Edited By Tanuja,Updated: 10 Dec, 2020 03:12 PM

भारतीय किसानों का मुद्दा अब अंतरराष्ट्रीय हो चुका है और उनका आंदोलन दुनिया भर तक पहुंच गया है। किसानों के समर्थन में अमेरिका, कनाडा, ब्रिटेन सहित दुनिया के कई देशों में ..
इंटरनेशनल डेस्कः भारतीय किसानों का मुद्दा अब अंतरराष्ट्रीय हो चुका है और उनका आंदोलन दुनिया भर तक पहुंच गया है। किसानों के समर्थन में अमेरिका, कनाडा, ब्रिटेन सहित दुनिया के कई देशों में रैलियां निकाली जा रही हैं। इनमें सिख समुदाय के लोग ट्रैक्टर-ट्रालियों के साथ हिस्सा ले रहे हैं। महंगी गाड़ियों के साथ बाइक रैली भी निकाली जा रही है। मोदी सरकार इससे परेशान है क्योंकि केंद्र सरकार को उम्मीद नहीं थी कि ये मामला अंतरराष्ट्रीय दखल तक जा पहुंचेगा ।

ब्रिटेन में किसानों के समर्थन में रोष मार्च, दूतावास के बाहर हंगामा
इसी तरह ब्रिटेन में भी सिख लंदन में भारतीय दूतावास के बाहर इकट्ठा हुए और दिल्ली बॉर्डर्स पर बैठे किसानों के समर्थन में एकजुटता दिखाई। लंदन में निकाली गई रैली में हजारों लोग मौजूद रहे और इस वजह से जाम के हालात बन गए। बर्मिंघम से लेकर डर्बी और अन्य कई शहरों से कारों का काफिला गुजरा। इन सभी लोगों के हाथ में किसान आंदोलन के बैनर थे और इन्होंने भारतीय दूतावास के सामने नारेबाज़ी की। इनके हाथों में नो फ़ार्मर्स-नो फ़ूड के भी बैनर थे। इस दौरान दूतावास के बाहर काफी हंगामा हुआ। यह रैली तब भी हुई जबकि लंदन की पुलिस ने सिख समुदाय के नेताओं से कहा था कि कोरोना की वजह से ज़्यादा लोगों के इकट्ठा होने पर रोक है। पुलिस ने कहा है कि इस तरह का प्रदर्शन आपराधिक कृत्य है। इसके अलावा 36 ब्रिटिश सांसदों ने ब्रिटेन के रक्षा मंत्री डोमिनिक राब को पत्र लिखकर रहा है कि वे इस मुद्दे को अपने भारतीय समकक्ष के सामने उठाएं।

आस्ट्रेलिया में भारतीय दूतावास के बाहर रैली
कनाडा में टोरंटो स्थित भारतीय दूतावास के बाहर सैकड़ों लोग इकट्ठा हुए और किसानों के हक़ में आवाज़ बुलंद की। कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के किसानों के आंदोलन को समर्थन करने के बाद भारत ने इसे लेकर कड़ी प्रतिक्रिया जताई थी।

अमेरिका में गाड़ियों का काफिला निकाला
विदेशों में किसानों के समर्थन में हो रही इन रैलियों के वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे हैं। भारत में लोग जमकर इन्हें शेयर कर रहे हैं। अमेरिका के कैलिफ़ोर्निया में सैकड़ों गाड़ियों का काफिला किसान एकता रैली के नाम पर सड़कों पर निकला। यह काफिला ओकलैंड से सैन फ्रांसिस्को स्थित भारतीय दूतावास तक गया।

गौरतलब है कि दिल्ली के टिकरी और सिंघू बॉर्डर पर बैठे किसानों के आंदोलन में धीरे-धीरे पंजाब और हरियाणा के अलावा कई राज्यों के किसान जुड़े तो यह आंदोलन बढ़ता चला गया। किसानों और सरकार के बीच कई दौर की बातचीत हो चुकी है लेकिन मसले का कोई हल नहीं निकला। 8 दिसंबर को भारत बंद के बाद सरकार की मुश्किलें बढ़ गई हैं।