Edited By Shubham Anand,Updated: 16 Dec, 2025 08:57 PM

डिजिटल दौर में बिना सोचे-समझे की गई कुछ गूगल सर्च आपको कानूनी मुसीबत में डाल सकती हैं। गूगल सर्च, आईपी एड्रेस और लोकेशन जैसी जानकारी रिकॉर्ड होती है, जिसे कानून एजेंसियां जरूरत पड़ने पर हासिल कर सकती हैं। हथियार, ड्रग्स, हैकिंग, चाइल्ड पोर्नोग्राफी,...
नेशनल डेस्क : डिजिटल युग में आज हर जानकारी महज एक सर्च की दूरी पर है। पढ़ाई, कामकाज या सामान्य जिज्ञासा के चलते लोग अक्सर बिना ज्यादा सोचे-समझे गूगल पर कुछ भी टाइप कर देते हैं। हालांकि, बहुत कम लोगों को यह पता होता है कि कुछ खास तरह की ऑनलाइन सर्च आपको सीधे कानूनी मुश्किलों में डाल सकती हैं। कई मामलों में केवल संवेदनशील या गलत सर्च के आधार पर पुलिस जांच तक शुरू हो सकती है।
आपकी हर ऑनलाइन गतिविधि पर रहती है डिजिटल नजर
विशेषज्ञों के अनुसार, गूगल सर्च हिस्ट्री, आईपी एड्रेस, डिवाइस डिटेल्स और लोकेशन जैसी डिजिटल जानकारियां इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर्स और टेक प्लेटफॉर्म्स के पास रिकॉर्ड होती हैं। जरूरत पड़ने पर कानून प्रवर्तन एजेंसियां कोर्ट के आदेश के जरिए इन डेटा को हासिल कर सकती हैं। भारत में आईटी एक्ट और अन्य आपराधिक कानूनों के तहत डिजिटल सबूतों के आधार पर कार्रवाई की जाती है, खासकर जब किसी ऑनलाइन गतिविधि से अपराध या सुरक्षा खतरे की आशंका सामने आती है।
किन तरह की सर्च पर तुरंत हो सकता है शक?
सुरक्षा एजेंसियों के मुताबिक, यदि कोई व्यक्ति हथियार बनाने का तरीका, बम या जहरीले पदार्थ तैयार करने की जानकारी, अपहरण की योजना, हिटमैन ढूंढने से जुड़े सवाल, ड्रग्स बनाने या खरीदने की जानकारी, या किसी सरकारी अथवा सार्वजनिक स्थान पर हमले से संबंधित विवरण सर्च करता है, तो वह सीधे जांच एजेंसियों की निगरानी में आ सकता है। आतंकवाद से जुड़े कीवर्ड और संगठनों के नाम भी अत्यंत संवेदनशील माने जाते हैं।
चाइल्ड पोर्नोग्राफी से जुड़ी सर्च सबसे गंभीर अपराध
इंटरनेट से जुड़े अपराधों में सबसे गंभीर अपराधों में चाइल्ड सेक्सुअल कंटेंट से जुड़ी गतिविधियां शामिल हैं। भारत में POCSO अधिनियम और आईटी एक्ट के तहत इस तरह के कंटेंट को सर्च करना, देखना, स्टोर करना या डाउनलोड करना पूरी तरह गैरकानूनी है। ऐसे मामलों में कई वर्षों की जेल और भारी जुर्माने का प्रावधान है।
हैकिंग से जुड़ी जानकारी भी बढ़ा सकती है परेशानी
किसी का सोशल मीडिया अकाउंट हैक करने का तरीका, वाई-फाई पासवर्ड तोड़ने की विधि या हैकिंग टूल्स से जुड़ी जानकारी सर्च करना भी साइबर अपराध की श्रेणी में आता है। आईटी एक्ट, 2000 के तहत अनधिकृत सिस्टम एक्सेस या हैकिंग से जुड़ी गतिविधियां अपराध मानी जाती हैं। इसके अलावा, ऐसी सर्च आपके डिवाइस को मालवेयर और साइबर हमलों के खतरे में भी डाल सकती हैं।
पायरेटेड मूवी और कंटेंट की सर्च भी अपराध
फ्री मूवी डाउनलोड, नई फिल्म मुफ्त में देखने या पायरेटेड वेबसाइट्स से कंटेंट हासिल करने से जुड़ी सर्च भले ही आम लगती हों, लेकिन ये भी कानूनन अपराध हैं। कॉपीराइट कानून के तहत पायरेसी से जुड़े मामलों में जुर्माने के साथ-साथ जेल की सजा का भी प्रावधान है। विशेषज्ञ सुरक्षित और कानूनी विकल्प के तौर पर ओटीटी प्लेटफॉर्म्स के इस्तेमाल की सलाह देते हैं।
ड्रग्स, हथियार और डार्क वेब से जुड़ी सर्च पर सख्त निगरानी
ड्रग्स, अवैध हथियारों की खरीद-बिक्री या डार्क वेब मार्केट से संबंधित जानकारी सर्च करना भी गंभीर अपराधों की श्रेणी में आता है। ऐसे मामलों पर नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो और साइबर सुरक्षा एजेंसियां लगातार नजर रखती हैं। बार-बार इस तरह की सर्च करने पर व्यक्ति की डिजिटल गतिविधियों पर विशेष निगरानी शुरू हो सकती है, जिससे आगे कानूनी कार्रवाई की संभावना बढ़ जाती है।