Edited By Rahul Rana,Updated: 29 Jul, 2025 06:07 PM

भारत की रक्षा क्षमता को और मजबूत करते हुए, रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) ने 28 और 29 जुलाई को सतह से सतह पर मार करने वाली स्वदेशी ‘प्रलय’ मिसाइल के दो सफल उड़ान परीक्षण किए। ये परीक्षण ओडिशा तट के पास स्थित एपीजे अब्दुल कलाम द्वीप से किए गए।
नई दिल्ली : भारत की रक्षा क्षमता को और मजबूत करते हुए, रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) ने 28 और 29 जुलाई को सतह से सतह पर मार करने वाली स्वदेशी ‘प्रलय’ मिसाइल के दो सफल उड़ान परीक्षण किए। ये परीक्षण ओडिशा तट के पास स्थित एपीजे अब्दुल कलाम द्वीप से किए गए।
मंत्रालय की ओर से जारी बयान के अनुसार, मिसाइल ने निर्धारित प्रक्षेप पथ का सटीक रूप से अनुसरण किया और सभी मिशन उद्देश्यों को सफलतापूर्वक पूरा करते हुए अपने लक्ष्यों को भेदा। परीक्षणों के दौरान DRDO के वरिष्ठ वैज्ञानिकों, भारतीय वायु सेना और थल सेना के अधिकारियों के साथ-साथ संबंधित उद्योग जगत के प्रतिनिधियों ने भी उपस्थिति दर्ज की।
‘प्रलय’ मिसाइल एक कम दूरी की बैलिस्टिक मिसाइल है, जो पारंपरिक (कन्वेंशनल) वारहेड ले जाने में सक्षम है। इसकी मारक क्षमता 150 से 500 किलोमीटर के बीच है और यह 500 से 1,000 किलोग्राम तक का पेलोड ले जाने में सक्षम है।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सफल परीक्षणों के लिए DRDO, सशस्त्र बलों और भागीदार उद्योगों को बधाई दी। उन्होंने कहा कि, “आधुनिक तकनीकों से लैस यह मिसाइल हमारे सशस्त्र बलों की ताकत में बड़ा तकनीकी योगदान देगी और खतरों से निपटने की क्षमता को और बढ़ाएगी।”
वहीं, DRDO के अध्यक्ष और रक्षा अनुसंधान एवं विकास विभाग के सचिव डॉ. समीर वी. कामत ने परीक्षण में शामिल टीमों को बधाई दी। उन्होंने कहा कि चरण-1 उड़ान परीक्षणों की सफलता से मिसाइल प्रणाली को जल्द ही सशस्त्र बलों में शामिल करने का मार्ग प्रशस्त हो गया है।