Edited By Anu Malhotra,Updated: 29 Dec, 2025 03:11 PM

उत्तर प्रदेश के विद्युत उपभोक्ताओं के लिए साल 2026 की शुरुआत खुशियों वाली सौगात लेकर आई है। राज्य सरकार और पावर कॉर्पोरेशन ने नए साल के पहले महीने में बिजली की कीमतों में कटौती का निर्णय लिया है, जिससे लाखों परिवारों और व्यापारियों को सीधे तौर पर...
नेशनल डेस्क: उत्तर प्रदेश के विद्युत उपभोक्ताओं के लिए साल 2026 की शुरुआत खुशियों वाली सौगात लेकर आई है। राज्य सरकार और पावर कॉर्पोरेशन ने नए साल के पहले महीने में बिजली की कीमतों में कटौती का निर्णय लिया है, जिससे लाखों परिवारों और व्यापारियों को सीधे तौर पर आर्थिक लाभ मिलेगा। जनवरी महीने में बिजली बिल पहले के मुकाबले हल्का होगा, क्योंकि उपभोक्ताओं को लगभग 2.33 प्रतिशत कम भुगतान करना पड़ेगा। पावर कॉरपोरेशन की ओर से जारी नए आदेश के अनुसार ईंधन अधिभार शुल्क (एफसीए) में समायोजन किया गया है, जिससे सीधा फायदा आम लोगों तक पहुंचेगा।
पावर कॉरपोरेशन के फैसले के तहत अक्टूबर माह के ईंधन अधिभार का समायोजन जनवरी 2026 में किया जाएगा। इस निर्णय से राज्य के बिजली उपभोक्ताओं को करीब 141 करोड़ रुपये का सीधा लाभ मिलने का अनुमान है। लंबे समय से बढ़ते बिजली खर्च से परेशान उपभोक्ताओं के लिए यह कदम राहत देने वाला माना जा रहा है।
बढ़े हुए अधिभार पर सवाल
राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने पहले वसूले गए ईंधन अधिभार पर सवाल खड़े किए हैं। परिषद के अनुसार, सितंबर माह का ईंधन अधिभार दिसंबर में 5.56 प्रतिशत की दर से वसूला गया, जिससे उपभोक्ताओं पर करीब 264 करोड़ रुपए का अतिरिक्त बोझ पड़ा। परिषद का मानना है कि ऐसी वसूली तब तक नहीं होनी चाहिए, जब तक बिजली कंपनियों के पास पर्याप्त धनराशि उपलब्ध है।
परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने बताया कि वर्तमान समय में बिजली कंपनियों के पास उपभोक्ताओं का लगभग 33,122 करोड़ रुपये का सरप्लस जमा है। इसके अलावा, चालू वित्तीय वर्ष में करीब 18,592 करोड़ रुपये और जुड़ने की संभावना है। इस तरह कुल सरप्लस 51 हजार करोड़ रुपये से अधिक पहुंच सकता है।
सरप्लस रहते अधिभार क्यों?
उपभोक्ता परिषद का साफ कहना है कि जब इतनी बड़ी राशि पहले से उपलब्ध है, तो ईंधन अधिभार के नाम पर उपभोक्ताओं से अतिरिक्त वसूली उचित नहीं है। परिषद का सुझाव है कि केवल तभी अधिभार लिया जाए, जब सरप्लस समाप्त हो जाए या धन की वास्तविक कमी सामने आए।
परिषद ने उम्मीद जताई है कि आने वाले महीनों में भी उपभोक्ताओं को राहत मिल सकती है। प्रदेश में अब ट्रांसमिशन डिमांड बेस्ड टैरिफ लागू हो चुका है और नई बिजली दरें प्रभावी हैं। इन बदलावों के चलते भविष्य में ईंधन अधिभार शुल्क में और कमी आने की संभावना बनी हुई है।