Edited By Rohini Oberoi,Updated: 26 Dec, 2025 01:30 PM

देश के बड़े हिस्से में कड़ाके की ठंड और शीतलहर (Cold Wave) का अलर्ट जारी कर दिया गया है। उत्तर भारत के राज्य जैसे राजस्थान, दिल्ली, पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और बिहार भीषण ठंड की चपेट में हैं। मौसम विभाग (IMD) के अनुसार आने वाले कुछ दिनों तक...
Cold Wave Alert 2025: देश के बड़े हिस्से में कड़ाके की ठंड और शीतलहर (Cold Wave) का अलर्ट जारी कर दिया गया है। उत्तर भारत के राज्य जैसे राजस्थान, दिल्ली, पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और बिहार भीषण ठंड की चपेट में हैं। मौसम विभाग (IMD) के अनुसार आने वाले कुछ दिनों तक तापमान में और गिरावट दर्ज की जा सकती है। बढ़ती ठंड न केवल दैनिक जीवन को प्रभावित कर रही है बल्कि यह सेहत के लिए भी गंभीर चुनौतियां पैदा कर रही है। आइए विस्तार से समझते हैं कि इस मौसम में कौन सी बीमारियां बढ़ जाती हैं और आपको किन सावधानियों की जरूरत है।

शीतलहर में होने वाली प्रमुख बीमारियां
अत्यधिक ठंड हमारे शरीर के रक्षा तंत्र (Immunity) को कमजोर कर देती है जिससे निम्नलिखित स्वास्थ्य समस्याएं बढ़ सकती हैं:
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श्वसन संबंधी समस्याएं: सर्दी, खांसी, फ्लू और गले में खराश आम हैं। अस्थमा और COPD के मरीजों के लिए सांस लेना और भी मुश्किल हो जाता है।
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हृदय रोग का खतरा: ठंड में हमारी रक्त वाहिकाएं (Blood Vessels) सिकुड़ जाती हैं। इससे ब्लड प्रेशर (High BP) बढ़ जाता है और हृदय पर दबाव बढ़ने से हार्ट अटैक का जोखिम काफी बढ़ जाता है।
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जोड़ों का दर्द: कम तापमान के कारण गठिया (Arthritis) और जोड़ों के दर्द की समस्या बढ़ जाती है।
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हाइपोथर्मिया: जब शरीर का तापमान 35°C से नीचे गिर जाता है तो यह जानलेवा हो सकता है। इसे हाइपोथर्मिया कहते हैं।

किन्हें है सबसे ज्यादा खतरा?
Cold Wave Alert 2025 के इस दौर में इन लोगों को विशेष ध्यान देने की जरूरत है:
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बुजुर्ग और बच्चे: इनकी इम्युनिटी कम होती है और शरीर तापमान को जल्दी नियंत्रित नहीं कर पाता।
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क्रोनिक मरीज: दिल की बीमारी, शुगर (Diabetes) और अस्थमा से पीड़ित लोग।
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गर्भवती महिलाएं: ठंड का असर उनके और शिशु के स्वास्थ्य पर पड़ सकता है।
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मजदूर और बेघर: वे लोग जो लंबे समय तक खुले आसमान के नीचे या बाहर काम करते हैं।

खुद को सुरक्षित रखने के प्रभावी उपाय
ठंड के इस सितम से बचने के लिए विशेषज्ञ कुछ आसान और जरूरी सुझाव देते हैं:
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लेयर्ड कपड़े पहनें: एक मोटे कपड़े के बजाय कई परतों (Layers) में ऊनी कपड़े पहनें। सिर को टोपी से और पैरों को मोजों से ढंकना न भूलें।
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खान-पान का ध्यान: अपने आहार में गुड़, तिल, अदरक, लहसुन और हल्दी वाला दूध शामिल करें। सूप और ताज़ा बना गर्म खाना शरीर को अंदर से गर्मी देता है।
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हाइड्रेशन: प्यास न लगने पर भी गुनगुना पानी पीते रहें ताकि शरीर में डिहाइड्रेशन न हो।
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धूप का सेवन: सुबह की हल्की धूप विटामिन D देती है और शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाती है।
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बाहर जाने से बचें: कोहरे और अत्यधिक ठंड के समय (सुबह और देर रात) बाहर निकलने से परहेज करें।

कब लें डॉक्टर की सलाह?
यदि आपको या परिवार के किसी सदस्य को निम्नलिखित लक्षण महसूस हों तो तुरंत चिकित्सा सहायता लें:
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सांस फूलना या छाती में तेज दर्द।
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लगातार और तेज खांसी।
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शरीर का बहुत अधिक ठंडा पड़ जाना या कंपकंपी का न रुकना।
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अचानक सुस्ती या बोलने में लड़खड़ाहट।