Ramayan: आखिर क्यों अकेला सोता था रावण, क्या आप जानते हैं इसकी वजह?

Edited By Jyoti,Updated: 19 Apr, 2022 12:41 PM

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रामायण के मुख्या पात्रों में से एक था रावण का भाई कुंभकरण जो अपनी नींद की वजह से काफी प्रसिद्ध था। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार उसे परमपिता ब्रह्मा जी से श्राप में वर्ष के 6 माह सोने का श्राप मिला था।

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रामायण के मुख्या पात्रों में से एक था रावण का भाई कुंभकरण जो अपनी नींद की वजह से काफी प्रसिद्ध था। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार उसे परमपिता ब्रह्मा जी से श्राप में वर्ष के 6 माह सोने का श्राप मिला था। आज भी इसे इसकी नींद के लिए ही जाना चाहता है। पर क्या आप में से कोई जानता है लंकापति रावण का भी एक ही नींद से जुड़ा किस्सा है? जी हां, धार्मिक शास्त्रों के अनुसार इतने बडे़ राज्य का राजा रावण , ब्राह्मांड की समस्त सुंदरियों होने के बावजूद अकेला सोता था। आप में से बुहुत से लोग शायद इस बात पर यकीन नहीं कर होंगे। परंतु प्रचलित लोक कथा के अनुसार रावण अपने अधिकतर जीवन काल में अकेला ही सोया है। इससे पहले आपकी इससे जुड़ी जानकारी को जानने की उत्सुक्ता और बढ़ जाए चलिए जानते हैं आखिर क्यों रावण अकेला सोता था?
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क्यों रावण अकेला सोता था- 
लोक प्रचलित कथा की मानें तो रामायण काल में यानि त्रेता युग के दौरान जब पवनपुत्र हनुमान जी 100 योजन समुद्र पार करके लंका पहुंचे थे तब उनके मार्ग में कई राक्षस आए जिनका वध करके उन्होंने लंका में प्रवेश किया था। लंका पहुंचकर वे सबसे पहले रावण के कक्ष में पहुंचें, तो उन्होंने देखा वह अकेला ही अपने कक्ष में सो रहा था। सके आस-पास कोई भी नहीं था। हनुमान जी को बड़ा हैरानी हुई कि आखिर इतना बड़ा राजा,जिसके आगे पीछे ब्राह्मांड की कई विश्व सुंदरियों घूमती है, वह अकेला सो रहा था। प्रचलित कथाओं के अनुसार ये सब सोचते हुए जब हनुमान जी ने और गौर से देखा तो उन्हें ज्ञात हुआ कि असल में रावण खर्राटे लेता हुआ सो रहा था। ऐसा कहा जाता है कि इसी कारण से रावण अकेला सोता था। 

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इसके अलावा आईए जानते हैं रावण की मृत्यु का असली किसका उन्हें श्राप देना था-
कहा जाता है धार्मिक शास्त्रों में एक कथा वर्णित है जिसके अनुसार रावण भगवान शंकर का परम भक्त था। वे शिव शंभू को अपना आराध्य मानता था और उनकी बहुत कठिन तपस्या करता था। परंतु क्या आपको पता है कि रावण के आराध्य शिव शंकर के वाहन नंदी ने ही रावण को उसकी मृत्यु से जुड़ा श्राप दिया था। लोक कथाओं के अनुसार भगवान शिव के बैल नंदी ने रावण को श्राप दिया था कि एक वानर ही उसके विनाश का कारण बनेगा। इतना ही नहीं नंदी के श्राप से ही लंका दहन हुआ था। रामायण में जब बजरंगबली लंका में माता सीता को श्री राम का संदेश आए थे तो उन्होंने रावण की लंका में आग लगा दी थी।  
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