Dubai part of India: दुबई कभी भारत का शहर था? एक खामोश फैसले ने बदल दी किस्मत!

Edited By Updated: 10 Jul, 2025 12:11 PM

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आज हम जो खाड़ी के आधुनिक देश—दुबई, कुवैत, बहरीन—देखते हैं, वे अपनी चमक-दमक और तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था के लिए दुनियाभर में मशहूर हैं।  ये देश एक समय भारत का हिस्सा हुआ करते थे। हां, यह बात आश्चर्यजनक जरूर है, लेकिन इतिहास की सच्चाई यही है कि 20वीं...

नेशनल डेस्क: आज हम जो खाड़ी के आधुनिक देश—दुबई, कुवैत, बहरीन—देखते हैं, वे अपनी चमक-दमक और तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था के लिए दुनियाभर में मशहूर हैं।  ये देश एक समय भारत का हिस्सा हुआ करते थे। हां, यह बात आश्चर्यजनक जरूर है, लेकिन इतिहास की सच्चाई यही है कि 20वीं सदी की शुरुआत में ये खाड़ी क्षेत्र सीधे ब्रिटिश भारत के प्रशासनिक नियंत्रण में थे। इस अनोखे और छुपे हुए इतिहास को जानना आपके लिए भी हैरानी भरा हो सकता है।
 
दिल्ली से चलता था खाड़ी क्षेत्र का प्रशासन
20वीं सदी के शुरुआती दौर में कुवैत, बहरीन, ओमान, दुबई जैसे खाड़ी के कई इलाके ब्रिटिश भारत की इंडियन पॉलिटिकल सर्विस के अधीन थे। इन क्षेत्रों के प्रशासनिक फैसले सीधे दिल्ली से लिए जाते थे, और इन्हें आधिकारिक तौर पर भारत का हिस्सा माना जाता था। लेकिन इस पूरे संबंध को ब्रिटिश सरकार ने सार्वजनिक रूप से छुपा कर रखा था। वे इस बात को छुपाने के पीछे की वजह बताने से डरते थे कि इससे ऑटोमन साम्राज्य या सऊदी अरब जैसे मुस्लिम देशों के साथ विवाद हो सकता है।

ब्रिटिश सरकार का छुपा हुआ राज़
ब्रिटिश अधिकारियों को डर था कि अगर खाड़ी क्षेत्रों को भारत के नक्शे में दिखाया गया, तो वे इस्लामी सत्ता केंद्रों के गुस्से का सामना कर सकते थे। इसलिए इन इलाकों को मानो किसी ने हीरे की तरह नक्शों से गायब कर दिया। ब्रिटिश प्रशासन ने इसे ऐसे छुपाया जैसे कोई राजा अपनी रानी को पर्दे में रखता हो। इस कारण आम जनता को कभी इस बात की जानकारी नहीं मिली कि ये क्षेत्र कभी भारत के शासन में थे।

स्वतंत्रता से पहले छिन गया खाड़ी का संबंध
भारत के स्वतंत्र होने की तैयारी के दौरान ब्रिटिश सरकार ने खाड़ी क्षेत्र को भारत से अलग करने का फैसला कर लिया। 1937 में अदन को भारत से अलग किया गया और 1 अप्रैल 1947 को, भारत की आजादी से कुछ महीने पहले, कुवैत, बहरीन, दुबई जैसे खाड़ी के राज्यों को औपचारिक रूप से भारत के प्रशासनिक नियंत्रण से हटाया गया। यह फैसला बहुत ही चुपचाप लिया गया था, लेकिन इसके दूरगामी प्रभाव हुए। यदि ऐसा न होता, तो आज ये तेल संपन्न देश शायद भारत या पाकिस्तान के हिस्से होते।

ब्रिटिश राज का आखिरी किला
दिलचस्प यह है कि भारत की आजादी के बाद भी, ब्रिटिश नियंत्रण खाड़ी क्षेत्र में 1971 तक बना रहा। यहां भारतीय रुपया प्रचलित था, जहाज ब्रिटिश इंडिया की शिपिंग लाइन से आते-जाते थे, और प्रशासन ब्रिटिश प्रशिक्षित अधिकारी संभालते थे। यह ब्रिटिश भारत का आखिरी प्रशासनिक क्षेत्र था जिसे छोड़ा गया।

खाड़ी के देश भूल चुके हैं अपनी भारतीय विरासत
आज के खाड़ी देश अपनी ब्रिटिश-भारतीय विरासत से दूरी बनाए हुए हैं। इतिहासकार पॉल रिच के मुताबिक, इन देशों ने जानबूझकर इस अतीत को मिटाया है ताकि वे एक स्वतंत्र, प्राचीन और स्वदेशी पहचान बना सकें। हालांकि, आम लोगों की यादों में यह रिश्ता अब भी जीवित है। एक कतरी बुजुर्ग ने याद करते हुए बताया कि कैसे बचपन में एक भारतीय कर्मचारी ने उसे सज़ा दी थी, और अब भारतीय कामगारों को देखकर उसे एक अलग संतोष होता है।

दुबई की चमक के पीछे छुपा भारत का इतिहास
आज दुबई आधुनिकता और आर्थिक समृद्धि का पर्याय है, लेकिन कभी यह वही शहर था जहां से भारतीय पासपोर्ट चलता था, जहां हिंदी-उर्दू बोली जाती थी, और जिसका प्रशासन दिल्ली से संचालित होता था।

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