Edited By rajesh kumar,Updated: 25 Dec, 2022 01:20 PM

देश के पूर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी की जयंती के मौके पर पीएम मोदी समेत बीजेपी के तमाम बड़े नेताओं ने उनकी समाधि स्थल 'सदैव अटल' पर जाकर श्रद्धांजलि अर्पित की।
नेशनल डेस्क: देश के पूर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी की जयंती के मौके पर पीएम मोदी समेत बीजेपी के तमाम बड़े नेताओं ने उनकी समाधि स्थल 'सदैव अटल' पर जाकर श्रद्धांजलि अर्पित की। अटल जी की जयंती के अवसर पर उनका संसद में दिया भाषण भारतीय लोकतंत्र में हमेशा याद किया जाएगा। संसद में विश्वास मत के दौरान अटल जी ने कहा था कि, 'सरकारें आएंगी-जाएंगी मगर ये देश और उसका लोकतंत्र रहना चाहिए?'
'सरकारें आएंगी-जाएंगी'
31 मई 1996 को संसद में विश्वास प्रस्ताव में भाषण के दौरान अटल जी ने कहा था कि, 'देश आज संकटों से घिरा है और ये संकट हमने पैदा नहीं किए हैं। जब-जब कभी आवश्यकता पड़ी, संकटों के निराकरण में हमने उस समय की सरकार की मदद की है। सत्ता का खेल तो चलेगा, सरकारें आएंगी-जाएंगी, पार्टियां बनेंगी बिगड़ेंगी मगर ये देश रहना चाहिए, इस देश का लोकतंत्र अमर रहना चाहिए।' उनकी यह बात भारतीय लोकतंत्र में हमेशा गूंजती रहेंगी। अटल ने जी ने नरसिम्हा राव सरकार के कार्यकाल की यादों को सदन के सामने रखा था।
तीन बार देश के प्रधानमंत्री बने अटल जी
वर्ष 1924 में आज ही के दिन भारत के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का जन्म हुआ था। वह भारतीय जनता पार्टी के संस्थापकों में एक थे। वह तीन बार देश के प्रधानमंत्री बने। उनका पहला कार्यकाल 1996 में मात्र 13 दिनों का था। इसके बाद, वह 1998 में फिर प्रधानमंत्री बनें और 13 महीने तक इस पद को संभाला। वर्ष 1999 में वह तीसरी बार देश के प्रधानमंत्री बने। वह पहले ऐसे गैर-कांग्रेसी नेता थे, जिन्होंने प्रधानमंत्री के रूप में अपना कार्यकाल पूरा किया। वाजपेयी की जयंती को सुशासन दिवस के रूप में मनाया जाता है।
भारत के लिए उनका योगदान अमिट है
प्रधानमंत्री मोदी ने एक ट्वीट में कहा, ‘‘अटल जी को उनकी जयंती पर श्रद्धांजलि। भारत के लिए उनका योगदान अमिट है। उनका नेतृत्व और दृष्टिकोण लाखों लोगों को प्रेरित करता है।'' राजनाथ सिंह ने कहा, ‘‘हम सबके प्रेरणास्रोत एवं पूर्व प्रधानमंत्री श्रद्धेय अटलजी की जयंती पर मैं उन्हें नमन करता हूं। उन्होंने भारत में विकास एवं सुशासन का नया अध्याय लिखा और विश्व मंच पर देश को एक नई पहचान दिलाई। वे दूरद्रष्टा ही नहीं एक युगद्रष्टा भी थे। राष्ट्र निर्माण में उनका योगदान अविस्मरणीय है।''