Edited By rajesh kumar,Updated: 23 Sep, 2021 12:35 PM
केंद्र सरकार ने बुधवार को उच्चतम न्ययालय को सूचित किया कि सामान्य स्कूलों में दिव्यांग बच्चों के लिए विशेष शिक्षकों का शिक्षक-छात्र अनुपात तय करना ‘‘व्यावहारिक नहीं है'''' क्योंकि वहां इस तरह के छात्रों की संख्या के बारे में अनिश्चितता होती है।
नेशनल डेस्क: केंद्र सरकार ने बुधवार को उच्चतम न्ययालय को सूचित किया कि सामान्य स्कूलों में दिव्यांग बच्चों के लिए विशेष शिक्षकों का शिक्षक-छात्र अनुपात तय करना ‘‘व्यावहारिक नहीं है'' क्योंकि वहां इस तरह के छात्रों की संख्या के बारे में अनिश्चितता होती है। न्यायमूर्ति ए. एम. खानविलकर की अध्यक्षता वाली पीठ से सरकार ने कहा कि नीति यह है कि सामान्य शिक्षकों को प्रशिक्षित किया जाए ताकि वे दिव्यांग बच्चों की आवश्यकताओं काो पूरा कर सकें और इसे ‘‘सक्रियता'' से किया जा रहा है।
शिक्षा मंत्रालय की तरफ से पेश हुईं अतिरिक्त सोलीसीटर जनरल (एएसजी) माधवी दीवान ने कहा कि सामान्य स्कूल और विशेष स्कूल विशेष जरूरतों वाले बच्चों की विशिष्ट आवश्यकताओं को पूरा करते हैं। एएसजी ने पीठ से कहा, ‘‘सामान्य स्कूल में किसी कक्षा में कितने दिव्यांग बच्चे हैं, इसकी अनिश्चितता और दिव्यांगता के अलग-अलग प्रकार को देखते हुए हमारा मानना है कि विशिष्ट अनुपात तय करना संभव और व्यावहारिक नहीं है।
इसलिए नीति यह है कि अधिक से अधिक शिक्षकों को प्रशिक्षित किया जाए ताकि वे दिव्यांग बच्चों की जरूरतों को पूरा कर सकें। इसे सक्रियता से किया जा रहा है।'' पीठ में न्यायमूर्ति दिनेश माहेश्वरी और न्यायमूर्ति सी. टी. रविकुमार भी थे। पीठ दिव्यांग बच्चों को गुणवत्तापरक शिक्षा एवं प्रशिक्षण देने के लिए इसके मुताबिक योग्य विशेष शिक्षकों की नियुक्ति से जुड़ी एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी। इसने मामले में अपना फैसला सुरक्षित रख लिया।