इलैक्शन डायरी: जब कांग्रेस के समर्थन से अकाली लछमन सिंह बने मुख्यमंत्री

Edited By Anil dev,Updated: 10 May, 2019 10:40 AM

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सियासत में दल-बदल का रुझान सिर्फ हरियाणा के ‘आया राम-गया राम’ तक ही सीमित नहीं था बल्कि पंजाब में तो दल-बदली के साथ मुख्यमंत्री तक बने हैं। 1967 के चुनाव के दौरान पंजाब में किसी पार्टी को बहुमत नहीं मिला था और कांग्रेस ने अकाली दल से अलग होकर नई...

इलैक्शन डैस्क: सियासत में दल-बदल का रुझान सिर्फ हरियाणा के ‘आया राम-गया राम’ तक ही सीमित नहीं था बल्कि पंजाब में तो दल-बदली के साथ मुख्यमंत्री तक बने हैं। 1967 के चुनाव के दौरान पंजाब में किसी पार्टी को बहुमत नहीं मिला था और कांग्रेस ने अकाली दल से अलग होकर नई पार्टी बनाने वाले लछमन सिंह गिल को समर्थन देकर मुख्यमंत्री बनवा दिया था। वह नवम्बर 1967 से अगस्त 1968 तक राज्य के मुख्यमंत्री रहे। 

कांग्रेस को इस चुनाव के दौरान 47 सीटें हासिल हुई थीं और वह 104 सीटों की विधानसभा में बहुमत हासिल नहीं कर सकी जबकि दूसरी तरफ अकाली दल (संत फतेह सिंह ग्रुप) के 24, जनसंघ के 9, सी.पी.आई. के 5, सी.पी.एम. के 3, आर.पी.आई. के 3, अकाली दल (मास्टर तारा सिंह ग्रुप) के 2 और एस.एस.पी. के 1 व 6 आजाद उम्मीदवारों को मिलाकर 53 सदस्यों का एक यूनाइटिड फ्रंट बनाया गया और गुरनाम सिंह को इस फ्रंट का नेता चुना गया और वह पंजाब के मुख्यमंत्री बने। 

गुरनाम सिंह ने 3 अप्रैल को अपने मंत्रिमंडल का विस्तार किया और कांग्रेस से बागी हुए विधायक के साथ-साथ 3 आजाद विधायकों को डिप्टी मिनिस्टर बना दिया और एक कम्युनिस्ट लीडर को कैबिनेट में शामिल किया गया। 5 अप्रैल को ही यूनाइटिड फ्रंट के 4 विधायकों ने सरकार का साथ छोड़ दिया और विपक्ष खेमे में शामिल हो गए। इसके बाद कांग्रेस के 5 अन्य विधायकों ने दल बदला और यूनाइटिड फ्रंट में शामिल हो गए और उन्हें 5 मई को शपथ दिलाई गई और सरकार में मंत्रियों की संख्या 16 हो गई। इस बीच 26 मई को अकाली दल संत फतेह सिंह ग्रुप के एम.एल.ए. चरण सिंह हुधियारा ने अपने एक अन्य साथी के साथ यूनाइटिड फ्रंट छोड़ दिया। इसी दिन कांग्रेस ने अविश्वास प्रस्ताव भी पेश किया लेकिन वह अविश्वास प्रस्ताव विधानसभा में गिर गया। 

22 नवम्बर को अकाली दल संत ग्रुप के 17 विधायकों ने यूनाइटिड फ्रंट से अलग होकर पंजाब जनता पार्टी नाम की पार्टी का गठन कर लिया, इनमें 2 कैबिनेट मिनिस्टर, 2 संसदीय सचिव भी शामिल थे। लछमन सिंह की पार्टी को कांग्रेस का साथ मिला। 25 नवम्बर को लछमन सिंह गिल ने मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ली और 27 नवम्बर को पंजाब की नई कैबिनेट का गठन हुआ। इसमें शामिल किए गए 12 मंत्री लछमन सिंह की अगुवाई में बनाई गई नई पार्टी के ही सदस्य थे।      

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