अफगान-पाक वार्ता तीसरी बार भी नाकाम, तालिबान ने दिखा दिया ठेंगा, भड़के ख्वाजा आसिफ बोले- अब हमला हुआ तो ...

Edited By Updated: 08 Nov, 2025 11:36 AM

afghanistan pakistan talks end without agreement

अफगानिस्तान और पाकिस्तान के बीच दो दिन चली वार्ता बिना किसी परिणाम के खत्म हो गई। पाकिस्तान ने अफगान तालिबान से लिखित रूप में यह आश्वासन मांगा था कि उसकी भूमि का उपयोग पाकिस्तान पर हमले के लिए नहीं होगा, परंतु तालिबान ने इसे अस्वीकार कर दिया। रक्षा...

International Desk: अफगानिस्तान और पाकिस्तान के बीच सीमा पार आतंकवाद के मुद्दे पर चली शांतिवार्ता एक बार फिर बिना किसी समझौते के समाप्त हो गई। दो दिनों तक चली इस तीसरे दौर की वार्ता में तालिबान सरकार से लिखित प्रतिबद्धता नहीं मिल सकी कि वह पाकिस्तानी आतंकवादी संगठन तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) के खिलाफ कार्रवाई करेगा, जो अफगान भूमि का उपयोग कर पाकिस्तान पर हमले कर रहा है।

 

पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने शुक्रवार रात एक निजी टीवी चैनल से बातचीत में कहा, “वार्ता पूरी तरह ठप हो चुकी है। अब चौथे दौर की कोई योजना नहीं है।” आसिफ ने बताया कि मध्यस्थ देश तुर्की और कतर ने दोनों पक्षों के बीच तनाव कम करने के लिए पूरी कोशिश की,“वे हमारी बात से सहमत थे, यहां तक कि अफगान प्रतिनिधिमंडल ने भी हमारी स्थिति को समझा, लेकिन वे किसी भी समझौते पर हस्ताक्षर करने को तैयार नहीं थे।” उन्होंने कहा कि अफगान पक्ष मौखिक आश्वासनों की बात कर रहा था, लेकिन पाकिस्तान ने लिखित समझौते की मांग पर जोर दिया।


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“अंतरराष्ट्रीय वार्ताओं में केवल मौखिक भरोसे पर निर्णय नहीं होते,” आसिफ ने कहा। मंत्री ने चेतावनी दी कि अगर अफगान भूमि से कोई हमला हुआ तो पाकिस्तान “जवाबी कार्रवाई करेगा।” हालांकि उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि जब तक कोई आक्रामकता नहीं होगी, युद्धविराम बरकरार रहेगा। इसी बीच पाकिस्तान के सूचना मंत्री अत्ताउल्ला तारार ने कहा कि अफगान तालिबान पर यह जिम्मेदारी है कि वह आतंकवाद नियंत्रण को लेकर अपनी अंतरराष्ट्रीय, क्षेत्रीय और द्विपक्षीय प्रतिबद्धताओं को पूरा करे, जिसमें अब तक वह विफल रहा है।


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उन्होंने कहा,“पाकिस्तान को अफगान जनता से कोई दुश्मनी नहीं है, लेकिन वह तालिबान शासन के उन कदमों का समर्थन नहीं करेगा जो अफगान जनता या पड़ोसी देशों के हितों के खिलाफ हों।”इन वार्ताओं की शुरुआत 29 अक्टूबर को दोहा में हुई थी, जबकि पिछली बैठकें 25 अक्टूबर को इस्तांबुल में हुईं, जो भी निष्फल रही थीं। 11 से 15 अक्टूबर के बीच दोनों देशों में हुई झड़पों में कई लोगों की मौत हुई थी, जिसके बाद यह बातचीत शुरू की गई थी।

 

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