SC में 4 नए जजों ने ली शपथ, 40 साल में पहली बार कोर्ट फिर हो सकती है एकल पीठ

Edited By Seema Sharma,Updated: 23 Sep, 2019 11:36 AM

4 new judges took oath in supreme court

सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को चार नए जजों ने शपथ ग्रहण की। चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने चारों जजों को शपथ दिलाई। शपथ ग्रहण समारोह में सुप्रीम कोर्ट के सभी जज और कई वकील मौजूद रहे। शीर्ष न्यायालय में काफी संख्या में मामलों के लंबित होने को मद्देनजर सरकार

नई दिल्लीः सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को चार नए जजों ने शपथ ग्रहण की। चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने चारों जजों को शपथ दिलाई। शपथ ग्रहण समारोह में सुप्रीम कोर्ट के सभी जज और कई वकील मौजूद रहे। शीर्ष न्यायालय में काफी संख्या में मामलों के लंबित होने को मद्देनजर सरकार ने हाल ही में सुप्रीम कोर्ट में प्रधान न्यायाधीश सहित कुल न्यायाधीशों की संख्या 31 से बढ़ा कर 34 की थी, जो अब तक की सर्वाधिक संख्या है।

 

कानून मंत्रालय की अलग-अलग अधिसूचनाओं के मुताबिक न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी, न्यायमूर्ति एस आर भट्ट, न्यायमूर्ति वी रामसुब्रह्मण्यम और न्यायमूर्ति रिषीकेश रॉय को शीर्ष न्यायालय का न्यायाधीश नियुक्त किया गया है। न्यायमूर्ति रामसुब्रह्मण्यम और न्यायमूर्ति मुरारी क्रमश: हिमाचल प्रदेश और पंजाब उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीश थे। वहीं, न्यायमूर्ति भट्ट और न्यायमूर्ति रॉय क्रमश: राजस्थान और केरल हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश थे। 

 

सुप्रीम कोर्ट में एकल जज पीठ
सुप्रीम कोर्ट में 40 साल बाद ही सही, एकल जज पीठ की परंपरा फिर से शुरू हो सकती है। उम्मीद है कि अगले महीने की शुरुआत नई व्यवस्था के साथ हो, क्योंकि सुप्रीम कोर्ट में अब जजों की संख्या भी पूरी हो गई है।

 

इंदिरा गांधी पर एकल जज पीठ ने दिया था फैसला
सुप्रीम कोर्ट में पहले भी एकल पीठ के जरिए मामलों का निपटारा होता था। 1980 के दशक तक सुप्रीम कोर्ट में एकल जज पीठ का प्रावधान था लेकिन इमरजेंसी के बाद इलाहाबाद हाईकोर्ट से तब की प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के रायबरेली से चुनाव को चुनौती वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट की एकल जज पीठ ने स्टे लगा दिया था। तब एकल जज वाली पीठ पर जस्टिस वीआर कृष्ण अय्यर थे। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट में सभी खंडपीठ बनाए गए, इनमें एक से ज्यादा यानी 2 या 3 जज होते हैं। संविधान की व्याख्या से जुड़े मामलों की सुनवाई करने वाली संविधान पीठ में कम से कम 5 और ज्यादा से ज्यादा 13 तक जज हुए हैं। इसके बाद तो पूर्ण पीठ यानी फुल कोर्ट का ही प्रावधान होता है।

 

एकल पीठ का काम
एकल पीठ 7 साल से कम सजा वाले अपराध में अग्रिम जमानत, जमानत और मामलों का तबादला करने वाले मुकदमों के अलावा वो मुकद्दमे भी सुनेगी जो चीफ जस्टिस उनके पास भेजेंगे।

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