फिलिस्तीन बने अलग देश... भारत ने UN में किया पक्ष में वोट; जानें कितने देशों ने किया समर्थन?

Edited By Updated: 13 Sep, 2025 06:00 AM

palestine should become a separate country india voted in favour in the un

संयुक्त राष्ट्र महासभा में शुक्रवार को एक ऐतिहासिक और रणनीतिक दृष्टिकोण से बेहद महत्वपूर्ण प्रस्ताव पारित हुआ, जिसमें भारत सहित 142 देशों ने समर्थन दिया। यह प्रस्ताव फ्रांस द्वारा प्रस्तुत किया गया था और इसका मुख्य उद्देश्य इज़रायल और फ़िलिस्तीनी...

इंटरनेशनल डेस्कः संयुक्त राष्ट्र महासभा में शुक्रवार को एक ऐतिहासिक और रणनीतिक दृष्टिकोण से बेहद महत्वपूर्ण प्रस्ताव पारित हुआ, जिसमें भारत सहित 142 देशों ने समर्थन दिया। यह प्रस्ताव फ्रांस द्वारा प्रस्तुत किया गया था और इसका मुख्य उद्देश्य इज़रायल और फ़िलिस्तीनी समुदाय के बीच दो-राज्य समाधान (Two-State Solution) को आगे बढ़ाना और स्थायी शांति स्थापित करना है।

भारत ने एक बार फिर अपने रुख को स्पष्ट करते हुए फ़िलिस्तीन को राज्य का दर्जा दिए जाने के पक्ष में मतदान किया, जो न केवल अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की संतुलित विदेश नीति का संकेत है, बल्कि इस मुद्दे पर उसके ऐतिहासिक दृष्टिकोण की निरंतरता भी दर्शाता है।

भारत ने क्यों दिया फ़िलिस्तीन को समर्थन?

भारत का यह रुख उसके लंबे समय से चले आ रहे दो-राज्य समाधान के समर्थन को दोहराता है, जिसमें इज़रायल और फ़िलिस्तीन दोनों को शांतिपूर्ण और मान्यता प्राप्त सीमाओं के भीतर सह-अस्तित्व की गारंटी दी जाती है।

भारत ने हिंसा के दोनों पक्षों की आलोचना की — हमास के आतंकी हमलों और इज़रायल की जवाबी कार्रवाई, दोनों को। इसके साथ ही भारत ने गाज़ा पट्टी को फ़िलिस्तीनी राज्य का अभिन्न हिस्सा मानने वाले प्रस्ताव को समर्थन दिया, जो अंतरराष्ट्रीय समुदाय के बड़े हिस्से की भावना को दर्शाता है।

 प्रस्ताव में क्या-क्या शामिल था?

यह प्रस्ताव व्यापक रूप से शांति, मानवाधिकार और अंतरराष्ट्रीय कानून के पालन पर केंद्रित था। इसके मुख्य बिंदु निम्नलिखित हैं:

  1. हमास की आलोचना:
    प्रस्ताव में अक्टूबर 2023 में हमास द्वारा इज़रायल पर किए गए हमले की कड़ी निंदा की गई, जिसमें 1,200 से अधिक लोग मारे गए थे और 250 से ज्यादा लोग बंधक बनाए गए थे।

  2. इज़रायल की जवाबी कार्रवाई की भी आलोचना:
    प्रस्ताव में गाज़ा में इज़रायल द्वारा की गई आक्रामक सैन्य कार्रवाई, नागरिक संरचनाओं की तबाही, नाकेबंदी और खाद्य संकट की आलोचना की गई।

  3. गाज़ा को फ़िलिस्तीनी राज्य का हिस्सा माना गया:
    प्रस्ताव में यह स्पष्ट किया गया कि गाज़ा को वेस्ट बैंक के साथ एकीकृत किया जाना चाहिए और नाकेबंदी, क्षेत्रीय विभाजन व जबरन विस्थापन समाप्त होना चाहिए।

  4. इज़रायल से मांगें:

    • दो-राज्य समाधान को स्पष्ट समर्थन दे।

    • कब्जे वाले क्षेत्रों में नई बस्तियां बसाना बंद करे।

    • पूर्वी येरुशलम के किसी भी हिस्से को जोड़ने या उसका विस्तार करने की नीति का सार्वजनिक रूप से विरोध करे।

    • सभी पक्ष हिंसक कार्रवाइयां तत्काल रोकें।

किसने समर्थन किया, किसने विरोध?

  • समर्थन: भारत, फ्रांस, जर्मनी, चीन, रूस, सभी खाड़ी देश, दक्षिण अफ्रीका, ब्राजील समेत 142 देशों ने प्रस्ताव के पक्ष में मतदान किया।

  • विरोध: इज़रायल, अमेरिका, अर्जेंटीना, हंगरी, पापुआ न्यू गिनी, पैराग्वे, माइक्रोनेशिया, नाउरू, पलाऊ और टोंगा ने प्रस्ताव का विरोध किया।

  • कुछ देशों ने मतदान से गैरहाज़िर या तटस्थ रहने का फैसला लिया।

इज़रायल और अमेरिका की प्रतिक्रिया

इज़रायल और अमेरिका ने इस प्रस्ताव को पूर्वाग्रह से ग्रस्त और एकतरफा करार दिया। इज़रायली विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ओरेन मार्मोरस्टीन ने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर लिखा: "संयुक्त राष्ट्र महासभा एक राजनीतिक सर्कस बन चुकी है। इस प्रस्ताव में एक बार भी यह नहीं कहा गया कि हमास एक आतंकवादी संगठन है।" अमेरिकी राजनयिक मॉर्गन ऑर्टागस ने भी इस प्रस्ताव को हमास को परोक्ष समर्थन देने वाला और राजनीतिक दिखावा बताया।

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