ट्रंप बनाम अमेरिकी कोर्ट: टैरिफ के फैसले पर किसकी होगी जीत, राष्ट्रपति और न्यायपालिका में सबसे पावरफुल कौन?

Edited By Updated: 30 Aug, 2025 12:01 PM

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अमेरिकी अदालत ने डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ को गैरकानूनी बताते हुए इसे 14 अक्टूबर तक हटाने का आदेश दिया है। ट्रंप प्रशासन के लिए यह बड़ा झटका है क्योंकि टैरिफ से अमेरिका को अरबों डॉलर की आय हुई है। अदालत ने राष्ट्रपति की शक्तियों को संविधान के दायरे में...

इंटरनेशनल डेस्क: अमेरिका में हाल ही में विदेशी वस्तुओं पर लगाए गए टैरिफ को लेकर चल रही लड़ाई ने अब नया मोड़ ले लिया है। अमेरिकी अदालत ने डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ को गैरकानूनी करार देते हुए इसे 14 अक्टूबर तक हटाने का आदेश जारी कर दिया है। यह आदेश ट्रंप प्रशासन के लिए एक बड़ा झटका साबित हो सकता है। अगर सुप्रीम कोर्ट भी इस फैसले की पुष्टि करती है तो अमेरिका को 14 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा की राशि रिफंड करनी पड़ सकती है, जिससे अमेरिकी अर्थव्यवस्था को गंभीर नुकसान होने का खतरा है।

ट्रंप की विदेश नीति पर अदालत की कैंची?

टैरिफ नीति डोनाल्ड ट्रंप की विदेश और आर्थिक नीति का एक सबसे अहम हिस्सा है। राष्ट्रपति बनने के बाद ट्रंप ने कई देशों से आने वाली वस्तुओं पर टैरिफ लगाकर अमेरिका की घरेलू उद्योगों की रक्षा की साथ ही विदेशी वस्तुओं पर रोक लगाने की कोशिश की। बता दें 2 अप्रैल से लागू हुए इन टैरिफों से अमेरिका ने अब तक करीब 159 बिलियन डॉलर लगभग 14 लाख करोड़ रुपये की कमाई भी की है। लेकिन अब अमेरिकी अदालतों ने इस कदम पर गंभीर सवाल उठाए हैं। एक अदालत ने ट्रंप के टैरिफ पर 'कैंची' चलाते हुए मतलब उसे गैरकानूनी बताते हुए 14 अक्टूबर तक इसे हटाने का आदेश दिया है। अदालत के इस आदेश का मतलब है कि ट्रंप प्रशासन को विदेशी वस्तुओं पर लगाए गए इन शुल्कों को समाप्त करना होगा। अदालत ने यह भी बोला कि राष्ट्रपति की शक्तियों का प्रयोग संविधान और कानून के दायरे में ही होना चाहिए और अगर टैरिफ नीति इस दायरे से बाहर है तो उसे निरस्त किया जा सकता है।

टैरिफ से फायदा या फसाद?

ट्रंप ने अमेरिका की अर्थव्यवस्था और व्यापार पर कंट्रोल बढ़ाने के लिए टैरिफ (यानी विदेशी चीजों पर टैक्स) लगाए। उनका कहना था कि इससे अमेरिका की फैक्ट्रियाँ और मजदूर सुरक्षित रहेंगे और देश में नौकरियाँ बढ़ेंगी। लेकिन बहुत से जानकारों का मानना है कि इससे दूसरे देशों से झगड़ा यानि व्यापार युद्ध हो सकता है। इसका नुकसान यह होगा कि जरूरी चीजों की सप्लाई रुक सकती है और आम लोगों को चीजें महंगी मिलेंगी। ट्रंप प्रशासन के अनुसार अगर कोर्ट के आदेश के कारण टैरिफ हटाने पड़ते हैं तो अमेरिका को भारी वित्तीय नुकसान होगा। इस नीति से अमेरिका ने अरबों डॉलर की आय अर्जित की है और अगर टैरिफ वापस लिए जाते हैं तो अमेरिकी खजाने पर इसका बड़ा असर पड़ेगा। वहीं दूसरी तरफ देखें तो इससे अमेरिका की कई ट्रेड डील्स पर भी प्रभाव पड़ सकता है।

कोर्ट वर्सेज राष्ट्रपति

यह पूरा मामला अमेरिका की शक्ति संतुलन की राजनीति को भी उजागर करता है। अमेरिकी संविधान के तहत राष्ट्रपति के पास नीति बनाने और कार्यान्वयन की व्यापक शक्तियां होती हैं खासकर विदेश नीति और राष्ट्रीय सुरक्षा के क्षेत्र में। ट्रंप ने इसी ताकत का इस्तेमाल कर विदेशी वस्तुओं पर टैरिफ लगाया है। लेकिन अमेरिकी न्यायपालिका भी एक मजबूत स्तंभ है जो सुनिश्चित करता है कि प्रशासन की कोई भी नीति संविधान के खिलाफ न हो। अदालतों ने इस मामले में ट्रंप के टैरिफ को गैरकानूनी करार देकर यह स्पष्ट किया है कि राष्ट्रपति की शक्तियां सीमित हैं और उन्हें कानून के दायरे में ही रहना होगा।

यहां पर 'checks and balances' की व्यवस्था साफ नजर आती है, जहां प्रशासन और न्यायपालिका एक-दूसरे की शक्तियों की जांच और संतुलन करते हैं। अदालत का यह फैसला राष्ट्रपति की नीति को नियंत्रित करता है, यह दर्शाता है कि लोकतंत्र में न्यायपालिका की अंतिम शक्ति अधिक स्थायी और निर्णायक होती है।

सुप्रीम कोर्ट में अपील का रास्ता अब भी खुला

संघीय अदालत ने टैरिफ हटाने का आदेश दे दिया है लेकिन अभी ट्रंप प्रशासन के पास सुप्रीम कोर्ट में अपील करने का रास्ता खुला हुआ है। यदि सुप्रीम कोर्ट इस मामले में ट्रंप के पक्ष में फैसला देती है तो ट्रंप की टैरिफ नीति लागू रह सकती है। लेकिन अगर सुप्रीम कोर्ट भी टैरिफ को गैरकानूनी करार देती है तो यह ट्रंप प्रशासन के लिए बड़ा झटका होगा जिससे अमेरिकी सरकार को बड़ी आर्थिक और राजनीतिक चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा।

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