Edited By Mansa Devi,Updated: 26 Jul, 2025 01:03 PM

भारतीय रेलवे ने हरित ऊर्जा के क्षेत्र में एक और मील का पत्थर स्थापित करते हुए इतिहास रच दिया है! चेन्नई स्थित इंटीग्रल कोच फैक्ट्री में देश की पहली हाइड्रोजन से चलने वाली ट्रेन का सफलतापूर्वक परीक्षण किया गया है। रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने खुद...
नेशनल डेस्क: भारतीय रेलवे ने हरित ऊर्जा के क्षेत्र में एक और मील का पत्थर स्थापित करते हुए इतिहास रच दिया है! चेन्नई स्थित इंटीग्रल कोच फैक्ट्री में देश की पहली हाइड्रोजन से चलने वाली ट्रेन का सफलतापूर्वक परीक्षण किया गया है। रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने खुद सोशल मीडिया पर एक वीडियो साझा करते हुए इस ऐतिहासिक उपलब्धि की पुष्टि की है।
रेल मंत्री ने दी जानकारी
रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने अपने 'एक्स' (पहले ट्विटर) हैंडल पर पोस्ट करते हुए लिखा, "पहला हाइड्रोजन से चलने वाला कोच (ड्राइविंग पावर कार) का आईसीएफ, चेन्नई में सफलतापूर्वक टेस्ट किया गया।" उन्होंने आगे बताया कि भारत 1,200 हॉर्स पावर (HP) की हाइड्रोजन ट्रेन विकसित कर रहा है, जो इसे इस तकनीक में अग्रणी देशों में शामिल कर देगा।
क्यों खास है हाइड्रोजन ट्रेन?
जिस कोच का परीक्षण किया गया, उसे 'ड्राइविंग पावर कार' के नाम से जाना जाता है। रेल मंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि यह कदम हरित ऊर्जा (Green Energy) और भविष्य के लिए तैयार परिवहन समाधानों के प्रति भारत की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
पर्यावरण के अनुकूल: डीजल और बिजली से चलने वाली ट्रेनों की तुलना में हाइड्रोजन ट्रेनें कहीं ज़्यादा पर्यावरण अनुकूल होती हैं। इस ट्रेन में न तो धुआँ निकलता है और न ही कार्बन डाइऑक्साइड जैसी प्रदूषण फैलाने वाली गैसें निकलती हैं।
तकनीक: यह ट्रेन हाइड्रोजन फ्यूल सेल तकनीक पर काम करती है, जिसमें हाइड्रोजन गैस और ऑक्सीजन की प्रतिक्रिया से ऊर्जा पैदा होती है। इसका एकमात्र उप-उत्पाद पानी की भाप होती है।
लागत और भविष्य की योजना
साल 2023 में, रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने राज्यसभा को सूचित किया था कि भारतीय रेलवे “विरासत के लिए हाइड्रोजन” पहल के तहत 35 हाइड्रोजन-संचालित ट्रेनें चलाने की योजना बना रहा है। प्रत्येक ट्रेन की अनुमानित लागत ₹80 करोड़ है।
उन्होंने यह भी बताया था कि उत्तर रेलवे के जींद-सोनीपत खंड पर चलने वाली एक डीज़ल इलेक्ट्रिक मल्टीपल यूनिट को हाइड्रोजन ईंधन कोशिकाओं के साथ पुनर्निर्मित करने के लिए ₹111.83 करोड़ की एक पायलट परियोजना भी शुरू की गई है। हालांकि, हाइड्रोजन ट्रेनों की शुरुआती परिचालन लागत अधिक हो सकती है, लेकिन समय के साथ इसमें कमी आने की उम्मीद है। इस कदम का मुख्य उद्देश्य हरित परिवहन को बढ़ावा देना और स्वच्छ हाइड्रोजन ऊर्जा के ज़रिए भारत के शून्य कार्बन उत्सर्जन लक्ष्यों (Zero Carbon Emission Goals) का समर्थन करना है। यह भारत को वैश्विक स्तर पर स्वच्छ ऊर्जा परिवहन के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण खिलाड़ी के रूप में स्थापित करेगा।