Edited By Tanuja,Updated: 11 Oct, 2025 07:17 PM

पाकिस्तान में TLP के हिंसक विरोध प्रदर्शनों ने देश को अराजकता में झोंक दिया है। लाहौर, कराची और इस्लामाबाद में भयानक आगजनी और झड़पों में 30 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है। प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ और जनरल असीम मुनीर पर जनता का गुस्सा फूट पड़ा है,...
International Desk: पाकिस्तान एक बार फिर अपनी ही बनाई धार्मिक कट्टरता की आग में जल रहा है। तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान (TLP) के उग्र प्रदर्शन ने पूरे देश को हिंसा, आगजनी और अराजकता के भंवर में धकेल दिया है। जिस संगठन को कभी सत्ता में बैठे लोगों ने ‘राजनीतिक हथियार’ बनाया था, वही अब उनके खिलाफ सड़कों पर उतर आया है। नतीजा लाहौर, कराची और इस्लामाबाद जैसे शहरों में हालात गृहयुद्ध जैसे बन चुके हैं।
राष्ट्रव्यापी विरोध ने भयानक रूप लिया
शनिवार को शुरू हुए TLP के राष्ट्रव्यापी विरोध ने भयानक रूप ले लिया है। हजारों कट्टरपंथी कार्यकर्ता सड़कों पर उतर आए हैं, जिन्होंने पुलिस चौकियों, सरकारी वाहनों और सार्वजनिक संपत्ति को आग के हवाले कर दिया। लाहौर और कराची में कई जगह बैंकों और दुकानों में तोड़फोड़ की गई। सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो में सुरक्षा बलों को प्रदर्शनकारियों से भागते देखा जा सकता है। कई जगह पुलिसकर्मियों पर हथियारों से हमला किया गया।
क्यों भड़का TLP का गुस्सा?
TLP समर्थक सरकार से ईशनिंदा कानूनों पर सख्त कार्रवाई की मांग कर रहे हैं। उनका कहना है कि शहबाज शरीफ सरकार ‘इस्लामी सिद्धांतों से समझौता’ कर रही है।दरअसल, यह वही संगठन है जिसने पहले भी फ्रांस के राजदूत को निष्कासित करने जैसी कट्टर मांगों को लेकर हिंसक प्रदर्शन किए थे। पाकिस्तान की सरकार ने उस समय TLP को रोकने के बजाय, “राजनीतिक समझौते” कर अपनी ही कमजोरी उजागर की थी और अब वही समझौते उसके सिर पर संकट बनकर टूट पड़े हैं।
शहबाज-मुनीर पर संकट गहराया
इन प्रदर्शनों ने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ और सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर की नींद उड़ा दी है। लोग दोनों के खिलाफ खुलेआम नारे लगा रहे हैं। सोशल मीडिया पर “Go Munir Go!” और “Shahbaz Resign Now!” जैसे ट्रेंड चल रहे हैं। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि पाकिस्तान की सत्ता अब “दोहरी विफलता” की गिरफ्त में है एक तरफ कट्टरपंथी ताकतों का उभार, और दूसरी तरफ सिविल-आर्मी रिश्तों का टूटना।
देशभर में कर्फ्यू और सेना की तैनाती
पंजाब, सिंध और खैबर पख्तूनख्वा के कई हिस्सों में कर्फ्यू लगा दिया गया है। पाकिस्तान आर्मी को सड़कों पर उतारा गया है, लेकिन प्रदर्शनकारियों ने अब सेना को भी निशाने पर ले लिया है।कई शहरों में सेना की गाड़ियां जल चुकी हैं, और भीड़ ने ‘जनरल मुनीर मुर्दाबाद’ के नारे लगाए हैं। हालात इतने खराब हैं कि स्वास्थ्य विभाग ने इसे “राष्ट्रीय आपात स्थिति” घोषित कर दिया है।
30 से अधिक मौतें, सैकड़ों घायल
अब तक की रिपोर्ट्स के मुताबिक, हिंसा में 30 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है, जिनमें पुलिसकर्मी भी शामिल हैं। 100 से अधिक घायल अस्पतालों में भर्ती हैं।लाहौर, कराची और इस्लामाबाद के अस्पतालों में भीड़ उमड़ आई है। प्रशासन ने आपातकालीन सेवाओं को 24 घंटे के मोड पर डाल दिया है।
अस्थिर पाकिस्तान दक्षिण एशिया के लिए खतरा
भारतीय रणनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि पाकिस्तान की यह अराजक स्थिति दक्षिण एशिया की स्थिरता के लिए गंभीर खतरा है। एक पूर्व भारतीय राजनयिक ने कहा,“जब कोई देश अपने ही कट्टरपंथियों को पालता है, तो एक दिन वही ताकतें उस पर टूट पड़ती हैं। पाकिस्तान आज उसी आत्मघाती राजनीति का शिकार है।”
‘नया पाकिस्तान’ अब सिर्फ एक भ्रम
पाकिस्तान एक बार फिर वही पुरानी गलती दोहरा रहा है धार्मिक संगठनों को हथियार बनाना, और फिर उन्हीं से डरकर झुक जाना।अब सवाल यह नहीं कि हिंसा कब थमेगी, बल्कि यह है कि शहबाज और मुनीर बचेंगे या नहीं। क्योंकि पाकिस्तान की सड़कों पर अब सिर्फ एक ही आवाज गूंज रही है “नया पाकिस्तान नहीं, खत्म पाकिस्तान!”