8th Pay Commission: 8वें वेतन आयोग से लाखों कर्मचारियों को मिल सकती है जबरदस्त खुशखबरी, लेकिन सरकार की नींद उड़ी!

Edited By Updated: 20 Jul, 2025 10:56 AM

8th pay commission salary hike fitment factor and minimum wage

केंद्र सरकार के कर्मचारियों और पेंशनर्स के लिए एक बड़ी खबर सामने आ रही है। 8वें वेतन आयोग (8th Pay Commission) को लेकर चर्चाएं जोरों पर हैं। अगर सरकार इस आयोग को लागू करती है तो 1 करोड़ से अधिक कर्मचारियों और पेंशनर्स की सैलरी और पेंशन में अच्छी...

नेशनल डेस्क: केंद्र सरकार के कर्मचारियों और पेंशनर्स के लिए एक बड़ी खबर सामने आ रही है। 8वें वेतन आयोग (8th Pay Commission) को लेकर चर्चाएं जोरों पर हैं। अगर सरकार इस आयोग को लागू करती है तो 1 करोड़ से अधिक कर्मचारियों और पेंशनर्स की सैलरी और पेंशन में अच्छी खासी बढ़ोतरी हो सकती है। हालांकि यह बढ़ोतरी जितनी फायदेमंद कर्मचारियों के लिए होगी, उतनी ही बड़ी आर्थिक चुनौती सरकार के लिए बन सकती है। अनुमान है कि इससे सरकार पर 1.8 लाख करोड़ रुपये का अतिरिक्त बोझ पड़ेगा।

इतनी बढ़ सकती है सैलरी: फिटमेंट फैक्टर का होगा अहम रोल

8वें वेतन आयोग में सैलरी बढ़ोतरी का सबसे अहम आधार फिटमेंट फैक्टर (Fitment Factor) होगा, जिसे तय करना कर्मचारियों की आय में सीधे असर डालेगा। विशेषज्ञों के अनुसार, इस बार फिटमेंट फैक्टर 1.83 से लेकर 2.46 के बीच हो सकता है। इसका सीधा फायदा न्यूनतम वेतन पाने वाले कर्मचारियों को मिलेगा। उदाहरण के तौर पर, अगर मौजूदा न्यूनतम सैलरी 18,000 रुपये है तो 1.83 फिटमेंट फैक्टर लागू होने पर यह 32,940 रुपये तक पहुंच सकती है, जबकि 2.46 फिटमेंट फैक्टर के साथ यह 44,280 रुपये हो सकती है। इसी तरह अगर किसी कर्मचारी की बेसिक सैलरी 50,000 रुपये है तो वह बढ़कर 91,500 रुपये (लोअर फिटमेंट) से लेकर 1.23 लाख रुपये (हायर फिटमेंट) तक हो सकती है। यानी फिटमेंट फैक्टर जितना अधिक होगा, सैलरी में उतनी ही बड़ी बढ़ोतरी देखने को मिलेगी।

सिर्फ सैलरी नहीं, DA और पेंशन में भी होगा बदलाव

इस प्रस्तावित आयोग के तहत सिर्फ सैलरी ही नहीं बल्कि डियरनेस अलाउंस (DA) में भी बदलाव होगा। DA को महंगाई दर के अनुसार एडजस्ट किया जाएगा ताकि कर्मचारियों की क्रय शक्ति बनी रहे। इसके साथ ही पेंशनर्स के भुगतान में भी बढ़ोतरी की जाएगी। इस पूरी योजना के लागू होने की संभावित तारीख 2026 या 2027 मानी जा रही है।

सरकार के सामने खर्च बढ़ाने का संकट

हालांकि यह बदलाव कर्मचारियों के लिए राहतभरा होगा लेकिन सरकार के लिए बजट का संतुलन बनाए रखना मुश्किल हो सकता है। अंबिट कैपिटल की रिपोर्ट के अनुसार, अगर यह नया वेतन ढांचा लागू होता है तो इससे सरकार पर 1.8 लाख करोड़ रुपये का अतिरिक्त खर्च आएगा। यह सरकार के फिस्कल डेफिसिट (राजकोषीय घाटा) को और बढ़ा सकता है। ऐसे में सरकार को एक संतुलित रणनीति अपनानी होगी ताकि वित्तीय दबाव न बढ़े और अर्थव्यवस्था पर असर न पड़े।

आर्थिक ग्रोथ को भी मिल सकता है बूस्ट

विशेषज्ञों का मानना है कि 8वें वेतन आयोग का असर केवल कर्मचारियों की जेब तक सीमित नहीं रहेगा बल्कि इसका सीधा प्रभाव देश की इकोनॉमिक ग्रोथ पर भी पड़ेगा। जब 1 करोड़ से अधिक कर्मचारियों और पेंशनर्स की इनकम बढ़ेगी तो देश में कंजम्पशन यानी खपत में तेज़ी आएगी। लोग अपनी अतिरिक्त आय को हाउसिंग, हेल्थकेयर, शिक्षा और लेजर एक्टिविटीज जैसे क्षेत्रों में खर्च करेंगे, जिससे इन सेक्टर्स में नई जान आ सकती है। इसका सबसे बड़ा फायदा रिटेल, रियल एस्टेट, ऑटोमोबाइल और सर्विस सेक्टर्स को होगा क्योंकि मांग में बढ़ोतरी सीधे तौर पर उत्पादन को बढ़ावा देगी। जब उत्पादन बढ़ेगा तो रोजगार के नए अवसर भी पैदा होंगे, जिससे देश की आर्थिक स्थिति और मजबूत हो सकती है। 

सरकार को बनानी होगी बैलेंसिंग स्ट्रैटेजी

हालांकि फायदे बहुत हैं लेकिन सरकार को इस फैसले को लागू करने से पहले राजकोषीय संतुलन और वित्तीय स्थिरता पर ध्यान देना होगा। सरकार को यह सुनिश्चित करना होगा कि अतिरिक्त बोझ से विकास की गति धीमी न हो और किसी और जरूरी योजना में कटौती न करनी पड़े।

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