8th Pay Commission: कर्मचारियों की बल्ले-बल्ले! अब न्यूनतम सैलरी में रोटी-कपड़ा, मकान ही नहीं, मोबाइल-इंटरनेट का खर्च भी जोड़ेगी सरकार

Edited By Updated: 21 Nov, 2025 05:12 PM

employees are in luck the government will now include not only food clothing

सरकारी कर्मचारियों की सैलरी का आधार अब बदल सकता है। 8वें वेतन आयोग को लेकर कर्मचारी यूनियनों ने एक अहम मांग रखी है। न्यूनतम वेतन तय करते समय मोबाइल रिचार्ज, इंटरनेट डेटा और वाई-फाई जैसे डिजिटल खर्च अपनी गणना में शामिल किए जाएं। उनका कहना है कि आज के...

नेशनल डेस्क: सरकारी कर्मचारियों की सैलरी का आधार अब बदल सकता है। 8वें वेतन आयोग को लेकर कर्मचारी यूनियनों ने एक अहम मांग रखी है। न्यूनतम वेतन तय करते समय मोबाइल रिचार्ज, इंटरनेट डेटा और वाई-फाई जैसे डिजिटल खर्च अपनी गणना में शामिल किए जाएं। उनका कहना है कि आज के समय में डिजिटल सेवाएं जरूरत बन चुकी हैं और इन्हें अनदेखा नहीं किया जा सकता।

यूनियनों की दलील रोटी, कपड़ा, मकान काफी नहीं डिजिटल खर्च भी जरूरी
➤ कर्मचारी संगठनों ने आयोग को भेजे सुझाव में कहा कि
➤ आज सरकारी दफ्तरों से लेकर घर के काम तक सब मोबाइल और इंटरनेट पर निर्भर हैं।
➤ सरकारी ऐप्स, ऑनलाइन फॉर्म, डिजिटल पेमेंट, ई-ऑफिस इन सबके लिए डेटा और फोन अनिवार्य हो चुके हैं।


अब तक न्यूनतम वेतन की गणना में सिर्फ ये चीजें शामिल होती थीं:
➤ भोजन
➤ कपड़े
➤ मकान
➤ बिजली-पानी
➤ बच्चों की शिक्षा


साधारण मनोरंजन
लेकिन यूनियनों का दावा है डिजिटल भारत के दौर में मोबाइल, डेटा पैक और इंटरनेट भी बुनियादी जरूरतों की लिस्ट में शामिल होना चाहिए। नया प्रस्ताव परिवार की पूरी जरूरत के आधार पर सैलरी तय हो राष्ट्रीय परिषद–जेसीएम (स्टाफ साइड) ने सुझाव दिया है कि न्यूनतम वेतन तय करते समय यह देखा जाए कि:

एक वयस्क को रोज कितनी कैलोरी की जरूरत होती है
पति-पत्नी और दो बच्चों के परिवार के खर्च पूरे हों
➤ कपड़ों, जूतों-चप्पलों और त्योहार/सामाजिक अवसरों पर होने वाले खर्च का भी हिसाब जोड़ा जाए
➤ सबसे ज़रूरी मोबाइल बिल, इंटरनेट सब्सक्रिप्शन, डेटा पैक और ओटीटी जैसी डिजिटल सेवाओं को भी लागत में शामिल किया जाए
➤ उनका कहना है कि यह आज की वास्तविक जीवन लागत का हिस्सा है, इसलिए इसे नज़रअंदाज़ करना गलत होगा।


7वें वेतन आयोग से क्या है फर्क?
7वें वेतन आयोग में न्यूनतम वेतन 18,000 रुपये तय किया गया था।
यह 1957 के पुराने भारतीय श्रम सम्मेलन के फॉर्मूले पर आधारित था, जिसमें डिजिटल खर्चों का कोई उल्लेख नहीं था।


उस समय मोबाइल और इंटरनेट आम जरूरत नहीं थे।
लेकिन अब स्थिति बदल चुकी है—
➤ ऑनलाइन क्लासेज़
➤ डिजिटल पेमेंट
➤ सरकारी ऐप


स्मार्टफोन पर आधारित दफ्तर का काम
➤ इन सबने मोबाइल और इंटरनेट को दैनिक जरूरत बना दिया है।
➤ यूनियन का कहना है कि अगर इन खर्चों को शामिल किया गया तो न्यूनतम सैलरी में बड़ा इजाफा देखने को मिल सकता है।


8वें वेतन आयोग से बढ़ सकती है सैलरी?
जानकारों के मुताबिक,
➤ डिजिटल खर्च जुड़ने पर न्यूनतम वेतन में महत्वपूर्ण बढ़ोतरी संभव है।
➤ फिटमेंट फैक्टर भी बढ़ सकता है, जिससे बेसिक और कुल सैलरी दोनों पर असर पड़ेगा।

 8वां वेतन आयोग बना चुकी है।
➤ यह अपनी विस्तृत रिपोर्ट 2026–27 तक पेश करेगा।
➤ कर्मचारी उम्मीद कर रहे हैं कि इस बार आयोग आधुनिक जरूरतों को ध्यान में रखते हुए नई गणना प्रणाली बनाएगा।

Related Story

IPL
Royal Challengers Bengaluru

190/9

20.0

Punjab Kings

184/7

20.0

Royal Challengers Bengaluru win by 6 runs

RR 9.50
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!