18 देशों की स्टडी में खुला बड़ा राज: आलू-प्याज और रोटी पर मंडरा रहा है बड़ा खतरा

Edited By Updated: 22 Jul, 2025 01:09 PM

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एक अंतरराष्ट्रीय अध्ययन ने दुनिया भर में खाने-पीने की चीजों को लेकर खतरे की घंटी बजा दी है। जलवायु परिवर्तन अब केवल पर्यावरण का मुद्दा नहीं रह गया, बल्कि यह आपकी रसोई तक घुस आया है। 18 देशों पर हुई एक बड़ी रिसर्च में सामने आया है कि तापमान में...

नेशनल डेस्क:  एक अंतरराष्ट्रीय अध्ययन ने दुनिया भर में खाने-पीने की चीजों को लेकर खतरे की घंटी बजा दी है। जलवायु परिवर्तन अब केवल पर्यावरण का मुद्दा नहीं रह गया, बल्कि यह आपकी रसोई तक घुस आया है। 18 देशों पर हुई एक बड़ी रिसर्च में सामने आया है कि तापमान में बढ़ोतरी, बेमौसम बारिश और सूखे के चलते आलू, प्याज और यहां तक कि रोटी जैसी बुनियादी चीजें भी महंगी और दुर्लभ होती जा रही हैं। यह स्थिति न केवल आम आदमी की थाली पर असर डाल रही है, बल्कि वैश्विक खाद्य सुरक्षा को भी गंभीर संकट में डाल रही है।

खेती पर कहर बनकर टूटा मौसम
वैज्ञानिकों की ताज़ा रिपोर्ट बताती है कि मौसम का असंतुलन - कभी अत्यधिक बारिश, कभी सूखा और कभी तूफानी बाढ़- कृषि उत्पादन को बुरी तरह प्रभावित कर रहा है। अनियमित मौसम के कारण फसलों की उपज में भारी गिरावट आई है, जिससे खाद्य वस्तुओं की उपलब्धता घट गई है और इनके दाम तेजी से बढ़े हैं।

कीमतें क्यों उछल रही हैं?
ब्रिटेन की एनर्जी एंड क्लाइमेट इंटेलीजेंस यूनिट समेत चार अंतरराष्ट्रीय संस्थानों के साझा शोध में पाया गया कि 2022 से 2024 के बीच दुनिया भर में खाद्य महंगाई और खराब मौसम के बीच गहरा संबंध है। उदाहरण के लिए, ब्रिटेन में आलू, कोरिया में पत्तागोभी और घाना में कोको की कीमतों में रिकॉर्ड तोड़ उछाल आया- और वजह थी बेमौसम बारिश, तापमान में बढ़ोतरी और लंबा सूखा।

भारत में प्याज-आलू भी पहुंचे आसमान पर
भारत में भी मौसम की मार ने बुनियादी सब्जियों को नहीं बख्शा। शोध के मुताबिक, जून 2024 तक आलू और प्याज की कीमतें 2022 की तुलना में करीब 89 प्रतिशत तक बढ़ चुकी हैं। इसका सीधा असर गरीब और मध्यम वर्गीय परिवारों के किचन बजट पर पड़ा है।

खेती में सामने आ रही हैं बड़ी चुनौतियां
तेज़ बारिश की वजह से खेतों की उपजाऊ मिट्टी बह जाती है, वहीं लंबे समय तक सूखा पड़ने से फसलें झुलस जाती हैं। परिणामस्वरूप किसान उत्पादन नहीं कर पाते और देश को खाद्य संकट की आशंका सताने लगती है। इससे न केवल महंगाई बढ़ती है, बल्कि पोषण की कमी और सामाजिक अशांति जैसे खतरे भी सामने आ जाते हैं।

जब महंगाई बन जाए आंदोलन की वजह
ऐसे उदाहरण भी सामने आए हैं जब खाने की चीजें इतनी महंगी हो गईं कि लोगों को सड़कों पर उतरना पड़ा। मोजाम्बिक में ब्रेड की कीमत बढ़ने पर भयंकर विरोध प्रदर्शन हुए थे। विशेषज्ञों का कहना है कि खाद्य महंगाई केवल आर्थिक नहीं, बल्कि सामाजिक और राजनीतिक संकट का भी कारण बन सकती है।


 

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