Edited By Tanuja,Updated: 18 Dec, 2025 06:48 PM

तिब्बत के कर्द्ज़े क्षेत्र में अवैध सोना खनन के खिलाफ विरोध करने पर चीनी अधिकारियों ने करीब 80 तिब्बतियों को हिरासत में लिया। सात लोग अब भी लापता हैं। इलाके में संचार बंदी, कड़ी निगरानी और मानवाधिकार उल्लंघन के गंभीर आरोप सामने आए हैं।
International Desk: तिब्बत के कर्द्ज़े तिब्बती स्वायत्त प्रांत के सेर्शुल काउंटी स्थित काशी गांव में अवैध सोना खनन के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के बाद चीनी अधिकारियों ने करीब 80 तिब्बतियों को हिरासत में ले लिया है, जबकि सात लोग अब भी लापता बताए जा रहे हैं। यह जानकारी तिब्बत पॉलिसी इंस्टीट्यूट (TPI) के उप निदेशक एवं पर्यावरण शोधकर्ता टेम्पा ग्याल्त्सेन ज़ामला ने धर्मशाला में आयोजित प्रेस वार्ता में दी। यह कार्रवाई 6 नवंबर की शाम उस समय शुरू हुई, जब स्थानीय लोगों ने सेरखोक (गोल्ड वैली) इलाके में अवैध सोना खनन पकड़े जाने के बाद खननकर्ताओं का विरोध किया और प्रशासन को सूचना दी।
रिपोर्ट के अनुसार, इसके बाद चीनी सुरक्षा बलों ने घर-घर जाकर सुनियोजित गिरफ्तारियां शुरू कीं। हिरासत में लिए गए लोगों को पूछताछ के लिए सेर्शुल काउंटी ले जाया गया। पूरे इलाके में संचार सेवाएं बंद, आवाजाही पर पाबंदी और भारी सुरक्षा तैनाती की गई। स्थानीय लोगों का आरोप है कि अधिकारियों ने बैठक कर चेतावनी दी कि इस घटना की जानकारी “ऊपर या बाहरी दुनिया तक कभी नहीं पहुंचनी चाहिए”, अन्यथा इसे गंभीर आपराधिक अपराध माना जाएगा। सुरक्षा बलों ने मोबाइल फोन जब्त, घरों की तलाशी ली और मामूली असहमति पर भी लोगों को हिरासत में लिया।
ज़ामला के अनुसार, हिरासत में लिए गए लोगों के साथ अमानवीय व्यवहार किया गया। आरोप हैं कि उन्हें नींद से वंचित रखा गया, शौचालय तक जाने की अनुमति नहीं दी गई और दिन में केवल एक बार ठंडा सत्तू (त्साम्पा) पानी में मिलाकर दिया गया। कई लोगों की पसलियां टूटने, किडनी संबंधी बीमारियां और गंभीर मानसिक आघात की शिकायतें सामने आई हैं। घटना के बाद इलाके में निगरानी और कड़ी कर दी गई, कई घरों में कैमरे और निगरानी उपकरण लगाए गए। कुछ बुजुर्गों को भी हिरासत में लेकर उनके फोन रिकॉर्ड खंगाले गए और बाद में तथाकथित ‘री-एजुकेशन’ सत्रों के लिए दोबारा बुलाया गया। यह मामला एक बार फिर तिब्बत में खनिज दोहन और मानवाधिकार उल्लंघन को लेकर चीन पर गंभीर सवाल खड़े करता है।