Watch Pics: रेगिस्तान में बने इस 'किले' की खासियत आपको कर देगी हैरान

Edited By Updated: 29 May, 2016 01:42 PM

desert fort water problem

राजस्थान में भीषण गर्मी के साथ पानी की भारी समस्या है। आज से कई 100 साल पहले यहां के महाराजाओं ने भीषण गर्मी और पानी की समस्या को...

जयपुर: राजस्थान में भीषण गर्मी के साथ पानी की भारी समस्या है। आज से कई 100 साल पहले यहां के महाराजाओं ने भीषण गर्मी और पानी की समस्या को देखते हुए ऐसी टेक्नोलॉजी बनाई थी जिससे ग्राउंड वाटर को हाथ लगाए बिना ही पानी लोगों को मिल जाता था। ऐसा ही कुछ जयपुर जयगढ़ फोर्ट के 200 साल पुराने वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम को देखने से पता चलता है। 


ये पानी के बड़े टांके थे लाइफ लाइन 
बताया जा रहा है कि यह किला समुद्र तल से 500 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। अरावली पर्वतमाला के चील का टीला पर स्थित इस दुर्ग पर न तो बोरिंग करके ग्राउंड वाटर का इस्तेमाल किया जा सकता था और न ही धरातल से यहां पानी भेजने का काम हो सकता था। इस ऊंचाई पर भी अपने सैनिकों, उनके घोड़े और दुर्ग में रहने वालों के लिए पीने के पानी का जो सिस्टम बनाया गया था उसका आज भी इस्तेमाल हो रहा है। 


बारिश का साफ पानी पूरे साल के लिए होता था इकट्ठा
आपको बता दें कि जयपुर के महाराजा सवाई जयसिंह ने इस किले को वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम से जोड़ दिया था। इस किले के चारो ओर 10 फीट चौड़ी नालियों का एक ऐसा जाल बनवाया जो इससे जुड़ा हुआ था। किले की छतों पर भी एक नालियों को जाल था। वाटर एक्सपर्ट्स की मानें तो यह पानी आज भी इतना साफ और पीने योग्य होता है जितना जमीन से निकला पानी भी नहीं होता है। सिटी पैलेस के सहयोग से इस दुर्ग में वाटर हेरिटेज वॉक की शुरुआत करने वाले वॉटर स्टोरी टेलर नीरज दोसी ने बताया कि दुर्ग में आ रहे इस पानी के जाल को अभी तक पूरी तरह से समझा नहीं जा सका है। तीन टांके फोर्ट में आते हैं। एक बड़ा टंका सेंटर में है। इसकी लंबाई और चौड़ाई 47.4 मीटर और गहराई 12 मीटर है। यह 81 पिलर्स पर खड़ा है।

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