कब्ज और एसिडिटी से हैं परेशान? जानिए इसके कारण, लक्षण और आयुर्वेदिक उपचार

Edited By Updated: 12 Aug, 2025 07:58 PM

causes symptoms and ayurvedic treatment of constipation and acidity

आज के समय में कब्ज और एसिडिटी दो ऐसी समस्याएं हैं जो तेजी से आम होती जा रही हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि इन दोनों का सीधा संबंध हमारी जीवनशैली और खानपान से है। बदलती दिनचर्या, जंक फूड, तनाव और पानी की कमी जैसे कारणों से ये समस्याएं तेजी से बढ़ रही...

नेशनल डेस्कः आज के समय में कब्ज और एसिडिटी दो ऐसी समस्याएं हैं जो तेजी से आम होती जा रही हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि इन दोनों का सीधा संबंध हमारी जीवनशैली और खानपान से है। बदलती दिनचर्या, जंक फूड, तनाव और पानी की कमी जैसे कारणों से ये समस्याएं तेजी से बढ़ रही हैं।

कब होती है कब्ज?

कब्ज तब होती है जब आंतों में मल सूखकर सख्त हो जाता है और आसानी से बाहर नहीं निकल पाता। इससे पेट में भारीपन, फुलाव और असहजता महसूस होती है। लंबे समय तक कब्ज रहने से शरीर में विषैले तत्व (टॉक्सिन्स) जमा होने लगते हैं, जिससे थकान, सिरदर्द, मुंह से दुर्गंध और त्वचा संबंधी समस्याएं भी हो सकती हैं। यही नहीं, मलाशय पर लगातार दबाव पड़ने से बवासीर और एनल फिशर का खतरा भी बढ़ जाता है।

एसिडिटी कैसे बनती है समस्या?

एसिडिटी की समस्या तब होती है जब पेट में बनने वाला एसिड अधिक हो जाता है या ऊपर की ओर चढ़ने लगता है। इससे सीने में जलन, खट्टी डकारें और गले में जलन जैसी समस्याएं उत्पन्न होती हैं। बार-बार एसिडिटी होने पर पेट और गले की भीतरी परत प्रभावित होती है, जिससे गैस्ट्राइटिस, अल्सर और इसोफेगस की सूजन जैसी गंभीर स्थितियां उत्पन्न हो सकती हैं। कुछ मामलों में सांस लेने में तकलीफ, सीने में दर्द और नींद में खलल जैसी शिकायतें भी देखी गई हैं।

आयुर्वेद के अनुसार, असंतुलित पित्त और वात दोष कब्ज और एसिडिटी के प्रमुख कारण हैं। बुजुर्ग, गर्भवती महिलाएं, फास्ट फूड खाने वाले, तनावग्रस्त और लंबे समय तक बैठे-बैठे काम करने वाले लोग इस समस्या के प्रति ज्यादा संवेदनशील होते हैं।

कितना पानी पीना चाहिए?

दिल्ली स्थित आयुर्वेद विशेषज्ञ डॉ. आरपी पराशर का कहना है कि पानी पाचन क्रिया और शरीर की सफाई के लिए अत्यंत आवश्यक है। कब्ज की स्थिति में पानी की कमी के कारण मल सख्त हो जाता है, इसलिए पर्याप्त मात्रा में पानी पीना चाहिए। सुबह खाली पेट गुनगुना पानी पीने से आंतें सक्रिय होती हैं और मल त्याग आसान हो जाता है। एसिडिटी के मामलों में ठंडा पानी पेट की जलन को कम कर सकता है, लेकिन भोजन के तुरंत बाद अधिक मात्रा में पानी पीने से पाचन रस पतला हो जाता है, जिससे एसिड रिफ्लक्स की समस्या बढ़ सकती है। आयुर्वेद में दिनभर छोटे-छोटे घूंट में पानी पीने की सलाह दी जाती है ताकि पाचन प्रक्रिया सुचारु बनी रहे। डॉ. पराशर के अनुसार, गर्मी में औसतन 3 से 3.5 लीटर और सर्दियों में 2 से 2.5 लीटर पानी पीना पर्याप्त माना जाता है। कुल मिलाकर, कब्ज और एसिडिटी में पानी फायदेमंद है, लेकिन इसे संतुलित और सही तरीके से पीना चाहिए।

इन बातों का रखें खास ध्यान:

- सुबह खाली पेट गुनगुना पानी पिएं।

- दिनभर छोटे-छोटे घूंट में पानी लें, एक साथ अधिक न पिएं।

- मसालेदार, तैलीय और फास्ट फूड से परहेज करें।

- रोजाना कम से कम 30 मिनट टहलें या हल्की एक्सरसाइज करें।

- भोजन समय पर और धीरे-धीरे चबाकर खाएं।

- तनाव से बचें और देर रात तक न जागें।

- मौसमी फल और हरी सब्जियों को भोजन में शामिल करें।


 

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