Edited By Anu Malhotra,Updated: 09 Jul, 2025 01:08 PM

बिहार में मतदाता सूची संशोधन (SIR) के दौरान आधार कार्ड को मान्य पहचान पत्रों की सूची से बाहर रखने के फैसले ने जहां राजनीतिक हलकों में हलचल मचा दी है, वहीं अब इस पर UIDAI प्रमुख भुवनेश कुमार की भी अहम प्रतिक्रिया सामने आई है। उन्होंने साफ कहा है कि...
नेशनल डेस्क: बिहार में मतदाता सूची संशोधन (SIR) के दौरान आधार कार्ड को मान्य पहचान पत्रों की सूची से बाहर रखने के फैसले ने जहां राजनीतिक हलकों में हलचल मचा दी है, वहीं अब इस पर UIDAI प्रमुख भुवनेश कुमार की भी अहम प्रतिक्रिया सामने आई है। उन्होंने साफ कहा है कि "आधार को कभी भी नागरिक की पहली पहचान नहीं माना गया है"।
चुनाव आयोग की इस पहल का उद्देश्य है राज्य के 8 करोड़ से अधिक मतदाताओं की जांच और शुद्धिकरण। लेकिन इस प्रक्रिया में Aadhaar और MNREGA कार्ड जैसे लोकप्रिय दस्तावेजों को अमान्य कर देना कई लोगों के लिए परेशानी का कारण बन गया है।
इसी बीच UIDAI (भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण) के सीईओ भुवनेश कुमार का बयान सामने आया है, जिसमें उन्होंने स्पष्ट किया कि “आधार कभी भी नागरिक की पहली पहचान नहीं रहा है।” उन्होंने यह भी कहा कि आधार का उद्देश्य नागरिक की पहचान को डिजिटली सरल बनाना है, लेकिन यह परंपरागत दस्तावेजों का विकल्प नहीं।
फर्जी आधार पर भी UIDAI की पैनी नजर
भुवनेश कुमार ने बताया कि UIDAI लगातार फर्जी आधार कार्ड इंडस्ट्री पर लगाम कसने की दिशा में काम कर रहा है। उन्होंने कहा: हर नए आधार कार्ड में QR कोड होता है, जिसे UIDAI का QR स्कैनर ऐप पढ़ सकता है। इससे कार्ड की सत्यता तुरंत परखी जा सकती है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि फोटोशॉप या प्रिंटेड टेम्पलेट से बनाए गए कार्ड असली आधार नहीं माने जाते, और इन्हें तकनीकी रूप से पहचाना और खारिज किया जा सकता है।
जल्द आएगा नया आधार ऐप
UIDAI प्रमुख ने बताया कि एक नई आधार ऐप पर काम अंतिम चरण में है। यह ऐप डिजिटल रूप से पहचान साझा करने की सुविधा देगा – वो भी आधारधारक की स्वीकृति के साथ। इसमें Masked Aadhaar (आंशिक जानकारी वाला वर्जन) भी एक अहम फीचर होगा।” यह ऐप नागरिकों को बार-बार फिजिकल कॉपी दिखाने की जरूरत से मुक्ति दिलाएगा और सुरक्षा को भी बढ़ाएगा।
चुनाव आयोग पर तेजस्वी यादव का हमला
विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने इस मुद्दे पर चुनाव आयोग को घेरा। उन्होंने सवाल उठाया कि “जब वोटर आईडी को आधार से लिंक किया जा रहा है, तो आधार को पहचान के तौर पर मान्यता क्यों नहीं दी जा रही?” उन्होंने यह भी पूछा कि SIR प्रक्रिया सिर्फ बिहार में ही क्यों चल रही है, जब 2003 में यह देशव्यापी प्रक्रिया थी।
तेजस्वी ने SIR प्रक्रिया को विधानसभा चुनाव तक स्थगित करने की मांग की और यह भी कहा कि चुनाव आयोग को बीएलओ से संवाद करना चाहिए, जो मतदाता सूची के काम में कई बार जनता के गुस्से का सामना कर रहे हैं।
इन दस्तावेजों को मिली मंजूरी, लेकिन आधार नहीं
चुनाव आयोग ने जिन 11 दस्तावेजों को वैध पहचान पत्र माना है, उनमें शामिल हैं:
-PSU कर्मचारियों के पहचान पत्र
-1987 से पहले के सरकारी प्रमाणपत्र
-जन्म प्रमाणपत्र, पासपोर्ट, जाति व निवास प्रमाणपत्र
-NRC और वन अधिकार पत्र, भूमि व मकान आवंटन दस्तावेज
PAN कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस और आधार कार्ड इस सूची से बाहर हैं, जबकि इन्हें देशभर में पहचान के आम दस्तावेज के तौर पर उपयोग किया जाता है।