Edited By Anu Malhotra,Updated: 18 Jul, 2025 02:01 PM

भारतीय जनता पार्टी (BJP) के अंदर एक बड़ी गहमागहमी छाई हुई है, हर किसी की निगाहें अब नए राष्ट्रीय अध्यक्ष की ओर टिकी हैं। खबर है कि स्वतंत्रता दिवस के बाद इस लंबित चुनाव में पार्टी अपना नया चेहरा घोषित कर सकती है। हालांकि, इस बड़े निर्णय में देरी से...
नेशनल डेस्क: भारतीय जनता पार्टी (BJP) के अंदर एक बड़ी गहमागहमी छाई हुई है, हर किसी की निगाहें अब नए राष्ट्रीय अध्यक्ष की ओर टिकी हैं। खबर है कि स्वतंत्रता दिवस के बाद इस लंबित चुनाव में पार्टी अपना नया चेहरा घोषित कर सकती है। हालांकि, इस बड़े निर्णय में देरी से अंदरूनी असंतोष बढ़ता जा रहा है। लेकिन इस बीच यह भी साफ हो गया है कि 21 जुलाई से शुरू हो रहे मानसून सत्र से पहले भाजपा नया राष्ट्रीय अध्यक्ष चुनने में सफल नहीं होगी। पार्टी के भीतर चल रही अंतिम चर्चाओं और संगठनात्मक प्रक्रियाओं के कारण यह फैसला सत्र के बाद तक टल सकता है।
क्यों जगी ये हलचल?
संगठनात्मक चुनाव: कई राज्यों में पूरे चुनाव संपन्न हो चुके हैं। राष्ट्रीय स्तर पर सर्वसम्मति से नाम अंतिम रूप देने की तयारी अब अंतिम चरण में है।
कार्यकर्ताओं का धरना: देरी होने के कारण पार्टी कार्यकत्र्ता खुद में असमंजस महसूस कर रहे हैं-क्या शीर्ष नेतृत्व अब तक क्यों नहीं आगे बढ़ा?
क्या मानदंड हैं?
राष्ट्र RSS ने स्पष्ट संकेत दिया है-अगला अध्यक्ष न्यूट्रल लेकिन अनुभवी होना चाहिए, ऐसा व्यक्ति जो किसी खास गुट से न जुड़ा हो और संगठन में अपनी पकड़ मजबूत रखता हो। इस आधार पर पार्टी ने चार नाम चुने हैं, जिनमें प्रमुख हैं:
भूपेंद्र यादव – वर्तमान में केंद्रीय शिक्षा मंत्री
धर्मेंद्र प्रधान – केंद्रीय पर्यावरण मंत्री
शिवराज सिंह चौहान – केंद्रीय कृषि मंत्री व मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री
बी. डी. शर्मा – भाजपा के वरिष्ठ नेता
मीडिया रिपोर्ट्स में ये संकेत भी मिले हैं कि RSS ने भूपेंद्र यादव और धर्मेंद्र प्रधान पर फिलहाल हामी नहीं भरी।
क्यों अटका अध्यक्ष चयन?
RSS बनाम मोदी-शाह तिकड़ी: पिछले लोकसभा चुनाव नतीजों और संगठनात्मक फेरबदल के बाद संघ ने अपनी पकड़ फिर मजबूत की है। प्रधानमंत्री मोदी और अमित शाह के विचार संघ की मंशा से संबद्ध रहे, लेकिन अब संघ की भूमिका और आवाज ज़ोर पकड़ रही है।
गुटबाजी किसका? भाजपा के शीर्ष नेताओं और संघ के बीच ‘न्यूट्रल चेहरा’ कैंडिडेसी पर मतभेद स्पष्ट दिखाई दे रहा है—जिस वजह से फाइनल निर्णय में देरी हो रही है। केंद्रीय परिषद की बैठक जल्द बुलाई जाएगी, जहां संभावित नामों पर बहस और सहमति बनेगी। 15 अगस्त के बाद एक नया अध्यक्ष सामने आने की संभावना जताई जा रही है।