सुल्तान के 9 साल पूरे: सलमान खान की बदलाव की वो 5 झलकियां जो आज भी भर देती हैं जोश

Updated: 07 Jul, 2025 02:06 PM

salman khan s sultan completes 9 years

आइए जानें वो 5 वजहें जिनकी वजह से सलमान की सुल्तान वाली मेहनत आइकॉनिक बन गई और कैसे उसने तैयारी के स्तर को नई ऊंचाई दी।

नई दिल्ली/टीम डिजिटल। 2016 में आई सलमान खान की फिल्म ‘सुल्तान’ को रिलीज़ हुए 9 साल हो गए, लेकिन आज भी ये फिल्म उनकी सबसे दमदार और मेहनत भरी परफॉर्मेंस में से एक मानी जाती है। लोगों को इसकी कहानी तो पसंद आई ही, लेकिन सबसे ज़्यादा ध्यान खींचा सलमान खान के गजब के बदले हुए लुक और उनके जज़्बे ने जिसमें जबरदस्त फिजिकल और मेंटल ट्रांसफॉर्मेशन शामिल है।

आइए जानें वो 5 वजहें जिनकी वजह से सलमान की सुल्तान वाली मेहनत आइकॉनिक बन गई और कैसे उसने तैयारी के स्तर को नई ऊंचाई दी:

1. एक ही फिल्म में जबरदस्त वजन बढ़ाया और घटाया!

सलमान ने सुल्तान के लिए सिर्फ मसल्स नहीं बनाए, बल्कि उन्होंने एक युवा, चुस्त रेसलर और उसी किरदार के उम्रदराज़, भारी शरीर वाले रूप – दोनों को निभाया। यह ट्रांसफॉर्मेशन असली था और स्क्रीन पर साफ दिखाई दिया। चट्टान जैसे ऐब्स से लेकर थके-हारे शरीर तक, सलमान ने सुल्तान के उठने, गिरने और फिर से उठ खड़े होने के सफर को अपने शरीर के ज़रिए ज़िंदा कर दिया।

2. असली टेक्निक के साथ सीखी कुश्ती और MMA 

यह सिर्फ फिल्मी फाइट नहीं थी। सलमान ने ट्रेडीशनल कुश्ती और मॉडर्न MMA की असली ट्रेनिंग ली। उन्होंने असली पहलवानों और कोचों के साथ मिलकर हर दांव-पेंच, हर स्लैम, होल्ड और लॉक को सीखा। स्क्रीन पर जो फाइट्स दिखीं, वो बनावटी नहीं थीं बल्कि सलमान ने हर एक मुकाबले को जिया था।

3. जबरदस्त देसी स्टाइल में की ट्रेनिंग

यह कोई ग्लैमरस जिम वर्कआउट नहीं था। सलमान ने एक देसी पहलवान की तरह ट्रेनिंग की जैसे ट्रक के टायर पलटे, रस्सियों पर चढ़े, वज़न घसीटे और कीचड़ वाले अखाड़ों में पसीना बहाया। यह ट्रेनिंग रॉ, रियल और सुल्तान की दुनिया जैसी सख्त थी। हर सीन में उनका शारीरिक संघर्ष साफ झलकता है।

4. पूरी तरह लगे एक अनुभवी पहलवान

चलने के अंदाज़ से लेकर चेहरे के सख़्त हावभाव तक, सलमान ने एक हरियाणवी पहलवान के किरदार को जीवंत कर दिया था। उनका लहजा, बॉडी लैंग्वेज और स्क्रीन पर मौजूदगी सब कुछ यही बताता था कि ये किरदार निभाया नहीं, बल्कि जिया गया है। इस रोल में सलमान की स्टारडम पीछे रह गई और सुल्तान का किरदार आगे निकल गया।

5. लड़ाई में भी दिखा जज़्बातों का दम

सुल्तान सिर्फ़ मारधाड़ की फिल्म नहीं थी, उसमें दिल भी था। सलमान ने बस डोले नहीं दिखाए, हर चोट, हर पछतावा, हर वापसी को जीकर दिखाया। बच्चे को खोने का ग़म हो या अंदर की लड़ाई, सब कुछ चेहरे पर साफ़ दिखता था। उन्होंने लड़ाई को बस लड़ाई नहीं, एक जज़्बाती सफर बना दिया।

जब सुल्तान की 9वीं सालगिरह पर फैंस पुरानी यादों में खोए हैं, सलमान पहले ही अपनी अगली जबरदस्त फिल्म ‘बैटल ऑफ गलवान’ की तैयारी में जुट चुके हैं।
यह फिल्म गलवान घाटी की असली घटना पर आधारित है। हमेशा खुद को चुनौती देने वाले सलमान इस बार एक फौजी की भूमिका में नजर आएंगे और इसके लिए उन्होंने मिलिट्री ट्रेनिंग शुरू कर दी है। वे टैक्टिकल ड्रिल्स कर रहे हैं और फौजी अनुशासन में खुद को ढाल रहे हैं। अगर 'सुल्तान' ज़िंदगी से लड़ने की कहानी थी, तो 'बैटल ऑफ गलवान' देश के लिए लड़ने का जुनून है।

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