Edited By Mansa Devi,Updated: 27 Nov, 2025 02:40 PM

कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने एक खबर का हवाला देते हुए बृहस्पतिवार को कहा कि अरावली पहाड़ियों की नई परिभाषा से जुड़े फैसले की समीक्षा की जरूरत है क्योंकि इसके पर्यावरण और सार्वजनिक स्वास्थ्य पर बहुत गंभीर परिणाम होंगे। रमेश ने ‘एक्स' पर पोस्ट किया,...
नेशनल डेस्क: कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने एक खबर का हवाला देते हुए बृहस्पतिवार को कहा कि अरावली पहाड़ियों की नई परिभाषा से जुड़े फैसले की समीक्षा की जरूरत है क्योंकि इसके पर्यावरण और सार्वजनिक स्वास्थ्य पर बहुत गंभीर परिणाम होंगे। रमेश ने ‘एक्स' पर पोस्ट किया, "अरावली पहाड़ियां दिल्ली से हरियाणा और राजस्थान से होते हुए गुजरात तक फैली हुई हैं। वर्षों से वे सभी नियमों और कानूनों का उल्लंघन करते हुए किए जा रहे खनन, निर्माण और अन्य गतिविधियों से तबाह हो गई हैं।"
उन्होंने कहा कि अब ऐसा प्रतीत होता है कि इस संवेदनशील और विशाल पारिस्थितिकी तंत्र पर एक और गंभीर आघात लगेगा। पूर्व पर्यावरण मत्री रमेश ने एक अखबार की खबर का हवाला देते हुए दावा किया , "केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने उच्चतम न्यायालय से अरावली पहाड़ियों की एक नई परिभाषा की सिफारिश की है।
यह परिभाषा खनन को प्रतिबंधित करने के लिए है, लेकिन वास्तव में इसका मतलब यह होगा कि अरावली पहाड़ियों का 90 प्रतिशत हिस्सा अब अरावली के रूप में नहीं गिना जाएगा।" उनका कहना है, "जाहिर है, उच्चतम न्यायालय ने इस संशोधित परिभाषा को स्वीकार कर लिया है। यह विचित्र है और इसके पर्यावरण और सार्वजनिक स्वास्थ्य पर बहुत गंभीर परिणाम होंगे। यह तत्काल समीक्षा की मांग करता है।"