Edited By Tanuja,Updated: 15 Sep, 2025 03:59 PM

कतर पर हाल ही में हुए इजरायली हवाई हमले के बाद मुस्लिम देशों में गुस्सा और बेचैनी बढ़ गई है। इस बीच तुर्की को भी इजरायली हमले का खौफ सताने लगा है, क्योंकि इजरायल पहले ही यमन ,
International Desk: कतर पर हाल ही में हुए इजरायली हवाई हमले के बाद मुस्लिम देशों में गुस्सा और बेचैनी बढ़ गई है। इस बीच तुर्की को भी इजरायली हमले का खौफ सताने लगा है, क्योंकि इजरायल पहले ही यमन, लेबनान, ईरान, सीरिया, फिलिस्तीन और कतर पर कार्रवाई कर चुका है। दोहा में सोमवार को आयोजित अरब-इस्लामिक समिट में 50 से अधिक मुस्लिम देशों के नेता जुट रहे हैं।
इजरायल का आरोप है कि तुर्की ने लंबे समय से हमास को शरण, आर्थिक मदद और वैचारिक समर्थन दिया है। तुर्की में हमास की लीडरशिप के मौजूद होने की बात कई बार उठ चुकी है। इजरायल के आर्मी चीफ एयाल जामिर ने हाल ही में कहा था कि गाज़ा से बाहर मौजूद हमास नेताओं को भी टारगेट किया जाएगा।कतर की राजधानी दोहा पर हमला इसी रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है। दोहा वह जगह है जहां हमास से जुड़ी शांति वार्ताएं होती रही हैं। यही वजह है कि अब तुर्की को भी आशंका है कि इजरायल किसी भी वक्त उसकी जमीन पर हमला कर सकता है।
कतर और तुर्की दोनों ही अमेरिका के करीबी सहयोगी हैं। कतर में अमेरिकी बेस मौजूद है और तुर्की **NATO** का अहम सदस्य है। फिर भी कतर पर हमला होना यह संकेत देता है कि इजरायल किसी भी सहयोगी या रणनीतिक साझेदारी की परवाह किए बिना कार्रवाई कर सकता है। तुर्की को डर है कि यही सिलसिला उसके साथ भी दोहराया जा सकता है, खासकर तब जब राष्ट्रपति एर्दोआन के दौर में इजरायल-तुर्की रिश्ते बिगड़े हैं।
दोहा समिट में शामिल देश इजरायल पर कड़ा संदेश देना चाहते हैं। कतर के प्रधानमंत्री ने साफ कहा है कि "इजरायल ने सारी हदें पार कर दी हैं और उसे अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत जवाबदेह ठहराना होगा।" पाकिस्तान ने तो यहां तक प्रस्ताव दिया है कि इजरायल की संयुक्त राष्ट्र सदस्यता निलंबित की जाए और उसके खिलाफ इस्लामी देशों की टास्कफोर्स बनाई जाए।विशेषज्ञ मानते हैं कि यह एकजुटता केवल कतर हमले का जवाब नहीं है, बल्कि इससे ज्यादा गहरी रणनीतिक सोच भी है। यह समिट अमेरिका पर दबाव बढ़ाने का भी प्रयास है कि वह इजरायल को कंट्रोल करे, वरना हालात और बिगड़ सकते हैं।