The Trial 2 Review:रिश्तों की उलझन और राजनीतिक चालों के बीच काजोल दमदार, लेकिन कहानी कमजोर

Updated: 19 Sep, 2025 01:48 PM

the trial 2 review in hindi

यहां पढ़ें कैसी है सीरीज द ट्रायल सीजन 2

सीरीज : द ट्रायल सीजन 2  (The Trial Season 2)  
कलाकार : काजोल (Kajol), जीशु सेनगुप्ता (Jisshu Sengupta), अली खान (alyy Khan), शीबा चड्ढा (Sheeba Chaddha) आदि
निर्देशक : उमेश बिष्ट (Umesh bisht)

ओटीटी प्लेटफॉर्म: जियो हॉटस्टार
रेटिंग: 3*

The Trial Season 2: बॉलीवुड एक्ट्रेस काजोल एक बार फिर अपनी सीरीज द ट्रायल के दूसरे सीजन में लौट आई हैं। अमेरिकन सीरीज़ ‘The Good Wife’ से प्रेरित यह शो कोर्ट रूम ड्रामा, पारिवारिक तनाव और राजनीतिक साजिशों के ताने-बाने को जोड़ता है। हालांकि, इस बार कहानी की धार कुछ कमजोर दिखती है। आइए जानते हैं जियो हॉटस्टार पर रिलीज हुई सीरीज द ट्रायल कैसी है।

कहानी
कहानी वहीं से आगे बढ़ती है जहां पहला सीजन खत्म हुआ था। नोयोनिका सेनगुप्ता (काजोल) अब भी अपने बिखरे रिश्तों और पेशेवर चुनौतियों से जूझ रही है। पति राजीव (जीशु सेनगुप्ता) अब राजनीतिक मैदान में उतर चुका है, जिससे उनके संबंध और भी तल्ख हो जाते हैं। इस तनाव का असर उनके बच्चों पर भी दिखता है। इस बार राजीव की विरोधी नेता नारायणी भोले (सोनाली कुलकर्णी) की एंट्री से नोयोनिका की ज़िंदगी और उलझ जाती है। परिवार की सुरक्षा, बच्चों का भविष्य और रिश्तों की सच्चाई के बीच नोयोनिका को नए मोर्चों पर भी संघर्ष करना पड़ता है।

पेशेवर मोर्चे पर भी हालात आसान नहीं हैं। विशाल (अली खान) अब भी उसके लिए कुछ महसूस करता है, लेकिन हालात उन्हें करीब नहीं आने देते। फर्म के नए पार्टनर परम मुंजाल (करणवीर वर्मा) और धीरज (गौरव पांडे) की चालें नोयोनिका के लिए नई मुश्किलें खड़ी करती हैं।

अभिनय
काजोल इस सीरीज की सबसे मजबूत कड़ी हैं। उन्होंने अपने किरदार को संवेदनशीलता और ताकत के साथ निभाया है। हालांकि कहानी की कमजोरियां उनके अभिनय की गहराई को पूरी तरह निखार नहीं पातीं। जीशु सेनगुप्ता ने एक महत्वाकांक्षी और चालाक पति के किरदार को ईमानदारी से निभाया है। वहीं अली खान एक तेज-तर्रार वकील के रूप में विश्वसनीय लगते हैं। शीबा चड्ढा इस बार कोई खास प्रभाव नहीं छोड़ पाईं, जबकि कुब्रा सैत की मौजूदगी का उद्देश्य समझ नहीं आता। सोनाली कुलकर्णी की एंट्री में वजन है, लेकिन उन्हें पूरी तरह एक्सप्लोर नहीं किया गया।

निर्देशन 
उमेश बिष्ट  ने एक बार फिर रिश्तों और पेशेवर जीवन की जटिलताओं को दिखाने की कोशिश की है, लेकिन इस बार कहानी में नयापन और गति की कमी महसूस होती है। कोर्ट रूम ड्रामा, जो पहले सीजन की जान था, इस बार फीका पड़ गया है। तेज बहसें, जटिल केस और वकीलों की टकराहट इस बार मिसिंग है। द ट्रायल सीजन 2 एक दिलचस्प सेटअप के साथ लौटता है, लेकिन स्क्रिप्ट की कमजोरी और धीमी गति इसकी चमक को कम कर देती है। 

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