Edited By Anu Malhotra,Updated: 28 Aug, 2025 01:37 PM

एक सोच, सही साझेदारी और दूरदर्शी निवेश- यही तीन चीजें किसी भी उद्यमी को इतिहास में जगह दिला सकती हैं। इंडिगो एयरलाइंस के सह-संस्थापक राकेश गंगवाल ने इस कहावत को सच कर दिखाया है। उन्होंने 2006 में महज ₹14.7 करोड़ के निवेश से जो सफर शुरू किया था, वो...
नई दिल्ली: एक सोच, सही साझेदारी और दूरदर्शी निवेश- यही तीन चीजें किसी भी उद्यमी को इतिहास में जगह दिला सकती हैं। इंडिगो एयरलाइंस के सह-संस्थापक राकेश गंगवाल ने इस कहावत को सच कर दिखाया है। उन्होंने 2006 में महज ₹14.7 करोड़ के निवेश से जो सफर शुरू किया था, वो आज 45,000 करोड़ रुपये की भारी-भरकम दौलत में तब्दील हो चुका है। यह सिर्फ एक बिजनेस डील नहीं, बल्कि एक प्रेरणादायक निवेश यात्रा है जिसने भारतीय कॉर्पोरेट जगत को चौंका दिया है।
राकेश गंगवाल ने राहुल भाटिया के साथ मिलकर Indigo की नींव रखी थी और आज तक अपनी मूल हिस्सेदारी का लगभग 90 प्रतिशत बेच चुके हैं। अब उनके पास कंपनी में सिर्फ 4.1% हिस्सेदारी बची है, जिसकी मौजूदा बाजार कीमत करीब ₹29,580 करोड़ आंकी गई है।
इस एग्जिट का दायरा फ्लिपकार्ट के बंसल ब्रदर्स के 2018 में वॉलमार्ट को शेयर बेचने से भी कहीं ज्यादा बड़ा माना जा रहा है। विशेषज्ञों के मुताबिक, नॉन-टेक सेक्टर में इतनी भारी वैल्यूएशन हासिल करना और बड़ी रकम का एग्जिट करना बेहद कम होता है, जिससे यह केस खास बन जाता है।
विश्लेषकों का कहना है कि Indigo की सफलता में कंपनी की ऑपरेशनल एफिशिएंसी, ग्राहक सेवा पर जोर और प्रभावशाली बिजनेस मॉडल का बड़ा हाथ है। केआर चोकसी शेयर्स एंड सिक्योरिटीज के एमडी देवन चोकसी ने इस मामले को समझाते हुए कहा कि जब कोई बिजनेस सही रणनीति और जुनून के साथ किया जाता है, तो वह निवेशकों को भारी लाभ दे सकता है। इंडिगो इस बात का उत्कृष्ट उदाहरण है।
तीन साल के भीतर Indigo के शेयरों में करीब 200% की वृद्धि हुई है, जिससे सह-संस्थापक राहुल भाटिया और राकेश गंगवाल को भी जबरदस्त फायदा हुआ है। राहुल भाटिया की हिस्सेदारी अब ₹2.83 लाख करोड़ के करीब पहुंच चुकी है।
भारतीय एविएशन सेक्टर की तेजी और इंडिगो के लो-कॉस्ट ऑपरेशन, व्यापक रूट नेटवर्क तथा सेवा गुणवत्ता की वजह से विश्लेषकों का मानना है कि कंपनी आने वाले समय में भी अपने निवेशकों को शानदार रिटर्न देगी।