कोविड-19: बीमार भारतीय ने UAE से स्वदेश लौटने में मदद की लगाई गुहार

Edited By Tanuja,Updated: 18 May, 2020 06:25 PM

ailing indian man in uae seeks repatriation amid coronavirus pandemic

कोविड-19 महामारी के दौरान संयुक्त अरब अमीरात (UAE) से स्वदेश वापसी में मदद की भावुक अपील कर रहे लकवा के शिकार 79 वर्षीय भारतीय व्यक्ति कहते हैं...

दुबई: कोविड-19 महामारी के दौरान संयुक्त अरब अमीरात (UAE) से स्वदेश वापसी में मदद की भावुक अपील कर रहे लकवा के शिकार 79 वर्षीय भारतीय व्यक्ति कहते हैं, ‘‘मैं बाकी जिंदगी केरल में जीना चाहता हूं । मैं आखिरी सांस अपनी मातृभूमि में लेना चाहता हूं।’’ बावन साल पहले नौके से संयुक्त अमीरात आने, टेलरिंग की दो दुकानें और अजमान में एक ट्रेडिंग कंपनी चलाने का दावा करने वाले के. राघवन अपना कारोबार चरमरा जाने से कर्ज तले दब गये और वापस लौटने में असमर्थ हो गए।

 

उन्हें अल्सर हो गया है एवं आधा जिस्म लकवा ग्रस्त है। अबतक, उन्होंने अपनी जिंदगी में जो भी कमाया था, वह सभी गंवा बैठे। अब वह दुबई के जाफिलिया में एक तंग कमरे में रहते हैं। गल्फ न्यूज की खबर के अनुसार तीन साल पहले उनका वीजा खत्म हो गया और वह उसका नवीकरण नहीं करा पाये क्योंकि उन पर किराया नहीं चुका पाने और अजमान फ्री जोन द्वारा दायर लाइन नवीकरण उल्लंघन मामले में 60000 दिरहम से अधिक की देनदारी है।

 

राघवन ने कहा, ‘‘मुझपर यह देनदारी नहीं होती, अगर अजमान का कारोबार संभाल रहे मेरे रिश्तेदार ने भुगतान कर दिया होता और मुझे धोखा नहीं दिया होता।’’खबर के अनुसार उनपर दुबई के एक अस्पताल का 1,40,000 दिरहम का कर्ज है जहां उनका इलाज हुआ था। वैसे दुबई के भारतीय वाणिज्य दूतावास के अनुरोध के बाद उन्हें अस्पताल से छुट्टी दे दी गई थी। राघवन कहते हैं कि वह जिंदगी के लिए संघर्ष कर रहे हैं क्योंकि उन्हें अपने किराये, भोजन एवं अन्य नियमित खर्च के अलावा दवाओं पर भी खर्च करना होता है।

 

उन्होंने कहा, ‘‘ मैं बाकी जिंदगी केरल में जीना चाहता हूं । मैं आखिरी सांस अपनी मातृभूमि में लेना चाहता हूं।’’ यह बीमार व्यक्ति पूरी तरह अपनी 65 वर्षीय पत्नी सरोजिनी पर आश्रित है जिन्हें कुछ शुभेच्छुओं ने संयुक्त अरब अमीरात लाया था। सरोजिनी ने कहा, ‘‘ अब हम कोविड-19 के फैलने से चिंतिंत है।’’ राघवन आखिरी बार 2014 में स्वदेश गए थे। इस दंपति को अब सामाजिक कार्यकर्ताओं और समुदाय के सदस्यों से आस है जो उनकी स्वदेश वापसी के प्रयास में जुटे हैं।

 

समुदाय के सदस्य अब्दुल माजिद पडूर ने कहा, ‘‘कुछ महीने पहले, उन्हें फिर अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा था। हम सभी ने उन्हें 7000 दिरहम (1.4 लाख रूपये) की मदद की थी और निजी अस्पताल ने भी हमारे अनुरोध पर इतनी ही राशि माफ कर दी थी। केरल लौटने के बाद भी उन्हें मदद की जरूरत होगी। हम उनके लिए सहायता जुटाने की कोशिश कर रहे हैं।
 

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