विजेता : ए रियल-लाइफ जर्नी, यानी 'नगण्य से खास बनने की कहानी'

Updated: 19 Sep, 2025 06:53 PM

vijeyta movie review in hindi

यहां पढ़ें कैसी है फिल्म विजेता

फिल्म: विजेता
निर्माता : राजेश के. अग्रवाल
निर्देशक : राजीव एस. रुईया
कलाकार : रवि भाटिया, भारती अवस्थी, ज्ञान प्रकाश, दीक्षा ठाकुर, गोदान कुमार, प्रीटी अग्रवाल नीरव पटेल, ओपी सोनी 'ओम' 
स्टार : 3*

 

विजेता: विजेता’ वह होता है जो कभी हार नहीं मानता और 'जीरो टू हीरो' का मतलब होता है नगण्य व्यक्ति का महत्वपूर्ण बन जाना। बहुत कुछ इसी थीम पर आधारित है आरकेजी मूवीज़ के बैनर तले डॉ. राजेश के. अग्रवाल द्वारा निर्मित और 'माय फ्रेंड गणेशा','माय फ्रेंड गणेशा 2','एक्स रेः द इनर इमेज' और 'जलसा : ए फैमिली इन्विटेशन' जैसी फिल्मों के जरिये दर्शकों का भरपूर मनोरंजन कर चुके निर्देशक राजीव एस. रुईया के डायरेक्शन में बनी 19 सितम्बर को थिएटरों में आने वाली फिल्म 'विजेता : जीरो टू हीरो: ए रियल-लाइफ जर्नी'। दरअसल, 'विजेता' एक साहसी, जज्बाधारी, हिम्मतवाले और हौसलेमंद नायक की कहानी है, जिसका यथार्थवाद, आशा और भावनात्मक गहराई के मिश्रण के जरिये दर्शकों को भरपूर प्रेरित करेगा। यानी, यह एक प्रेरणादायक फ़िल्म है, जो 'जीरो टू हीरो' की सच्ची कहानी पर आधारित है, जिसमें एक आम इंसान की मेहनत और आत्मविश्वास से सफल बनने की यात्रा दिखाई गई है। कह सकते हैं कि 'ज़ीरो से हीरो' तक का एक सशक्त सिनेमाई सफ़र, यह कहानी एक अविश्वसनीय सच्ची घटना पर आधारित है।

'विजेता' निर्माता डॉ. राजेश के. अग्रवाल के जीवन पर आधारित है, जो कोलकाता में एक किशोर मज़दूर के रूप में शुरुआत करते हुए दुबई में एक अरबपति उद्यमी और वैश्विक स्थिरता के लिए एक वैश्विक आवाज बन गया। यह फिल्म राजेश के. अग्रवाल की पारिवारिक जिम्मेदारियों, व्यावसायिक प्रतिद्वंद्विता, व्यक्तिगत त्रासदियों और अंडरवर्ल्ड की धमकियों से संघर्ष और अंततः एक ऐसे परोपकारी व्यक्ति के रूप में उनके उत्थान को दर्शाती है, जो दुनिया भर में जीवन को सार्थक आकार देता है। कोलकाता में अपने पिता के पारिवारिक व्यवसाय में सहायक के रूप में काम करने से लेकर राजेश बनियान और फिर आरकेजी इंटरनेशनल एफजेडसी की स्थापना तक, जो आज 33 देशों में कार्यरत एक वैश्विक मेटल रीसाइक्लिंग दिग्गज है, राजेश अग्रवाल का जीवन धैर्य और संघर्ष का साक्षात उदाहरण है। आज वह केवल एक बिजनेस लीडर ही नहीं, बल्कि शिक्षा, स्वास्थ्य और पर्यावरण के क्षेत्र में कार्यरत एक समाजसेवी भी हैं।


कहानी 
'विजेता' की कहानी डॉ. राजेश के. अग्रवाल की प्रेरणादायी यात्रा से प्रेरित है। कोलकाता का 17 वर्षीय राजेश, अपने पिता और बड़े भाई के साथ एक मध्यमवर्गीय परिवार में रहता है, जो मौसमी मफलर का व्यवसाय चलाता है। महत्वाकांक्षी और उद्यमी, राजेश बाजार में एक कमी को पहचानता है और बनियान निर्माण का व्यवसाय शुरू करता है, जो उसकी मेहनत और ईमानदारी के दम पर देखते ही देखते सफलता का कीर्तिमान गढ़ने लगता है। उसकी शादी मंजू से होती है, जो बाद में राजेश की एक कर्मठ सहयोगी साथी बनती है। इधर, बनियान का कारोबार फल-फूल रहा है, उसी दौरान राजेश आरकेजी इंटरनेशनल एफजेडसी की स्थापना कर मेटल रीसाइक्लिंग का कारोबार शुरू कर देता है, जो 33 देशों में पांव पसारने के साथ ही वैश्विक लाभदायक व्यवसाय साबित होता है। हालांकि, राजेश और मंजू के चार बच्चे होते हैं, लेकिन जिंदा नहीं बचते हैं। वहीं, राजेश की मां विजयलक्ष्मी का भी कैंसर से निधन हो जाता है। इसके बाद राजेश के जीवन में व्यक्तिगत त्रासदियों का दौर शुरू हो जाता है। अपनी मां की अंतिम इच्छा के अनुसार राजेश का परिवार मुंबई से एक बच्चे को गोद लेता है, जिससे उनके जीवन में आशा की किरण लौट आती है। उसके बाद राजेश अपने बनियान व्यवसाय का विस्तार करने के लिए मुंबई आ जाता है, और बाद में अपने भाई को भी अपने साथ आने के लिए मना लेता है। लेकिन, जैसे ही जीवन स्थिरता की ओर कदम बढ़ाता है, परिवार को कानूनी परेशानियों का सामना करना पड़ना है। यहां उनकी बढ़ती सफलता जबरन वसूली करने वालों का अवांछित ध्यान आकर्षित करती है।  लेकिन, चुनौतियों के बीच, राजेश अपने परिवार की रक्षा और एक समृद्ध भविष्य सुनिश्चित करने के लिए दृढ़ संकल्पित रहता है और अंतत: विजय हासिल करके ही दम लेता है।


अभिनय 
इस फिल्म में राजेश की भूमिका में रवि भाटिया पूरी फिल्म में छाए हुए हैं या यूं कहिए कि पूरी फिल्म उन्हीं के मजबूत कंधों पर टिकी है। उनके किरदार में इमोशंस की भरमार हैं, यानी जीत—हार से लेकर संघर्ष, अवसाद, आशा निराशा सबका मिश्रण है और सभी रूप मेंं वह बेजोड़ साबित हुए हैं। उनके पिता की भूमिका में दिग्गज अभिनेता ज्ञान प्रकाश ने उनका अच्छा साथ दिया है। फिल्म में दीक्षा ठाकुर, गोदान कुमार, प्रीटी अग्रवाल जैसे अन्य कलाकार भी शामिल हैं, जो राजेश अग्रवाल के जीवन को आकार देने वाले लोगों और रिश्तों को जीवंत करते हैं। इस फिल्म से मूल रूप से अयोध्या की रहने वाली भारती अवस्थी भी बॉलीवुड में डेब्यू कर रही हैं और फिल्म में रवि की पत्नी मंजू के रोल में निश्चित ही उन्होंने अपनी पहली ही फिल्म से अभिनय की अमिट छाप छोड़ी है। विदिशा के कलाकार ओपी सोनी 'ओम' भी डॉक्टर की भूमिका में जंचे हैं।

निर्देशन 
फिल्म की पूरी शूटिंग मुंबई में ही हुई है। निर्देशक राजीव एस. रुईया ने फिल्म के हर एंगल में न केवल अपनी पैनी निगाह रखी है, बल्कि किस कलाकार से क्या और कैसा काम लेना है, यह भी बखूबी कर दिखाया है। फिल्म का छायांकन भी अद्भुत है। बीते हुए समय को दिखाने के लिए सेपिया टोन का इस्तेमाल, संघर्ष के लिए गहरे कंट्रास्ट का उपयोग और विजयोल्लास के लिए भव्य दृश्य का फिल्मांकन कहानी की वास्तविक नाटकीयता में गहरे रंग भरता है। कुल मिलाकर सामान्य से खास बनने की कहानी कहने वाली फिल्म 'विजेता' युवाओं को बेहद प्रभावित करने वाली है, क्योंकि यह केवल वित्तीय सफलता की कहानी नहीं है, बल्कि लचीलेपन, नैतिकता और सभी बाधाओं से ऊपर उठने की इच्छाशक्ति की कहानी है। राजेश के. अग्रवाल की यात्रा ऐसी है जिसे दुनिया को देखने की जरूरत है। कुल मिलाकर, अगर आपको मोटिवेशनल फिल्में, वास्तविक जीवन की सफलता की कहानियां और भावनात्मक सफर पसंद हैं, तो 'विजेता' आपके लिए जरूर देखने योग्य है।

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