समुद्र में और ताकतवर बनेगा भारत, पनडुब्बियों के लिए 5.2 अरब डॉलर का हो सकता है जर्मनी से सौदा

Edited By Updated: 07 Jun, 2023 01:39 PM

5 2 billion deal with germany for submarines

जर्मनी के रक्षा मंत्री बोरिस पिस्टोरियस ने मंगलवार को अपने भारतीय समकक्ष राजनाथ सिंह के साथ बातचीत के बाद कहा कि छह पनडुब्बियों की खरीद के लिए भारत की योजना की दौड़ में जर्मनी का उद्योग "अच्छी जगह" पर है।

नेशनल डेस्क: जर्मनी के रक्षा मंत्री बोरिस पिस्टोरियस ने मंगलवार को अपने भारतीय समकक्ष राजनाथ सिंह के साथ बातचीत के बाद कहा कि छह पनडुब्बियों की खरीद के लिए भारत की योजना की दौड़ में जर्मनी का उद्योग "अच्छी जगह" पर है। दोनों नेताओं के बीच यह वार्ता प्रमुख सैन्य मंचों के संयुक्त विकास और हिंद-प्रशांत क्षेत्र में सहयोग पर केंद्रित रही। वार्ता के बारे में जानकारी रखने वाले लोगों ने कहा कि भारतीय पक्ष ने पिस्टोरियस को वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर चीन की आक्रामकता से अवगत कराया और पाकिस्तान को पश्चिमी देशों से महत्वपूर्ण रक्षा प्रौद्योगिकियां मिलने पर संभावित जोखिमों पर नयी दिल्ली की आशंकाओं के बारे में भी बताया।

वार्ता के बाद, पिस्टोरियस ने संवाददाताओं से कहा कि नयी दिल्ली के साथ बर्लिन के रणनीतिक संबंध हिंद-प्रशांत क्षेत्र में अप्रत्याशित स्थिति के संदर्भ में अधिक महत्वपूर्ण हो गए हैं। यह टिप्पणी संबंधित क्षेत्र में चीन की बढ़ती सैन्य आक्रामकता पर बढ़ती वैश्विक चिंताओं के बीच आई। रक्षा मंत्रालय के अनुसार, पिस्टोरियस के साथ वार्ता में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इस बात पर जोर दिया कि भारत और जर्मनी साझा लक्ष्यों पर आधारित ‘‘अधिक जीवंत'' रक्षा संबंध बना सकते हैं। पिस्टोरियस ने जर्मन भाषा में मीडिया से कहा, "मुझे लगता है कि हमें भारत के साथ साझेदारी में उस क्षेत्र (हिंद-प्रशांत) में और अधिक करना काम चाहिए। क्योंकि हम उस समय के करीब आ रहे हैं, जब हम वास्तव में भविष्यवाणी नहीं कर सकते कि अगले कुछ वर्षों में क्या होने वाला है।"

उन्होंने कहा, "और हमें भारत जैसे, इंडोनेशिया जैसे सामरिक भागीदारों की आवश्यकता है, उदाहरण के लिए, यह सुनिश्चित करने के लिए कि मुक्त नौवहन का कानून और मुक्त व्यापार मार्ग अगले दशक के दौरान भी पहुंच योग्य होंगे।" पनडुब्बी परियोजना का जिक्र करते हुए पिस्टोरियस ने कहा कि छह पनडुब्बियों की प्रस्तावित खरीद से संबंधित प्रक्रिया अभी पूरी नहीं हुई है और जर्मन उद्योग अनुबंध की दौड़ में ‘‘अच्छे स्थान'' पर है। थिसेनक्रुप मरीन सिस्टम्स (टीकेएमएस) कंपनी 52 अरब डॉलर (43,000 करोड़ रुपये) की परियोजना के लिए बोली लगाने को तैयार है। पिस्टोरियस बुधवार को मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड का दौरा करेंगे और सार्वजनिक क्षेत्र के रक्षा उपक्रम के अधिकारियों के साथ उनकी बैठकों के दौरान इसके और टीकेएमएस के बीच संभावित सहयोग पर चर्चा हो सकती है।

इस संबंध में एक अधिकारी ने कहा कि मेगा पनडुब्बी परियोजना के लिए बोली प्रक्रिया अगस्त में बंद हो जाएगी। जून 2021 में, रक्षा मंत्रालय ने भारतीय नौसेना के लिए छह पारंपरिक पनडुब्बियों को घरेलू स्तर पर बनाने की मेगा परियोजना को मंजूरी दी थी। पिस्टोरियस के साथ अपनी बातचीत में, सिंह ने जोर देकर कहा कि भारत और जर्मनी साझा लक्ष्यों और शक्ति की पूरकता के आधार पर "अधिक सहजीवी" रक्षा संबंध बना सकते हैं। उन्होंने उत्तर प्रदेश और तमिलनाडु में रक्षा गलियारों में जर्मनी से निवेश करने को कहा। अधिकारियों ने बताया कि दोनों रक्षा मंत्रियों ने हिंद-प्रशांत और अन्य क्षेत्रों में चीन की बढ़ती आक्रामकता समेत क्षेत्रीय सुरक्षा स्थितियों की भी समीक्षा की।

पिस्टोरियस भारत की चार दिन की यात्रा पर सोमवार को दिल्ली पहुंचे। यह 2015 के बाद से भारत में जर्मनी के किसी रक्षा मंत्री की पहली यात्रा है। उन्होंने कहा कि भारतीय रक्षा उद्योग जर्मन रक्षा उद्योग की आपूर्ति श्रृंखला में भाग ले सकता है और आपूर्ति श्रृंखला में लचीलापन लाने में योगदान देने के अलावा पारिस्थितिकी तंत्र को भी मजबूत बना सकता है। ऐसी जानकारी है कि वार्ता में यूक्रेन पर रूस के आक्रमण और दुनिया पर इसके असर के बारे में भी चर्चा की गयी। संबंधित पनडुब्बियां रणनीतिक साझेदारी मॉडल के तहत बनायी जाएंगी जो घरेलू रक्षा निर्माताओं को आयात पर निर्भरता कम करने के लिए उच्च गुणवत्ता वाले सैन्य मंच बनाने के वास्ते प्रमुख विदेशी रक्षा कंपनियों के साथ मिलकर काम करने की अनुमति देता है। पिस्टोरियस ने जर्मनी के सरकारी प्रसारणकर्ता दायचे वेले से कहा था कि भारत की लगातार रूसी हथियारों पर निर्भरता जर्मनी के हित में नहीं है।

रक्षा मंत्रालय ने कहा कि दोनों मंत्रियों ने द्विपक्षीय रक्षा सहयोग की गतिविधियों की समीक्षा की और खासतौर से रक्षा औद्योगिकी भागीदारी बढ़ाने के तरीके तलाशे। मंत्रालय ने कहा, ‘‘रक्षा मंत्री ने रक्षा उत्पादन क्षेत्र में पैदा हुए अवसरों का उल्लेख किया जिसमें उत्तर प्रदेश तथा तमिलनाडु में दो रक्षा औद्योगिक गलियारों में जर्मनी के निवेश की संभावनाएं शामिल हैं।'' भारत और जर्मनी के बीच साल 2000 से ही रणनीतिक भागीदारी रही है जो 2011 से अंतर-सरकारी विचार-विमर्श के जरिए मजबूत हुई है। रक्षा सचिव गिरिधर अरमाने और प्रमुख रक्षा अध्यक्ष जनरल अनिल चौहान भारतीय प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा थे। जर्मनी की ओर से, पिस्टोरियस के साथ रक्षा मंत्रालय के अधिकारी बेनेडिक्ट जिमर के अलावा कई अन्य वरिष्ठ अधिकारी प्रतिनिधिमंडल में शामिल थे। वार्ता से पहले जर्मनी के रक्षा मंत्री ने तीनों सेनाओं की ओर से दिए गए सलामी गारद का निरीक्षण किया। 

 

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