Edited By Tanuja,Updated: 07 Mar, 2023 05:56 PM

श्रीलंका के राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे ने ऐलान किया है कि चीन कर्जों का पुर्नगठन करने के लिए राजी हो गया है। आर्थिक रूप से डिफॉल्ट हो...
इंटरनेशनल डेस्क: श्रीलंका के राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे ने ऐलान किया है कि चीन कर्जों का पुर्नगठन करने के लिए राजी हो गया है। आर्थिक रूप से डिफॉल्ट हो चुके श्रीलंका को 2.9 अरब डॉलर के अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष के पैकेज की जरूरत है। श्रीलंका के लिए इस पैकेज को हासिल करने में चीन सबसे बड़ी बाधा बना हुआ था। करीब दो महीने नखरे दिखाने के बाद अब चीन अपने कर्ज का पुनर्गठन करने को राजी हो गया है। दरअसल, भारत ने G20 देशों के वित्त मंत्रियों की बैठक में श्रीलंका और पाकिस्तान के कर्ज का मुद्दा उठाया था। माना जा रहा है कि भारत और अमेरिका के चौतरफा दबाव के बाद चीन को अपना अड़ियल रवैया छोड़ना पड़ा है।
चीन ने श्रीलंका के ऋण पुनर्गठन कार्यक्रम में मदद करने का आश्वासन दिया है। चीन के कर्ज को पुर्नगठित करने से अब श्रीलंका को IMF से कर्ज मिलना आसान हो जाएगा। राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे ने मंगलवार को संसद को सूचित किया कि सरकार को सोमवार रात चीनी एक्जिम बैंक से आश्वासन पत्र मिला है जिसे तुरंत IMF को भेज दिया गया है। विक्रमसिंघे, जिनके पास वित्त विभाग भी है, ने आश्वासन दिया कि एक बार IMF समझौता हो जाने के बाद, सौदा सरकार की भविष्य की योजना और रोड मैप के मसौदे के साथ संसद में पेश किया जाएगा। द्वीप राष्ट्र श्रीलंका को चीन ने सबसे ज्यादा कर्ज दिया है।श्रीलंका के कुल लोन का 52 प्रतिशत चीन का है। इसके चलते श्रीलंका को आईएमएफ से मिलने वाले बेलआउट पैकेज बाधा बन रही थी।
जनवरी में श्रीलंका में अमेरिकी राजदूत जूली चुंग ने बेलआउट पाने के लिए आईएमएफ की शर्तों तक पहुंचने के श्रीलंका के प्रयास का जिक्र करते हुए चीन से स्पॉइलर नहीं बनने का आग्रह किया था। उन्होंने शिकायत की थी, ‘श्रीलंकाई लोगों की खातिर, हम निश्चित रूप से आशा करते हैं कि चीन आईएमएफ समझौते को आगे बढ़ने में रोड़ा नहीं अटकाएगा।’ जनवरी में क साक्षात्कार में अमेरिकी राजदूत ने दावा किया कि श्रीलंका के ऋण पुनर्गठन के संबंध में आगे बढ़ने का बड़ा दायित्व, सबसे बड़े द्विपक्षीय ऋणदाता के रूप में चीन पर था। राजदूत चुंग ने कहा, ‘हमें उम्मीद है कि वे देरी नहीं करेंगे क्योंकि श्रीलंका के पास देरी करने का समय नहीं है। उन्हें इन आश्वासनों की तत्काल आवश्यकता है।’ संकटग्रस्त देश के निकटतम पड़ोसी भारत का बकाया ऋण पिछले साल जून तक लगभग 1.7 अरब डॉलर था। भारत ने भी IMF को अपना आश्वासन दे दिया था।