Edited By Rohini Oberoi,Updated: 21 Dec, 2025 02:00 PM

जर्मनी के आचेन (Aachen) शहर से एक ऐसा रोंगटे खड़े कर देने वाला मामला सामने आया है जिसने रिश्तों के भरोसे और डिजिटल सुरक्षा पर बड़े सवाल खड़े कर दिए हैं। एक पति, जिसे अपनी पत्नी का रक्षक होना चाहिए था वही सालों तक उसका भक्षक बना रहा। कोर्ट ने 61...
इंटरनेशनल डेस्क। जर्मनी के आचेन (Aachen) शहर से एक ऐसा रोंगटे खड़े कर देने वाला मामला सामने आया है जिसने रिश्तों के भरोसे और डिजिटल सुरक्षा पर बड़े सवाल खड़े कर दिए हैं। एक पति, जिसे अपनी पत्नी का रक्षक होना चाहिए था वही सालों तक उसका भक्षक बना रहा। कोर्ट ने 61 वर्षीय आरोपी को अपनी पत्नी को नशीली दवाएं देकर बेहोश करने और उसके साथ दरिंदगी करने का दोषी पाया है।
15 सालों तक चलता रहा खामोश जुल्म
आरोपी फर्नांडो पी. (Fernando P.) जो पेशे से एक स्कूल में चौकीदार था बाहर से एक सामान्य इंसान दिखता था। लेकिन घर की चारदीवारी के पीछे वह एक डरावना खेल खेल रहा था। वह चुपचाप अपनी पत्नी के खाने या पीने में नशीली दवाएं मिला देता था। जब पत्नी गहरे नशे में बेहोश हो जाती तब वह उसका शारीरिक शोषण करता था।
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आरोपी सिर्फ शोषण तक ही सीमित नहीं रहा वह इन कत्यों की वीडियो रिकॉर्डिंग करता और उन्हें इंटरनेट के डार्क प्लेटफॉर्म्स और ग्रुप चैट्स में साझा करता था। हालांकि कोर्ट ने 2018 से 2024 के बीच के अपराधों के लिए उसे सजा सुनाई है लेकिन जांचकर्ताओं का मानना है कि यह सिलसिला करीब 15 साल पुराना हो सकता है।
कोर्ट का फैसला और कानूनी धाराएं
आचेन की अदालत ने आरोपी को 8 साल और 6 महीने की कैद की सजा सुनाई है। कोर्ट ने उसे निम्नलिखित मामलों में दोषी पाया:
गंभीर बलात्कार (Aggravated Rape)
खतरनाक शारीरिक नुकसान पहुंचाना
यौन उत्पीड़न और जबरदस्ती
फ्रांस के 'पेलिकोट केस' की यादें हुईं ताजा
इस मामले ने पूरे यूरोप को हिला कर रख दिया है क्योंकि इसकी तुलना फ्रांस के चर्चित डोमिनिक पेलिकोट मामले से की जा रही है। पेलिकोट ने भी अपनी पत्नी को नशे की दवा देकर सालों तक दर्जनों अजनबियों से उसका रेप करवाया था। इन दोनों घटनाओं ने महिलाओं के खिलाफ हिंसा और सहमति (Consent) के कानूनों पर एक नई वैश्विक बहस छेड़ दी है।
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सहमति के कानून पर छिड़ी बहस
जर्मनी के महिला अधिकार संगठन 'Nur Ja Heisst Ja' (Only Yes Means Yes) इस केस के बाद कानून में बदलाव की मांग कर रहे हैं:
"No Means No" vs "Yes Means Yes": वर्तमान में जर्मनी का कानून 'ना' कहने पर आधारित है। विशेषज्ञों का तर्क है कि यदि पीड़िता नशे में बेहोश है, तो वह 'ना' नहीं कह सकती। इसलिए कानून 'सहमति होने पर ही हां' (Only Yes Means Yes) के सिद्धांत पर आधारित होना चाहिए।
ऑनलाइन हिंसा की यूनिवर्सिटी: फ्रांसीसी सांसद सैंड्रिन जोसो ने चेतावनी दी है कि इंटरनेट अब अपराधियों के लिए एक ऐसी जगह बन गया है जहां वे एक-दूसरे को अपराध करने के तरीके सिखाते हैं।