केन्या ने चीन को दिखाया ठेंगा, बिलियन डॉलर का रेलवे प्रोजक्ट किया रद्द

Edited By Updated: 25 Jun, 2020 10:33 AM

kenya shocks china cancels billion dollar railway project

चीन लंबे समय पाकिस्तान व नेपाल पर अपनी परियोजनाओं के जरिए कब्जा करने की कोशिश में लगा है और काफी हद तक कामयाब भी हो रहा है...

नैरोबीः चीन लंबे समय पाकिस्तान व नेपाल पर अपनी परियोजनाओं के जरिए कब्जा करने की कोशिश में लगा है और काफी हद तक कामयाब भी हो रहा है। एशियाई देशों के बाद अब चीन का अगला निशाना अफ्रीकी देश हैं। लेकिन चीन को इन अफ्रीकी देशों को फंसाने की साजिश नाकाम होती दिख रही है। शी जिनपिंग की चाल को समझते हुए केन्या ने ठेंगा दिखाते हुए चीन के अरबों डॉलर के रेलवे प्रोजक्ट को रद्द कर दिया है। इस रेलवे प्रोजक्ट के अनुबंध को लेकर दायर याचिका के दौरान केन्या की अदालत ने इसे अवैध पाया था। चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने चाइना अफ्रीका समिट के दौरान बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव के तहत केन्या के साथ एक स्टेंडर्ड गेज रेललाइन बिछाने के समझौते पर हस्ताक्षर किया था।

 

इतना ही नहीं, कुछ दिनों पहले शी जिनपिंग ने केन्या के राष्ट्रपति उहुरू केन्याटा को मोम्बासा पोर्ट तक से कार्गो सप्लाई किए जाने को लेकर बधाई भी दी थी। बता दें कि केन्या के साथ चीन ने रेलवे लाइन को लेकर साल 2017 में समझौता किया था। जिसके तहत चाइना रोड एंड ब्रिज कॉर्पोरेशन केन्या में अरबों डॉलर की लागत से महत्वकांक्षी प्रोजक्ट बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव के माध्यम से रेलवे लाइन का विस्तार कर रहा था। केन्या ने इसके लिए एक्सिम बैंक ऑफ चाइना से 3.2 बिलियन डॉलर का कर्ज लिया है।

 

शुक्रवार को केन्याई अपीलीय अदालत ने केन्या और चाइना रोड एंड ब्रिज कॉर्पोरेशन (CRBC) के बीच रेल अनुबंध को अवैध घोषित कर दिया। केन्या में उच्च न्यायालय के निर्णयों से उत्पन्न मामलों को संभालने वाली कोर्ट ऑफ अपील ने फैसला सुनाया कि राज्य के स्वामित्व वाली केन्या रेलवे स्टेंडर्ड गेज रेलवे की परियोजना को लेकर खरीद में देश के कानूनों का उल्लंघन किया है। कोर्ट में इस मामले को केन्या के एक सामाजिक कार्यकर्ता ओकीया ओमतातह ने लॉ सोसाइटी ऑफ केन्या के साथ मिलकर दायर किया था।

 

जिसमें आरोप लगाया गया था कि रेलवे एक सार्वजनिक सम्पत्ति है जिसमें सभी परियोजनाओं के जुड़ी खरीद प्रक्रिया निष्पक्ष, प्रतिस्पर्धी और पारदर्शी तरीके से होनी चाहिए। लेकिन, इस परियोजना में किसी भी बिड को जारी किए बिना एक कंपनी को सीधे तौर पर अनुबंध सौंप दिया गया। हालांकि केन्या की सरकार इस फैसले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में फिर से अपील करने की तैयारी कर रही है।

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