अमेरिका व भारत ने तालिबान से किया आग्रह, कहा- आतंकियों के लिए सुरक्षित पनाहगाह न बने अफगान

Edited By Updated: 29 Oct, 2021 02:52 PM

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भारत और अमेरिका के अधिकारियों के बीच आतंकवाद से निपटने के लिए सहयोग बढ़ाने को लेकर हुई संयुक्त वार्ता के समापन पर दोनों देशों ने तालिबान से यह सुनिश्चित करने को कहा कि अफगानिस्तान का इस्तेमाल आतंकवादी पनाहगाह के रूप में नहीं कर पाएं।

नेशनल डेस्क; भारत और अमेरिका के अधिकारियों के बीच आतंकवाद से निपटने के लिए सहयोग बढ़ाने को लेकर हुई संयुक्त वार्ता के समापन पर दोनों देशों ने तालिबान से यह सुनिश्चित करने को कहा कि अफगानिस्तान का इस्तेमाल आतंकवादी पनाहगाह के रूप में नहीं कर पाएं। भारत और अमेरिका ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) द्वारा प्रतिबंधित अल-कायदा, आईएसआईएस/दायेश, लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद समेत सभी आतंकवादी संगठनों के खिलाफ ठोस कार्रवाई की मांग की। बैठक के बाद बृहस्पतिवार को जारी एक संयुक्त वक्तव्य में यह जानकारी दी गई।

इसमें बताया गया कि अमेरिका-भारत समग्र वैश्विक रणनीतिक साझेदारी के एक महत्वपूर्ण स्तंभ के रूप में आतंकवाद रोधी सहयोग की पुन: पुष्टि करते हुए दोनों पक्षों ने कानून प्रवर्तन, सूचना साझेदारी, श्रेष्ठ तौर-तरीकों का आदान-प्रदान करने और आतंकवाद रोधी चुनौतियों पर सामरिक अभिसरण पर सहयोग का और विस्तार करने का संकल्प किया। यहां 26 और 27 अक्टूबर को हुई दो दिवसीय बैठक के दौरान अमेरिका ने आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में भारत के लोगों और भारत सरकार के साथ खड़े होने की अपनी प्रतिबद्धता दोहराई। दोनों पक्षों ने तालिबान से कहा कि वह यह सुनिश्चित करे कि अफगानिस्तान का इस्तेमाल आतंकवादी पनाहगाह के रूप में नहीं कर पाएं। संयुक्त वक्तव्य के मुताबिक, दोनों पक्षों ने छद्म आतंकवादियों का इस्तेमाल और सीमा पार आतंकवाद के सभी रूपों की कड़ी निंदा की और मुंबई में हुए 26/11 आतंकवादी हमले के दोषियों को न्याय के कटघरे में लाने की मांग की। मंबई में 2008 को हुए भयावह आतंकवादी हमले में 166 लोग मारे गए थे और 300 से अधिक लोग घायल हुए थे। 

पाकिस्तान से आए हथियारों से लैस दस आतंकवादियों में से एक पाकिस्तानी नागरिक मोहम्मद अजमल कसाब को जिंदा पकड़ा गया था और 21 नवंबर 2012 को उसे फांसी दे दी गई। वक्तव्य में कहा गया, ‘‘यूएनएससी के संकल्प 2593 (2021) के अनुरूप दोनों पक्ष तालिबान से यह सुनिश्चित करने की मांग करते हैं कि अफगानिस्तान की जमीन का इस्तेमाल अब कभी भी किसी देश पर हमला करने या उसे डराने के लिए, आतंकवादियों को पनाह देने अथवा प्रशिक्षण देने या आतंकवादी हमलों की योजना बनाने या उनकी आर्थिक मदद करने के लिए नहीं किया जाए।'' उन्होंने मादक पदार्थों-आतंकवाद के तंत्र और अवैध हथियारों की तस्करी के तंत्र से निपटने के उपायों पर भी चर्चा की। दोनों पक्षों ने अफगानिस्तान के घटनाक्रम और वहां से उभरने वाले किसी भी संभावित आतंकवादी खतरे के बारे में करीबी विचार-विमर्श जारी रखने का संकल्प किया। यूएनएससी के प्रस्ताव 2396 (2017) के अनुरूप, दोनों देशों के अधिकारियों ने आतंकवादियों के आवागमन पर रोक लगाने के तरीकों पर भी चर्चा की। 

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