Edited By Anu Malhotra,Updated: 28 Nov, 2025 12:24 PM

कोलोरेक्टल कैंसर अब केवल बुजुर्गों की बीमारी नहीं रह गई है। दुनिया भर में इसके मामले तेजी से बढ़ रहे हैं और युवा वर्ग भी अब इस गंभीर बीमारी की चपेट में आ रहा है। शुरुआती दौर में यह कैंसर अक्सर बिना स्पष्ट लक्षण के बढ़ता है, जिससे लोग इसे सामान्य पेट...
नई दिल्ली: कोलोरेक्टल कैंसर अब केवल बुजुर्गों की बीमारी नहीं रह गई है। दुनिया भर में इसके मामले तेजी से बढ़ रहे हैं और युवा वर्ग भी अब इस गंभीर बीमारी की चपेट में आ रहा है। शुरुआती दौर में यह कैंसर अक्सर बिना स्पष्ट लक्षण के बढ़ता है, जिससे लोग इसे सामान्य पेट की परेशानी समझकर अनदेखा कर देते हैं। विशेषज्ञों के अनुसार, समय पर पहचान और सही इलाज से इस बीमारी में जीवन रक्षक बदलाव लाया जा सकता है।
क्यों जरूरी है शुरुआती पहचान?
अमेरिकन कैंसर सोसाइटी के आंकड़ों के अनुसार, अगर कोलोरेक्टल कैंसर शुरुआती स्टेज में पकड़ा जाए और यह केवल आंतों तक सीमित रहे, तो 5 साल तक जीवित रहने की संभावना लगभग 90 प्रतिशत होती है। लेकिन जैसे-जैसे यह शरीर में फैलता है, यह प्रतिशत तेजी से घटकर 73 और अंततः 13 प्रतिशत तक गिर जाता है। इसलिए समय पर पहचान और स्क्रीनिंग बेहद महत्वपूर्ण है।
शुरुआती चेतावनी संकेत
डॉक्टर बताते हैं कि कुछ लक्षण शुरुआती स्टेज में ही दिखाई देते हैं और इन्हें नजरअंदाज करना खतरनाक हो सकता है।
-
स्टूल का पतला या पेंसिल जैसा होना
अगर मल अचानक पतला, रिबन जैसा या पेंसिल जैसी आकृति में आने लगे और यह लंबे समय तक बना रहे, तो यह आंतों के अंदर ट्यूमर के संकुचन का संकेत हो सकता है।
-
मल में म्यूकस का बढ़ जाना
स्टूल में जेल या चिपचिपा पदार्थ दिखना असामान्य है। विशेषज्ञ मानते हैं कि यह भी शुरुआती संकेतों में शामिल हो सकता है।
-
मल में खून दिखना
स्टूल में खून, चाहे लाल हो या काला, यह सबसे आम और गंभीर चेतावनी संकेत है। हालांकि पाइल्स या फिशर से भी ब्लीडिंग हो सकती है, लेकिन लगातार खून आने की स्थिति को कभी भी हल्के में नहीं लेना चाहिए।
-
बार-बार दस्त या कब्ज रहना
लगातार दस्त या कब्ज, या उनके बीच बार-बार बदलाव, भी कोलोरेक्टल कैंसर की संभावित चेतावनी है। विशेष रूप से 50 साल से ऊपर के लोगों को इस स्थिति में तुरंत कोलोनोस्कोपी करवानी चाहिए।
युवा वर्ग में बढ़ते मामले
The Lancet Oncology की एक रिपोर्ट के अनुसार, 25 से 49 वर्ष की उम्र में कोलोरेक्टल कैंसर के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। खराब खानपान, अत्यधिक प्रोसेस्ड फूड, मोटापा, जीवनशैली की असंतुलित आदतें और एंटीबायोटिक का अधिक उपयोग इसके प्रमुख कारण माने जा रहे हैं।
समय पर स्क्रीनिंग और जीवनशैली सुधार जरूरी
विशेषज्ञों का मानना है कि अगर लोग समय पर स्क्रीनिंग और जीवनशैली में बदलाव पर ध्यान दें, तो इस बीमारी की बढ़ती संख्या को काफी हद तक रोका जा सकता है।