Bhai Dooj 2025 Date: नोट कर लें भाई दूज 2025 की सही तारीख और तिलक का शुभ मुहूर्त

Edited By Updated: 21 Oct, 2025 03:08 PM

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दिवाली के 5 दिवसीय उत्सव का अंतिम और पवित्र पर्व 'भाई दूज' इस साल कब मनाया जाएगा। इसे लेकर कई लोगों के मन में भ्रम कि स्थिति बनी हुई है कि 22 अक्टूबर को है या 23 अक्टूबर को।

नेशनल डेस्क: दिवाली के 5 दिवसीय उत्सव का अंतिम और पवित्र पर्व 'भाई दूज' इस साल कब मनाया जाएगा। इसे लेकर कई लोगों के मन में भ्रम कि स्थिति बनी हुई है कि 22 अक्टूबर को है या 23 अक्टूबर को। ज्योतिषीय गणना के अनुसार भाई-बहन के अटूट प्रेम के इस त्योहार को मनाने की सही तारीख और शुभ मुहूर्त यहाँ जानें-

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भाई दूज की सही तारीख

हिंदू पंचांग के अनुसार भाई दूज का पर्व हर साल कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाता है, जिसे यम द्वितीया भी कहते हैं।

  • द्वितीया तिथि का प्रारंभ: 22 अक्टूबर 2025 को रात 8 बजकर 16 मिनट पर।
  • द्वितीया तिथि का समापन: 23 अक्टूबर 2025 को रात 10 बजकर 46 मिनट पर।

उदया तिथि (सूर्योदय के समय की तिथि) को ही पर्व के लिए मान्य माना जाता है, इसलिए भाई दूज का पर्व 23 अक्टूबर 2025, गुरुवार को मनाया जाएगा।

भाई को तिलक लगाने का शुभ मुहूर्त

शास्त्रों के अनुसार भाई दूज पर तिलक लगाने के लिए दोपहर का समय सबसे शुभ माना जाता है।

पर्व

तारीख

शुभ मुहूर्त (तिलक)

अवधि

भाई दूज

23 अक्टूबर 2025, गुरुवार

दोपहर 01 बजकर 13 मिनट से 03 बजकर 28 मिनट तक

2 घंटे 15 मिनट

बहनें इस शुभ मुहूर्त में अपने भाई का तिलक कर उनकी लंबी उम्र और खुशहाल जीवन की कामना कर सकती हैं।

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पूजन विधि और परंपरा

भाई दूज पर बहनें थाली में रोली, अक्षत (चावल), मिठाई और नारियल का गोला सजाकर रखती हैं। इस दिन भाई को एक साफ पटरे पर पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके बिठाया जाता है। बहनें विधि-विधान से भाई के माथे पर तिलक लगाती हैं, आरती उतारती हैं और उन्हें मिठाई, फल तथा सुपारी खिलाती हैं। बदले में भाई अपनी बहन को उपहार देते हैं और जीवनभर उनकी रक्षा करने का संकल्प लेते हैं। इस दिन बहन के हाथ का बना भोजन करना बेहद शुभ माना जाता है।

पौराणिक मान्यता और महत्व

यह त्योहार भाई-बहन के पवित्र रिश्ते और स्नेह का प्रतीक है। धार्मिक मान्यता है कि इस दिन जो बहन शुभ मुहूर्त में अपने भाई का तिलक करती है, उसके भाई के जीवन से अकाल मृत्यु का भय दूर होता है और उनकी आयु लंबी होती है।

  • इसे महाराष्ट्र में भाऊ बीज, पश्चिम बंगाल में भाई फोटा और नेपाल में भाई तिहार के नाम से भी जाना जाता है।
  • एक प्रचलित कथा के अनुसार भगवान श्रीकृष्ण नरकासुर का वध करने के बाद इसी दिन अपनी बहन सुभद्रा के पास द्वारका लौटे थे, जहाँ सुभद्रा ने उनका स्वागत तिलक और आरती से किया था।

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