Edited By Parminder Kaur,Updated: 19 May, 2025 05:23 PM

पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने जम्मू-कश्मीर सरकार से एक फैसले पर पुनर्विचार करने का अनुरोध किया है। सरकार ने महत्वपूर्ण सरकारी इमारतों की सुरक्षा के लिए 4,000 पूर्व सैनिकों को भर्ती करने का निर्णय लिया है। महबूबा...
नेशनल डेस्क. पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने जम्मू-कश्मीर सरकार से एक फैसले पर पुनर्विचार करने का अनुरोध किया है। सरकार ने महत्वपूर्ण सरकारी इमारतों की सुरक्षा के लिए 4,000 पूर्व सैनिकों को भर्ती करने का निर्णय लिया है। महबूबा मुफ्ती ने मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला को लिखे पत्र में कहा कि यह कदम जम्मू-कश्मीर में बढ़ती बेरोजगारी के मद्देनजर उठाया गया है।
उन्होंने अपने पत्र में लिखा, "मैं जम्मू-कश्मीर में महत्वपूर्ण सरकारी इमारतों की सुरक्षा के लिए 4,000 पूर्व सैनिकों को नियुक्त करने के आपकी सरकार के हालिया फैसले के बारे में अपनी गहरी चिंता व्यक्त करने के लिए यह पत्र लिख रही हूं। वे पूर्व सैनिकों की सेवाओं और अनुशासन का सम्मान करती हैं, लेकिन यह निर्णय कई गंभीर सवाल खड़े करता है, खासकर ऐसे समय में जब जम्मू-कश्मीर में लाखों शिक्षित युवा रोजगार के अवसरों के लिए संघर्ष कर रहे हैं। सुरक्षा गार्ड की नौकरी के लिए विशेष सैन्य विशेषज्ञता की आवश्यकता नहीं होती है और इसे प्रशिक्षित स्थानीय युवाओं द्वारा आसानी से किया जा सकता है, जिनके लिए ऐसी नौकरी जीवन का एक महत्वपूर्ण सहारा बन सकती है।"
पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि चूंकि कई पूर्व सैनिक पहले से ही पेंशन प्राप्त कर रहे हैं। इसलिए बेरोजगार युवाओं की तुलना में उन्हें प्राथमिकता देने से युवाओं में अलगाव की भावना पैदा हो सकती है। सरकार इस प्रकार युवाओं के साथ विश्वास और जुड़ाव स्थापित करने का एक महत्वपूर्ण अवसर खो देगी। इस नीति को केवल एक अल्पकालिक सुरक्षा समाधान के रूप में देखा जा सकता है, जो दीर्घकालिक सामाजिक और आर्थिक स्थिरता को संबोधित करने में विफल रहता है। स्थानीय युवाओं को ऐसी भूमिकाओं में शामिल करने से न केवल रोजगार पैदा होगा, बल्कि सार्वजनिक सुरक्षा बनाए रखने में जिम्मेदारी, समावेश और भागीदारी की भावना भी बढ़ेगी, जो क्षेत्र में शांति स्थापना के लिए आवश्यक है।
उन्होंने मुख्यमंत्री कार्यालय से इस नीति पर पुनर्विचार करने या इसके पीछे के तर्क को स्पष्ट करने का आग्रह किया और ऐसे समावेशी मॉडल तलाशने का सुझाव दिया जिससे क्षेत्र के बेरोजगार युवाओं को भी लाभ मिल सके।