायोग्य उन्हें पूजा प्रदान करनी चाहिए, जिससे परिवार की सुरक्षा उन्नति होती रहे।

वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड राष्ट्रीय गौरव रत्न से विभूषित
पंडित सुधांशु तिवारी
एस्ट्रोलॉजर/ ज्योतिषाचार्य
 9005804317

 

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