ग्राहकों को अब नहीं होगी बेवजह की परेशानी: दिल्ली हाई कोर्ट ने RBI और बैंकों को दिए सख्त आदेश

Edited By Updated: 27 Nov, 2025 10:33 PM

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दिल्ली हाई कोर्ट ने गुरुवार (27 नवंबर 2025) को एक अहम फैसले में RBI और देश के सभी बैंकों को ग्राहक शिकायत निपटान सिस्टम बेहतर बनाने के कड़े निर्देश जारी किए हैं। कोर्ट ने साफ कहा कि आज के समय में लाखों ग्राहक गलत बिलिंग, फर्जी ट्रांजैक्शन, बार-बार...

नेशनल डेस्कः दिल्ली हाई कोर्ट ने गुरुवार (27 नवंबर 2025) को एक अहम फैसले में RBI और देश के सभी बैंकों को ग्राहक शिकायत निपटान सिस्टम बेहतर बनाने के कड़े निर्देश जारी किए हैं। कोर्ट ने साफ कहा कि आज के समय में लाखों ग्राहक गलत बिलिंग, फर्जी ट्रांजैक्शन, बार-बार धमकी भरे कॉल और गलत वसूली जैसी समस्याओं से परेशान हैं, इसलिए बैंकिंग सिस्टम को और जिम्मेदार बनना होगा।

शिकायतें मशीन से नहीं, इंसानों द्वारा जांची जाएं – कोर्ट

जस्टिस प्रभा एम. सिंह ने कहा शिकायतें सिर्फ ऑटोमैटिक सिस्टम (मशीन) के आधार पर खारिज नहीं होनी चाहिए। अगर ग्राहक शिकायत दर्ज करते समय कोई गलती कर दे, तो उसे सुधार का मौका दिया जाए। कई मामले ऐसे होते हैं जहां ओम्बुड्समैन मानव हस्तक्षेप किए बिना शिकायत को खारिज कर देते हैं, और ग्राहक मजबूर होकर कोर्ट तक पहुंचता है। कोर्ट ने कहा कि यदि आवश्यकता हो तो रिटायर्ड जजों, कानूनी विशेषज्ञों या अनुभवी वकीलों को भी ओम्बुड्समैन ऑफिस में शामिल किया जाए, ताकि महत्वपूर्ण शिकायतें गलती से रिजेक्ट न हों।

RBI सभी बैंकों को नया आदेश जारी करे – दिल्ली हाई कोर्ट

कोर्ट ने RBI से कहा कि वह सभी बैंकों को यह निर्देश जारी करे कि अपनी आधिकारिक वेबसाइट पर एक सरल फ्लोचार्ट डालें, जिसमें बताया जाए कि ग्राहक शिकायत कैसे और किस स्तर पर दर्ज कर सकता है— कस्टमर केयर → ब्रांच मैनेजर → नोडल ऑफिसर → ओम्बुड्समैन

शिकायत प्रक्रिया पूरी तरह पारदर्शी और ग्राहकों के लिए समझने में आसान होनी चाहिए।

वकील की शिकायत के आधार पर कोर्ट सख्त

यह आदेश उस मामले की सुनवाई के दौरान आया जिसमें वकील सरवर रज़ा को ऐसे क्रेडिट कार्ड ट्रांजैक्शन का भुगतान करने के लिए परेशान किया गया जिसे उन्होंने किया ही नहीं था।

मामला इस तरह था:

बैंक ने ₹76,777 गलत ट्रांजैक्शन रिफंड कर दिया था। लेकिन शिकायत खत्म होते ही बैंक ने उन पर लेट फीस, ब्याज और पेनल्टी जोड़ दी। रज़ा को लगातार फोन और मैसेज कर परेशान भी किया जा रहा था। कोर्ट ने इसे गैरकानूनी और ग्राहक अधिकारों का उल्लंघन बताया।

दिल्ली हाई कोर्ट का कड़ा फैसला – ग्राहक को राहत

कोर्ट ने आदेश दिया:

बैंक कोई लेट फीस, ब्याज या पेनल्टी नहीं वसूल सकता। ग्राहक का CIBIL स्कोर खराब नहीं किया जाएगा। बैंक को ग्राहक को ₹1 लाख का मुआवजा देना होगा। यह राशि 15 जनवरी 2026 तक देना अनिवार्य है।

क्यों जरूरी है यह आदेश?

भारत में हर साल लाखों ग्राहक इन परेशानियों का सामना करते हैं:

  • गलत बिलिंग

  • फर्जी ट्रांजैक्शन

  • कलेक्शन एजेंटों द्वारा धमकी

  • क्रेडिट कार्ड धोखाधड़ी

  • गलत ब्याज और दंड

  • शिकायतों का बिना जांच बंद होना

ऐसे में दिल्ली हाई कोर्ट का यह आदेश ग्राहकों को बड़ी राहत देने वाला है और भविष्य में बैंक और RBI को शिकायत प्रक्रिया और मजबूत करने के लिए प्रेरित करेगा।

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