Edited By Anu Malhotra,Updated: 22 Jul, 2025 01:29 PM

अगर आप 35 साल के हैं और 20 साल में 5 करोड़ की बचत करना चाहते हैं, तो सही योजना और धैर्य से यह सपना हकीकत बन सकता है। SIP यानी सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान इस लक्ष्य को हासिल करने का साधारण, पर जादुई तरीका है-जिसे आपको जानकर ही समझना चाहिए!
नेशनल डेस्क: अगर आप 35 साल के हैं और 20 साल में 5 करोड़ की बचत करना चाहते हैं, तो सही योजना और धैर्य से यह सपना हकीकत बन सकता है। SIP यानी सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान इस लक्ष्य को हासिल करने का साधारण, पर जादुई तरीका है-जिसे आपको जानकर ही समझना चाहिए!
कैसे काम करता है SIP का जादू
SIP एक नियमित निवेश प्रणाली है जहां आप हर महीने म्यूचुअल फंड में एक निश्चित राशि डालते हैं।
इसकी खूबी है चक्रवृद्धि रिटर्न - जहाँ आपका लाभ पर भी लाभ जुड़ता रहता है। साथ ही, यह बाजार के उतार-चढ़ाव का असर भी कम करता है, क्योंकि जब बाजार नीचा रहता है तब आपके रुपए से ज्यादा यूनिट्स मिलती हैं, और जब ऊँचा तो कम यूनिट्स लेकिन मूल्य वाले।
आपका लक्ष्य: 5 करोड़- कैसे कर सकते हैं संभव?
एक सामान्य अनुमान के अनुसार - यदि आप ₹40,000 हर महीना, 20 साल तक SIP में लगाते रहें, और आपको औसतन 12% सालाना रिटर्न मिले, तो आपकी कुल पूंजी इस तरह से विकसित होगी:
आपकी कुल जमा राशि: लगभग ₹96.1 लाख
अपेक्षित लाभ: लगभग ₹3.04 करोड़
कुल फंड: करीब ₹4 करोड़ एक लाख (₹4.00 करोड़)
इस तरह नियमित निवेश से 5 करोड़ का सपना न केवल संभव है, बल्कि ध्यान-संगठन से उपयोग करके प्राप्त भी किया जा सकता है।
समय आपकी सबसे बड़ी ताकत
-Axis Mutual Fund व अन्य वित्तीय सलाहकार बताते हैं कि बहुत जल्दी SIP शुरू करना सफलता की कुंजी है।
-चक्रवृद्धि ब्याज के प्रभाव से शुरुआती वर्षों का निवेश बाकी के वर्षों की तुलना में ज्यादा फायदेमंद होता है। यानी निवेश की शुरुआत जितनी पहले होगी, आपका रुपए उतना ही खिलेगा — क्योंकि समय आपका साथ देता है।
SIP शुरू करते वक्त ध्यान देने की बातें:
रिटर्न दर – 10-12% वार्षिक रिटर्न को एक यथार्थवादी लक्ष्य मान सकते हैं।
समय अवधि – जितना लंबा समय, उतना बड़ा फंड। 20 साल का प्लान अधिक सरल है, लेकिन 15-10 साल के विकल्प भी चुन सकते हैं।
नामित फंड चुनें – इक्विटी, बैलेंस्ड या हाइब्रिड – आपकी जोखिम क्षमता के अनुसार चुनाव करें।
नियमित समीक्षा – समय-समय पर फंड प्रदर्शन जांचते रहें, और जरूरत होने पर रिबैलेंस करें।