Edited By Tanuja,Updated: 16 Dec, 2025 02:22 PM

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जॉर्डन यात्रा के बीच किंग अब्दुल्ला द्वितीय का आधुनिक शाही परिवार चर्चा में है। बिना हिजाब रहने वाली क्वीन रानिया, फाइटर जेट उड़ाने वाली राजकुमारी सलमा और पश्चिमी शिक्षा पाए शहज़ादे जॉर्डन को मुस्लिम दुनिया में एक...
International Desk: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जॉर्डन की आधिकारिक यात्रा पर पहुंच चुके हैं, जहां उनकी मुलाकात किंग अब्दुल्ला द्वितीय से होनी है। इस दौरे के बीच जॉर्डन के शाही परिवार की आधुनिक जीवनशैली दुनिया भर में चर्चा का विषय बन गई है। जब किसी मुस्लिम देश के राजा की कल्पना की जाती है, तो अक्सर पारंपरिक लिबास, पर्दा और सख्त धार्मिक नियमों की तस्वीर सामने आती है। लेकिन जॉर्डन के किंग अब्दुल्ला द्वितीय का शाही परिवार इस सोच को पूरी तरह तोड़ता है।
क्वीन रानिया
क्वीन रानिया अल-अब्दुल्ला दुनिया की सबसे खूबसूरत और प्रभावशाली रानियों में गिनी जाती हैं। वे शायद ही कभी हिजाब या बुर्के में नजर आती हैं। पश्चिमी और आधुनिक परिधानों में आत्मविश्वास के साथ सार्वजनिक मंचों पर अपनी बात रखना उनकी पहचान है। क्वीन रानिया साफ कह चुकी हैं कि इस्लाम में पर्दा ज़बरदस्ती नहीं, बल्कि व्यक्तिगत पसंद का विषय है।
बेटियां ने रचा इतिहास
- किंग अब्दुल्ला और क्वीन रानिया के चार बच्चे हैं, जिनकी परवरिश आधुनिक और वैश्विक माहौल में हुई है।
- क्राउन प्रिंस हुसैन
अमेरिका की जॉर्जटाउन यूनिवर्सिटी और ब्रिटेन की सैंडहर्स्ट मिलिट्री एकेडमी से प्रशिक्षित, जॉर्डन सेना में कैप्टन और भविष्य के राजा।
- प्रिंसेस ईमान
शिक्षा और खेलों में अव्वल, 2023 में विवाह।
- प्रिंसेस सलमा
जॉर्डन की पहली महिला फाइटर जेट पायलट, जिन्होंने मुस्लिम दुनिया में महिलाओं की भूमिका को नया आयाम दिया।
- प्रिंस हाशिम
किंग्स एकेडमी से पढ़ाई के बाद अमेरिका में उच्च शिक्षा।
राजा खुद भी मॉडर्न आइकन
किंग अब्दुल्ला द्वितीय स्वयं एक प्रशिक्षित पायलट हैं, स्टार ट्रेक के प्रशंसक हैं और पश्चिमी दुनिया में सबसे सम्मानित मुस्लिम नेताओं में गिने जाते हैं। वे पैगंबर मोहम्मद साहब के 41वें वंशज होने के बावजूद आधुनिक सोच के प्रतीक हैं। किंग अब्दुल्ला ने कभी भी अपने परिवार पर रूढ़िवादी बंदिशें नहीं थोपीं। उनकी बेटियां बिना सिर ढके सार्वजनिक जीवन में सक्रिय रहती हैं। यह जॉर्डन के समाज को यह संदेश देता है कि आधुनिकता और धार्मिक पहचान साथ-साथ चल सकती हैं।