Paytm को RBI से मिली बड़ी राहत- Google Pay, PhonePe को देगा कड़ी टक्कर

Edited By Updated: 13 Aug, 2025 09:39 AM

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डिजिटल भुगतान क्षेत्र में एक बार फिर से बड़ी हलचल मची है। भारत के प्रमुख डिजिटल पेमेंट प्लेटफॉर्म Paytm  को आखिरकार भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) से ऑनलाइन पेमेंट एग्रीगेटर के रूप में काम करने की औपचारिक मंजूरी मिल गई है। यह फैसला पेटीएम की मूल कंपनी...

नई दिल्ली: डिजिटल भुगतान क्षेत्र में एक बार फिर से बड़ी हलचल मची है। भारत के प्रमुख डिजिटल पेमेंट प्लेटफॉर्म Paytm  को आखिरकार भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) से ऑनलाइन पेमेंट एग्रीगेटर के रूप में काम करने की औपचारिक मंजूरी मिल गई है। यह फैसला पेटीएम की मूल कंपनी वन97 कम्युनिकेशंस लिमिटेड के लिए न केवल एक बड़ी राहत है, बल्कि बाजार में भरोसे की वापसी का संकेत भी है।

क्या है इस मंजूरी का मतलब?
इस मंजूरी के बाद पेटीएम की पेमेंट सर्विस यूनिट — Paytm Payment Services Ltd (PPSL) अब दोबारा नए मर्चेंट्स को ऑनबोर्ड कर सकेगी, यानी व्यापारियों को अपने प्लेटफॉर्म से जोड़ने पर लगी रोक हटा दी गई है।

यह प्रतिबंध नवंबर 2022 से लागू था, जब RBI ने कुछ FDI से संबंधित अनुपालनों की वजह से पेटीएम पर नए व्यापारियों को जोड़ने से मना कर दिया था। लेकिन अब जब सारी बाधाएं हट चुकी हैं, तो पेटीएम अपनी सेवाओं का विस्तार पहले की तरह कर पाएगा।

मार्च 2020 से चला आ रहा था मामला
Paytm की पेमेंट एग्रीगेटर लाइसेंस के लिए अर्जी मार्च 2020 में दी गई थी। हालांकि, आवेदन के बाद यह मामला लंबे समय तक अटका रहा क्योंकि कंपनी के पास विदेशी निवेशकों का नियंत्रण था, खासकर चीन की अलीबाबा और एंट फाइनेंशियल जैसे समूहों का।

RBI ने हाल ही में 12 अगस्त 2025 को Paytm को “इन-प्रिंसिपल अप्रूवल” देते हुए यह साफ कर दिया कि कंपनी अब भुगतान सेवा प्रदाता के तौर पर पेमेंट एंड सेटलमेंट सिस्टम्स एक्ट, 2007 के तहत वैध रूप से काम कर सकती है।

अब नहीं रहा अलीबाबा समूह का नियंत्रण
इस लाइसेंस को मंजूरी मिलने में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका रही Paytm के स्वामित्व में बदलाव की। अलीबाबा ग्रुप और उसकी सहयोगी कंपनी Ant Financial ने हाल ही में Paytm की पैरेंट कंपनी वन97 कम्युनिकेशंस से अपनी पूरी हिस्सेदारी बेच दी है। Antfin (Netherlands) Holding BV ने अपनी 5.84% हिस्सेदारी करीब ₹3,800 करोड़ में बेच दी है। यह सौदा एक थोक लेन-देन के माध्यम से हुआ, और इसके साथ ही Paytm अब पूरी तरह से एक भारतीय स्वामित्व वाली कंपनी बन चुकी है। इस बदलाव ने Paytm को भारतीय नीतियों और RBI के दिशानिर्देशों के अधिक निकट ला दिया है, जिससे उसका लाइसेंस रोकने का कारण भी समाप्त हो गया।

क्या बदलेगा पेटीएम के लिए?
नए व्यापारियों को जोड़ सकेगा:
अब पेटीएम अपनी व्यापारिक सेवाओं को फिर से विस्तार दे सकेगा, जिससे खासकर छोटे व्यवसायों को डिजिटल पेमेंट की सुविधा मिल पाएगी।

प्रतिस्पर्धा में वापसी:
बाजार में Google Pay, PhonePe और अन्य UPI सेवा प्रदाताओं से होड़ में पेटीएम अब फिर से प्रतिस्पर्धा कर सकेगा।

निवेशकों में बढ़ेगा भरोसा:
विदेशी स्वामित्व से मुक्त होने के बाद पेटीएम अब भारतीय निवेशकों के लिए और अधिक विश्वसनीय और पारदर्शी विकल्प बनकर उभरेगा।

नियामकीय स्थिरता:
आरबीआई की मंजूरी से यह स्पष्ट संकेत मिलता है कि कंपनी अब सभी जरूरी अनुपालनों को पूरा कर रही है।


 

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